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पोला पर्व 2024: आज धूमधाम से मनाया जा रहा पोरा तिहार, घरों में ठेठरी और खुरमी बनकर तैयार - Pola Tihar 2024 - POLA TIHAR 2024

Pola Tihar 2024 आज सोमवार को पूरे छत्तीसगढ़ में पोला तिहार धूमधाम के साथ मनाया जाएगा. पोला पर्व की तैयारियां घर घर शुरु हो चुकी हैं. घरों में पारंपरिक मिठाई और नमकीन बनने की शुरुआत हो चुकी है. मिठाई खुरमी और नमकीन ठेठरी का पोला पर्व में बनाया जाना खास होता है. मिट्टी के बने बैलों की भी इस बार अच्छी डिमांड है. पोला पर्व पर मिट्टी के बने खिलौने बच्चों को खूब भाते हैं. pola festival 2024

pola festival 2024
मिट्टी के बैल और खिलौनों की बढ़ी डिमांड (ETV Bharat)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Aug 30, 2024, 4:03 AM IST

Updated : Sep 2, 2024, 9:16 AM IST

पोला पर्व की तैयारी (ETV Bharat)

रायपुर: सोमवार 2 सितंबर को पोला का पर्व मनाया जाएगा. पोला पर्व छत्तीसगढ़ में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. मिट्टी के बैल और खिलौने की पूजा भी पोला पर्व के दिन की जाती है. पोला पर्व में छत्तीसगढ़ी पकवान ठेठरी, खुरमी जैसे पारंपरिक पकवान भी बनाए जाते हैं. पोला का पर्व किसानों का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है. पोला पर्व किसानों और खेतीहर मजदूर के लिए विशेष महत्व रखता है.

पोला पर्व पर बढ़ी मिट्टी के खिलौनों और बैलों की डिमांड:बैलों को लेकर कहा जाता है कि बैल किसान के बेटे की तरह होते हैं. पोला पर्व पर किसान बैलों की खास तौर से पूजा करते हैं. खेती किसानी में बैलों का सबसे अहम काम होता है. पोला पर्व पर किसान बैलों की पूजा कर उनके प्रति सम्मान जताते हैं. इस साल पोला का पर्व 2 सितंबर 2024 को भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाएगा.


"भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को पोला का पर्व मनाया जाता है. ऐसा माना गया है की बैल भगवान का स्वरूप है और इस वजह से इसकी पूजा की जाती है. छत्तीसगढ़ या फिर भारत के जितने भी कृषि से जुड़े गांव हैं उनके लिए यह पर्व विशेष महत्व रखता है. गाय बछड़े की पूजा होने के साथ ही बैलों को सजाया जाता है''. - पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी ज्योतिष एवम वास्तुविद

पोला और तीजा पर्व का क्या है महत्व: ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी ने बताया कि ''पोला पर्व को बड़े उत्सव के रूप में छत्तीसगढ़ में मनाया जाता है. छत्तीसगढ़ में पोला और तीजा खास महत्व रखता है. तीजा और पोला पर्व में महिलाएं अपने मायके में इस पर्व को मनाने के लिए आती हैं. मायके से मिला हुआ साड़ी पहनकर महिलाए तीजा का पर्व मनाती हैं. कुल मिलाकर यह पर्व किसानों के बैलों के उत्सव का पर्व है."

कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाएगा पर्व: इस पर्व का संबंध देव पूजन से कम है लेकिन कृषि पूजन से ज्यादा है. इस वर्ष भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष की जो अमावस्या है वह 2 सितंबर को पड़ रही है. कुछ जगह पर इस पर्व को पिठोरी अमावस्या और कुछ जगहों पर कुशोदपाटनी अमावस्या के नाम से जानते हैं. आज के दिन ब्राह्मण जन कुशा को खेत से बाहर निकाल कर स्नान करते हैं जिसे कुशोदपाटनी अमावस्या कहते हैं.

पिठोरी अमावस्या के नाम से भी जानते हैं लोग: कुछ जगहों पर पिठोरी की पूजा होती है तो पिठोरी अमावस्या के नाम से जानी जाती है. श्रद्ध की अमावस्या होने के कारण स्नान करना भगवान शिव की पूजा करना मंदिर जाना इत्यादि चीज होती है. लेकिन छत्तीसगढ़ में आज के दिन वृषभ यानी बैलों की पूजा होती है. 2 सितंबर को संपूर्ण दिवस पोला का पर्व मनाया जाएगा जो कि अगले दिन सुबह 5:42 तक अमावस्या तिथि रहेगा.

गाय और बैलों की होती है पूजा: गाय और बैलों को लक्ष्मी जी के रूप में देखा जाता है और इसे पूजनीय माना गया है. पोला पर्व में बैलों की विशेष रूप से पूजा आराधना की जाती है, जिनके पास बैल नहीं होते हैं वह मिट्टी के बैलों की पूजा आराधना करके चंदन टीका लगाकर उन्हें माला पहनाते हैं.

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Last Updated : Sep 2, 2024, 9:16 AM IST

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