प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज महाकुम्भ प्रशासन को बीते जुलाई माह में हाथरस के फुलरई मुगलगढ़ी गांव में हुए सत्संग में भगदड़ में हुई मौत की घटना से सबक लेकर व्यवस्था दुरुस्त रखने को कहा है. साथ ही भगदड़ के इस मामले में हाथरस के तत्कालीन जिलाधिकारी और एसएसपी को हलफनामे के साथ 15 जनवरी को तलब किया है.
कोर्ट ने दोनों अधिकारियों पूछा है कि क्यों न प्रशासनिक अव्यवस्था के कारण 121 श्रद्धालुओं की मौत में उनकी जवाबदेही तय की जाए. कोर्ट ने जनवरी से शुरू होने वाले विश्व के सबसे बड़े प्रयागराज महाकुम्भ मेला के आयोजन करने वाले प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों को हाथरस की घटना से सबक लेने की नसीहत देते हुए कहा कि प्रयागराज महाकुम्भ में करोड़ों लोग आएंगे.
केंद्र व राज्य सरकार इसकी व्यवस्था में जुटी हैं. प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री मौके पर आकर व्यवस्था देख रहे हैं. इसके बावजूद अव्यवस्था से अप्रिय घटना हो सकती है. इसलिए पुलिस और प्रशासन व्यवस्था देखें. ठीक से मेला होने से प्रदेश और देश ही नहीं देश के बाहर अच्छा उदाहरण पेश होगा. कोर्ट ने आदेश की प्रति सीजेएम हाथरस, प्रदेश शासन के गृह सचिव और प्रयागराज के मंडलायुक्त, जिलाधिकारी व पुलिस आयुक्त को भेजने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने हाथरस की घटना में अव्यवस्था की आरोपी मंजू देवी की जमानत अर्जी की सुनवाई करते हुए दिया है.
हाथरस की घटना में पोरा पुलिस चौकी इंचार्ज बृजेश पांडेय ने सिकंदराराऊ थाने में एफआईआर दर्ज कर आयोजकों पर भगदड़ से मौतों का आरोप लगाया. घटना की विवेचना जारी है. सरकार की ओर से कहा गया कि आयोजकों ने 80 हजार भीड़ आने की शासन से अनुमति ली थी और मौके पर ढाई लाख श्रद्धालुओं का जमावड़ा हो गया था. भोले बाबा प्रवचन के बाद जाने लगे तो दर्शन के लिए भीड़ उसी तरफ बढ़ी.
सेवादारों ने भीड़ को जबरन रोकना चाहा, जिससे भगदड़ मच गई. सैकड़ों की संख्या में लोग दब व कुचल गए. कीचड़ भरे खेत में पैरों तले रौंद दिए गए. भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो गई और हजारों घायल हो गए. प्रशासन की ओर से 50 पुलिसकर्मी ही तैनात थे, जो भीड़ को नियंत्रित करने के लिए नाकाफी थे. जिसमें प्रशासन की अव्यवस्था स्पष्ट है.
न्यायमूर्ति शेखर यादव ने कहा पूर्व में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं.गरीब व अनपढ़ लोगों की भीड़ बुला ली जाती है और कोई व्यवस्था नहीं की जाती. श्रद्धा व विश्वास में भीड़ आपा खो बैठती है और भगदड़ में असामयिक मौतें हो जाती हैं. आयोजकों द्वारा समुचित व्यवस्था नहीं की जाती. लेकिन प्रशासन की जिम्मेदारी भी बनती है.
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