गया: तरक्की की होड़ में टूटते बिखरते परिवार के मामले आपको हर दिन थाना पंचायत से लेकर कोर्ट कचहरी तक मिल जाएंगे. वर्तमान समय में तरक्की के लिए अधिकतर परिवार एकल होकर ही रहना पसंद करते हैं. अब तो संयुक्त परिवार की अवधारणा ही खत्म होती जा रही है. ऐसे समय में बिहार के बोधगया का एक परिवार बड़ा उदाहरण पूरे समाज के सामने पेश कर रहा है.
समाज के सामने उदाहरण पेश कर रहा ये परिवार: यहां तीन पीढ़ियों से एक परिवार साथ रह रहा है. चौथी पीढ़ी को भी साथ रहने में कोई समस्या नहीं है. इस परिवार के लिए घर का माहौल हर दिन किसी फंक्शन से कम नहीं होता है. खास कर रात्रि भोजन के समय दिलकश नजारा देखने को मिलता है, क्योंकि परिवार के अधिकतर लोग एक साथ बैठकर भोजन करते हैं.
65 सदस्य रहते हैं साथ: जिला ही नहीं बल्कि बिहार का सबसे बड़ा परिवार है. यहां एक साथ लगभग 65 सदस्य रहते हैं. यह परिवार जिले में 'कल्याण परिवार' के नाम से प्रसिद्ध है. 90 वर्ष के कन्हैया प्रसाद और उनकी पत्नी राधिका देवी इस परिवार की गार्जियन हैं. घर में पौत्र बहू के बच्चे इन्हे बाबा जी कहते हैं.
परिवार का हर सदस्य निभाता है परंपरा: घर के पुरुषों और महिलाओं में 'बाबा जी' का आदेश अंतिम फैसले के रूप में होता है. खानदान के संस्कार और भारतीय संस्कृति का अनुकरण उनके बेटे भतीजे पोते पोती, नाती नातिन और बहू निभा रही हैं. बहुएं भी अपनी सास की हर बात का मान रखती हैं. इस परिवार का हर सदस्य अपनी परंपरा और संस्कृति को बेहतर तरीके से निभाने के लिए संकल्पित है.
एक साल की है छोटी सदस्य: परिवार में सबसे बड़े बाबा जी ' कन्हैया प्रसाद ' 90 वर्ष के हैं. जबकि इस परिवार में सबसे छोटी सदस्य के रूप में जानकी चंद्रवंशी है, जिसकी प्रथम सालगिरह शुक्रवार को ही मनाई गई. संयुक्त परिवार की शुरुआत स्वर्गीय कल्याण सिंह से होती है.
कल्याण सिंह ने डाली थी परिवार की नींव: इनके 2 पुत्र कन्हैया प्रसाद और स्वर्गीय राम लखन प्रसाद सिंह थे. कन्हैया प्रसाद के 6 बेटा और चार बेटी हैं, जबकि राम लखन प्रसाद के 3 बेटे और 3 बेटियां हैं. परिवार में दोनों भाई राम लखन और कन्हैया प्रसाद के परिवार के सभी छोटे बड़े , बच्चे और पुरुष महिला सदस्यों की संख्या 65 है.
"हमारा आशीर्वाद पूरे परिवार के साथ है. जिंदगी छोटी होती है. सब परिवार के सदस्य मिलजुल कर रहे हैं. बस यही इच्छा है. मोदी जी जब भारत के 140 करोड़ देशवासियों को पूरा परिवार मान सकते हैं तो हम फिर अपने परिवार को कैसे छोड़ सकते हैं. हमारा परिवार खुश और खुशहाल रहे यही प्रार्थना करते हैं. घर में हमारी और हमारी पत्नी की हर कोई बात सुनता है."- बाबा जी उर्फ कन्हैया प्रसाद, कल्याण परिवार के मुखिया
तीन बीघा में है कल्याण निवास: कल्याण सिंह के पिता घनश्याम सिंह की 150 वर्ष पहले परिवार को जोड़ कर रखने की इच्छा थी. जिसको उनके पुत्र कल्याण सिंह ने पूरा करने के लिए 105 वर्ष पहले साल 1920 में एक परंपरा स्थापित की थी. उन्होंने ही परंपरा बनाई थी कि सभी सदस्य एक साथ एक छत के नीचे रहेंगे. बोधगय के टीका बीघा गांव में लग भाग 3 बीघा का कैंपस है, जिसमें कल्याण निवास बना हुआ है, जहां यह पूरी फैमिली साथ रहती है.
एक साथ बनता है खाना: कैंपस में एक पुराना तीन मंजिला मकान भी है. उसके इलावा अब घर के सदस्यों की संख्या बढ़ने के कारण उसी कैंपस में अलग अलग एक साथ सटे हुए और कई मकान हैं. जिसमें सभी को मिलाकर वर्तमान में 85 कमरे होंगे, 2 टाइम दोपहर और रात का भोजन एक साथ बनता है. सुबह का नाश्ता बहूएं अपने स्तर से बनाती हैं.
"घर की कमान चाची राधिका देवी के हाथों में है. घर की महिलाओं के लिए उन्हीं का अंतिम निर्णय होता है. भोजन बनाने से लेकर घर में क्या होगा? नहीं होगा? उन्हीं का फैसला होता है."- मुरली सिंह चंद्रवंशी, कल्याण परिवार के सदस्य
महिलाओं में बंटी हुई है बारी: घर में एक बड़ी रसोई है, जिसमें बड़े पतीले कड़ाही और दूसरे बर्तन रखे हुए नजर आए. परिवार का उसी बर्तन में खाना बनता है. हालांकि घर में और भी रसोई है, जिसका जरूरत के अनुसार उपयोग होता है. मुरली सिंह चंद्रवंशी की पत्नी रीता सिंह बताती हैं कि सभी महिलाओं की बारी बंटी हुई है. घर में काम करने के लिए मजदूर भी हैं जो खाना बनाने से लेकर साफ सफाई करते हैं.
"भोजन बनाने में सहयोग के लिए भाइयों की पत्नियां और बहुओं की बारी बंटी हुई है. कभी कोई कहासुनी होती है तो हम महिलाएं आपस में सुलझा लेते हैं. घर के पुरुषों तक बात नहीं पहुंचती है क्योंकि हमारी एक परंपरा यह भी है कि अगर घर में महिलाओं के बीच में कोई बात हो तो वह पुरुषों तक नहीं पहुंचे.घर की महिलाओं के वाद विवाद को घर के मर्द सुनते भी नहीं हैं. वह कहते हैं आप लोग खुद समस्या से निपट लो."- रीता सिंह, कल्याण परिवार के सदस्य
'सब बहू हमारे लिए बराबर': राधिका देवी कहती हैं कि परिवार की एकजुटता ही सफलता की कुंजी है, घर में बहू हमारी पूरी बात सुनती हैं. हम ही बताते हैं कि खाने में क्या बनेगा, बहूएं हमारी सेवा भी करती हैं.
"हमारी सब बहू बहुत अच्छी है. किसी से कोई शिकायत नहीं है. सब मिलकर रहती हैं. यही हमारे लिए खुशी की बात है. हमने सब को छूट दे रखी है, वह परंपराओं का ख्याल रखते हुए अपनी मर्जी से अपना जीवन बसर करें. बस हम सिर्फ इतना चाहते हैं कि परिवार एक साथ ऐसे ही रहे."- राधिका देवी ,बाबा जी की पत्नी
'बड़ा परिवार होना हमारी ताकत': इस परिवार के सबसे बड़े भाई अजय सिंह कल्याण कहते हैं कि बड़ा परिवार होना बड़ी बात है. उनके लिए यह गौरव और उनकी यह ताकत है. उनके जितने भाई हैं सब मिलकर साथ रहते हैं. छोटे फैमिली में अगर कोई विवाद हो तो उनके यहां समझने वाला कोई नहीं होता है, लेकिन हमारे यहां अगर किन्ही भाई में कोई बात भी होती है तो एक नहीं कई बड़े हैं जो एक साथ मिलकर समस्या को खत्म कर देते हैं.
"हमारे बच्चे भी अपने चचेरे भाइयों की उसी तरह इज्जत करते हैं जिस तरह हम अपने भाइयों की करते हैं. हम अपने भाई और चाचा के बेटे मिलाकर 9 भाई हैं. समाज के लिए हम 9 भाई हैं लेकिन हमारे लिए 9 भाई नवरत्न है."- अजय सिंह, कल्याण परिवार के सदस्य
'नहीं होगा बंटवारा': परिवार की एकता की मिसाल बने 65 सदस्यों के परिवार में यह बड़ी बात है कि आज तक किसी भी चीज का बंटवारा नहीं हुआ है. खानदानी जमीन जायदाद एक साथ हैं. विक्रम सिंह कल्याण कहते हैं कि "जो परंपरा हमारे पिता और चाचा ने बनाया है, उसको हम लोग श्रद्धापूर्वक निर्वहन करते हैं. अपने बच्चों को भी यही संस्कार देते हैं कि परिवार को जोड़ना है, कभी तोड़ने की कोशिश भी नहीं करनी है."
'विवाद नही होता': मुरली सिंह चंद्रवंशी कहते हैं कि दादा चाचा और पिताजी की जो संपति है वह तो सब की है. उससे कोई इनकार नहीं कर सकता है. परिवार के एकजुटता की एक वजह यह भी है कि हम साथ तो रहते हैं लेकिन हम सब भाइयों का कारोबार अलग अलग है. झगड़ा व्यापार से भी बढ़ता है लेकिन हम सब भाई और हमारे बच्चे सब अपना व्यापार करते हैं.
"एक दूसरे की व्यापार को बढ़ाने में मदद भी करते हैं, लेकिन व्यापार साथ नहीं है. हमारे व्यवसाय में होटल रेस्टोरेंट टाइल्स मार्बल की दुकान और इलेक्ट्रॉनिक दुकान भी शामिल है. परिवार के लोग सामाजिक कार्य भी करते हैं. कई संस्था है जो समाज के गरीबी लोगों के उत्थान के लिए कार्य करते हैं. हमारे परिवार की पहचान गरीबों की मदद के लिए भी है."- मुरली सिंह चंद्रवंशी, कल्याण परिवार के सदस्य
पूरे परिवार में 250 से अधिक सदस्य: कल्याण परिवार एक बड़ी फैमिली है. पहले की परंपरा को अब तक निभाना कोई आसान काम नहीं है. कल्याण सिंह के नाती प्रोफेसर कैलाश प्रसाद कहते हैं कि अगर घनश्याम सिंह के पूरे परिवार को जोड़ दिया जाए तो इस परिवार में लगभग 250 सदस्य होंगे.
"शादी ब्याह और दूसरे फंक्शन में जब खानदान का पूरा परिवार जमा होता है तो फैमली और बढ़ जाती है. इस परिवार की क्षेत्र में मिसाल दी जाती है. परिवार के जो सदस्य साथ नहीं रहते हैं उनका भी त्योहार और शादी के फंक्शन में पहुंचना जरूरी होता है."-घनश्याम सिंह, कल्याण परिवार के सदस्य
शादी से पहले होती है चर्चा: मुरली चंद्रवंशी कहते हैं कि हमारा परिवार बड़ा है. घर के किसी बेटे की शादी होती है तो उससे पहले लड़की के परिवार वालों को बड़ा परिवार होने और परंपरा की बातें बताई जाती है.जो बड़े परिवार में रिश्ता जोड़ना चाहते है, तभी शादी विवाह की बात आगे बढ़ती है.
"कई बार ऐसा भी हुआ है कि बड़ा परिवार होने के कारण दूसरे परिवार के लोग शादी करने से मना कर देते हैं. हम लोग भी अपनी बच्चियों की शादी करते हैं तो सबसे पहले परिवार को ही देखते हैं कि वह बड़ा है कि नहीं, क्योंकि हमारी बच्ची तो बड़े परिवार में पली बढ़ी है."- मुरली चंद्रवंशी, कल्याण परिवार के सदस्य
चरणस्पर्श कर करते हैं शुरुआत: कल्याण निवास के कैंपस में कल्याण सिंह की एक बड़ी प्रतिमा स्थापित है. घर से निकलने से पहले सभी प्रतिमा के सामने खड़े होकर पहले नमन करते हैं. तब वह घर से बाहर निकलते हैं. फिर वह घर के छोटे सदस्य परिवार के बड़ों का चरणस्पर्श कर दिन की शुरुआत करते हैं.
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