लखनऊ: यूपी में बिजली की दरें बढ़ाई जा सकती हैं. वह भी करीब 20 फीसदी तक. उत्तर प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों ने विद्युत नियामक आयोग में इस तरह का प्रस्ताव दिया है. कंपनियों ने बीते 30 नवंबर को वर्ष 2023 -24 का ट्रू-अप और वर्ष 2025-26 की वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) यानी बिजली दर का मसौदा सौंप दिया है. इसमें लगभग एक लाख 16 हजार करोड़ की वार्षिक राजस्व आवश्यकता बताई गई है. मसौदे में वर्ष 2025-26 के लिए एक लाख 60 हजार मिलियन यूनिट बिजली की जरूरत दाखिल की है. इसमें कुल बिजली खरीद की लागत लगभग 92 हजार से लेकर 95 हजार करोड़ के बीच अनुमानित है.
महंगी हो सकती है बिजली:इस मसौदे पर उपभोक्ता परिषद ने ऐतराज जताया है. बिजली कंपनियों की तरफ से आरडीएसएस (Revamped Distribution Sector Scheme) की वितरण हानियां 13.25 प्रतिशत को ही आधार माना गया है. सभी बिजली कंपनियों का गैप यानी कुल घाटा वर्ष 2025 -26 के लिए जो आंकलित किया गया है, वह लगभग 12,800 से 13000 करोड़ के बीच है. उपभोक्ता परिषद का कहना है कि उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन ने बिजली दर का प्रस्ताव तो नहीं दिया, लेकिन घाटे की भरपाई विद्युत नियामक आयोग पर छोड दी है. कहने का मतलब है कि अगर घाटे के एवज में विद्युत नियामक आयोग फैसला लेगा तो दरों में लगभग 15 से 20 प्रतिशत बढ़ोतरी होगी.
बिजली कंपनियों पर सरप्लस निकल रही ये धनराशि:परिषदका कहना है कि पावर कॉरपोरेशन की मंशा अगर साफ थी तो उसे वार्षिक राजस्व आवश्यकता में नो टैरिफ हाईक लिखना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया. क्योंकि वह चोर दरवाजे से दरों में बढोतरी चाहता है. उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि बिजली कंपनियों व पावर कारपोरेशन ने बहुत चालाकी से वर्ष 2025-26 की वार्षिक राजस्व आवश्यकता में प्रदेश के उपभोक्ताओं का जो बिजली कंपनियों पर लगभग 33,122 करोड़ सरप्लस निकल रहा था, उसके एवज में दरों में कमी का कोई भी प्रस्ताव नहीं दिया.