पटनाःडिजिटल इंडिया के दौर में भी कई ऐसे कार्य हैं जो सिर्फ चुनावी मुद्दा बनकर रह जाता हैं, जैसे ही चुनाव करीब आता है, नेताओं के आश्वासन पर जनता तो वोट करती है, लेकिन चुनाव जीतने के बाद अपने उस क्षेत्र में झांकी तक मारने नहीं जाते हैं नेता जी. इसका जीता जागता उदाहरण है राजधानी पटना से सटे पटना साहिब के काला दियारा इलाके का पीपा पुल. यहां दर्जनों गांव ऐसे हैं, जहां के लोग एक अदद पक्के पुल के लिए सालों से तरस रहे है.
चुनावी मुद्दा बनकर रह गया पीपापुलः पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र के बख्तियापुर विधानसभा के ग्यासपुर का पीपा पुल काला दियारा इलाके का है. यहां बने लोहे के पुल पर सफर सिर्फ साल में 6 महीने तक ही लोग कर पाते हैं. बाकी के 6 महीने टूटे नाव के सहारे गुजारते हैं. जहां कई बार हादसा भी हो चुका है, जिससे जान व माल दोनों का भारी नुकसान हुआ इसके बावजूद नेताओं की नजर यहां के लोगों की परेशानी को नहीं समझ पाती.
पुल नहीं बनने से लोगों में आक्रोशः जब ईटीवी भारत की टीम काला दियारा पीपा पुल की ग्राउंड रिपोर्ट करने पहुंची तो स्थानीय लोगों में काफी आक्रोश था, उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि हमारे यहां से भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद का यह क्षेत्र है. चुनाव के वक्त वोट मांगने आए तो वादा किया कि हमारी सरकार आई तो यह इसे पक्का पुल बनवा दिया जाएगा. लेकिन चुनाव जीतने के बाद एक बार झांकी तक नहीं मारने आए हैं.