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चुनाव के 1 साल बाद कौन से किले मजबूत करेंगे राहुल गांधी, हिंदुस्तान के दिल से कांग्रेस का दलित प्रेम - RAHUL GANDHI SAMVIDHAN YATRA

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और प्रियंका गांधी एक बार फिर यात्रा निकालने की तैयारी में हैं. बताया जा रहा है इस यात्रा की शुरुआत मध्य प्रदेश के महू से होगी. दूसरी तरफ इस यात्रा को लेकर कई सियासी अटकलें उठने लगी है. ईटीवी भारत मध्य प्रदेश की ब्यूरो चीफ शिफाली पांडे की ये खास रिपोर्ट...

Jai Bhim Jai Bapu Samvidhan Yatra
चुनाव के 1 साल बाद कौन से किले मजबूत करेंगे राहुल गांधी (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 7, 2025, 9:44 PM IST

भोपाल: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी एक बार फिर यात्रा पर निकलने की तैयारी में हैं. ये उनके राजनीतिक जीवन की तीसरी यात्रा है. पहले दक्षिण फिर उत्तर पूर्व और अब राहुल गांधी अपनी यात्रा की शुरुआत मध्य भारत से करने जा रहे हैं. मध्य प्रदेश से इस यात्रा की शुरुआत की वजह बाबा साहेब अंबेडकर की जन्मस्थली महू का यहां होना है, लेकिन क्या इस यात्रा के साथ दिल्ली विधानसभा चुनाव के एन पहले राहुल गांधी हिंदी भाषी राज्यों को केन्द्र में रखकर दलित राजनीति का एक नया अध्याय शुरु करने जा रहे हैं.

जातिगत जनगणना का मुद्दा छेड़ने के बाद मध्य प्रदेश से उठने जा रहा 'जयभीम' का नारा उत्तर प्रदेश बिहार तक ज्यादा बेहतर सुना जाएगा. क्या ये यात्रा देश भर में कांग्रेस से छिटके दलित वोटर को कांग्रेस के नजदीक ला पाएगी. जिस जमीन से ये यात्रा शुरु हो रही है. उस मध्य प्रदेश से भी 2018 के बाद के छोटे हिस्से को छोड़ दें. तो यहां मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस को सत्ता से बेदखल हुए दो दशक होने को आ रहे हैं. बीते लोकसभा चनाव में कांग्रेस ने ऐतिहासिक हार देखी है. जब 29 सीटों में से एक सीट पर भी पार्टी अपनी इज्जत नहीं बचा पाई. क्या मध्यप्रदेश कांग्रेस के लिए राहुल की संविधान यात्रा संजीवनी बन पाएगी?

एमपी में राहुल गांधी की यात्रा की तैयारी (ETV Bharat)

राहुल की नई यात्रा का केन्द्र मध्य प्रदेश, संदेश कहां-कहां

राहुल गांधी की नई संविधान यात्रा की शुरुआत मध्य प्रदेश से होगी. संविधान बचाने के उद्घोष के साथ निकाली जा रही यात्रा के लिए बाबा साहेब की जन्मस्थली महू से बेहतर जगह हो ही नहीं सकती थी, लेकिन पहले उत्तर पूर्व और फिर दक्षिण भारत को अपनी यात्राओं का केन्द्र बना चुके राहुल गांधी का इस बार मध्य से यात्रा के आगाज के क्या कुछ और भी संदेश हैं. मध्य प्रदेश चुनाव से फ्री हो चुका है, लेकिन मध्य प्रदेश से दिल्ली दूर भी नहीं है और उत्तर प्रदेश, बिहार भी नहीं.

मध्य प्रदेश से शुरू होगी जय भीम बापू यात्रा (ETV Bharat)

क्या राहुल गांधी की देश के ह्रदय प्रदेश से शुरु हो रही यात्रा एक पंथ कई काज के अंदाज में होगी. वरिष्ठ पत्रकार राकेश दीक्षितकहते हैं, "इसे चुनावी लाभ हानि के लिहाज से बिल्कुल नहीं देखा जा सकता. मध्य प्रदेश से राहुल गाधी की इस यात्रा की शुरुआत करने का एकमात्र मकसद बाबा साहब अंबेडकर की जन्मस्थली महू है. राहुल गांधी ने जिस तरह से संविधान का मुद्दा उठाया है. जिस तरह से जातिगत जनगणना का सवाल उठाया तो दलित वोटर को एड्रेस करने की शुरुआत तो उन्होंने तभी से कर दी थी, लेकिन इस यात्रा के जरिए उस वोटर से जुड़ाव की कोशिश है.

राहुल गांधी की यात्रा का एमपी पर असर (ETV Bharat)

मध्य प्रदेश से उत्तर प्रदेश बिहार हिंदी भाषी राज्य लगे हुए हैं. बाकी रही बात मध्य प्रदेश की तो मुझे नहीं लगता कि राहुल गांधी की इस यात्रा से प्रदेश में कांग्रेस के की स्थिति में कोई खास फर्क आएगा, क्योंकि यहां जो भी होना है, वो स्टेट लीडरशिप की कोशिश से ही होना है."

राहुल की यात्रा में बापू बाबा और चौपाल

राहुल गाधी की संभवत 26 जनवरी से शुरु हो रही यात्रा संविधान पर केन्द्रित है, लेकिन इस यात्रा के मुख्य फीचर बाबा साहब अंबेडकर और बापू महात्मा गांधी है. कांग्रेस इन महापुरुषों को केन्द्र में रखकर ही ये पूरी यात्रा निकालेगी. 26 जनवरी को देश में संविधान लागू किए जाने की तारीख फिर बाबा साहेब अम्बेडकर की जन्मस्थली से शुरुआत. पहले यहां जनसभा होगी और उसके बाद राहुल गांधी अपनी यात्रा शुरु करेंगे.

राहुल गांधी की यात्रा का एमपी चुनाव पर असर (ETV Bharat)

पूरी यात्रा के दौरान कांग्रेस जगह-जगह चौपाल लगाएगी और जनता के बीच ये संदेश पहुंचाने की कोशिश करेगी कि बीजेपी किस तरह से संविधान विरोधी है. इन्हीं चौपालों में महात्मा गांधी और बाबा साहेब अंबेडकर के विचार भी कांग्रेस कार्यकर्ता जनता तक पहुंचाएंगे. मध्य प्रदेश में वीडिया विभाग के अध्यक्ष मुकेश नायक कहते हैं, "26 जनवरी को राहुल गांधी मध्य प्रदेश आ रहे हैं. ये एक लाख लोगों का समागम होगा. इस कार्यक्रम का उद्देश्य है, भारत में संविधान की रक्षा दलित वंचित शोषित पीड़ित लोगों का संरक्षण, उनके साथ न्याय के लिए ये कार्यक्रम रखा है. इस आयोजन के लिए प्रेरक समूह बनाए गए हैं. पूरे प्रदेश में जो टीमें हैं, वो तैयारियों में जुटी हुई हैं."

'राहुल की यात्रा कांग्रेस के लिए संकट'

मध्य प्रदेश में आठ महीने पहले 29 की 29 लोकसभा चुनाव जीत चुकी बीजेपी के लिए राहुल गांधी की इस यात्रा से बेफिक्र दिखाई दे रही है. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवालकहते हैं, "राहुल गांधी के बयान उनकी यात्राएं बीजेपी को लाभ ही पहुंचाती है और कांग्रेस के लिए संकट बन जाती हैं. 2023 में राहुल गांधी ने जिन 22 सीटों से भारत जोड़ों यात्रा निकाली थी. उसमें से 18 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली है. कांग्रेस केवल चार पर सिमट गई. फिर राहुल गांधी की न्याय यात्रा के बाद तो ये स्थिति बनी कि मध्य प्रदेश में इकलौती बची छिंदवाड़ा सीट भी पार्टी ने खो दी. तो चिंता तो कांग्रेस को करनी है कि इस यात्रा के बाद फिर क्या होगा. बाकी कांग्रेस की जमीन खोदने जीतू पटवारी और उमंग सिंघार यहां पहले से हैं."

यात्रा के दौरान जीतू पटवारी के साथ राहुल गांधी (ETV Bharat)

भारत जोड़ो यात्रा का केन्द्र भी मालवा-निमाड़ रहा

राहुल गांधी जब भारत जोड़ो यात्रा के साथ पहली यात्रा पर निकले थे. तब मध्य प्रदेश में उनका सफर 6 जिलों में करीब 399 किलोमीटर का था. बुरहानपुर से उनकी यात्रा की शुरुआत हुई थी. इस यात्रा में भी उन्होंने बुरहानपुर के अलावा इंदौर, उज्जैन, खंडवा, खरगोन समेत मालवा-निमाड़ के जिलों को कवर किया था. हालांकि एक साल बाद ही मध्य प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में भारत जोड़ो यात्रा का कोई खास असर नहीं दिखा. 2018 में कांग्रेस सत्ता में आई, लेकिन 2020 में हुए सत्ता पलट के बाद 2023 में कांग्रेस सत्ता में वापिसी नहीं कर सकी. कन्याकुमारी से शुरु हुई इस यात्रा में राहुल गांधी ने कश्मीर तक का सफर तय किया था.

भारत जोड़ो न्याय यात्रा में ग्वालियर चंबल और मालवा

भारत जोड़ो यात्रा के बाद जब राहुल गांधी भारत जोड़ो न्याय यात्रा के साथ मध्य प्रदेश आए थे, तो उन्होंने इस यात्रा में मालवा-निमाड़ के साथ ग्वालियर चंबल के इलाके को भी कवर किया था. इसमें ग्वालियर चंबल, गुना, मुरैना, ग्वालियर इधर मालवा में राजगढ, देवास, उज्जैन, धार और रतलाम की लोकसभा सीटें कवर हुई थी, लेकिन दो महीने बाद जो नतीजे आए, उसमें इस यात्रा का असर दिखाई नहीं दिया. मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में 22 में से केवल चार सीटों पर कांग्रेस जीत सकी. लोकसभा में तो पूरी पार्टी का ही सफाया हो गया.

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