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पीएम मोदी के दो मंत्रियों के बीच वर्चस्व की लड़ाई, सीटों के बंटवारे में फंसेगा पेंच - POLITICAL BATTLE OF BIHAR

बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी के बीच जीतन राम मांझी और चिराग पासवान के बीच एनडीए में वर्चस्व की लड़ाई तेज हो गई है-

जीतन राम मांझी  Vs चिराग पासवान
जीतन राम मांझी Vs चिराग पासवान (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 3, 2025, 8:49 PM IST

पटना : बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं, और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने संयुक्त अभियान की शुरुआत कर दिया है. एनडीए के पांचों दल एक साथ काम कर रहे हैं, लेकिन इन सब के बीच एनडीए के दो घटक दलों के बीच वर्चस्व की लड़ाई सामने आ रही है. खासतौर पर दलित सियासत में जीतन राम मांझी और चिराग पासवान की ताकत का मुकाबला देखने को मिल रहा है.

जीतन राम मांझी की डिनर डिप्लोमेसी : पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने हाल ही में अपनी ताकत का प्रदर्शन किया. मांझी ने डिनर डिप्लोमेसी का सहारा लिया और राज्यपाल, मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को अपने आवास पर बुलाया. इस अवसर पर एनडीए के तमाम बड़े नेता पहुंचे, लेकिन चिराग पासवान इस डिनर से दूर रहे. एक बार फिर यह दिखा कि चिराग पासवान और जीतन राम मांझी एक साथ एक मंच पर नहीं आए हैं.

जीतन राम मांझी की डिनर डिप्लोमेसी (ETV Bharat)

सोशल मीडिया पर वार और राजनीति में बढ़ती खींचतान : सोशल मीडिया पर भी चिराग और मांझी के बीच बयानबाजी देखी गई. सत्य नामक एक व्यक्ति ने सोशल मीडिया पर जीतन राम मांझी और नीतीश कुमार की तारीफ की, जिसके बाद चिराग पासवान पर सवाल उठाए गए. इस पर जीतन राम मांझी ने ट्वीट किया कि “कुछ नहीं करने से बेहतर है मर जाना”. हालांकि, बाद में उन्होंने इसे हटा लिया. इस विवाद ने राजनीति में नए मोड़ ला दिए, और दोनों नेताओं के बीच वर्चस्व की लड़ाई और तीव्र हो गई है.

जीतन राम मांझी की 40 सीटों पर नजर : जीतन राम मांझी और चिराग पासवान के बीच लंबे समय से राजनीतिक टकराव जारी है, जो विधानसभा चुनाव के दौरान और अधिक तेज हो सकता है. जीतन राम मांझी ने एनडीए से विधानसभा की 40 सीटों पर दावा किया है. उनका कहना है कि वह अपनी ताकत दिखाकर चुनावी मैदान में उतरेंगे और अपनी स्थिति मजबूत करेंगे.

नीतीश कुमार और जीतन राम मांझी की गर्मजोशी : हालांकि, नीतीश कुमार के साथ जीतन राम मांझी का संबंध काफी मजबूत रहा है. दोनों नेता जब डिनर डिप्लोमेसी के दौरान मिले तो गर्मजोशी से मिले. संकेत साफ थे कि नीतीश कुमार चिराग पासवान के मुकाबले जीतन राम मांझी को अधिक तवज्जो दे सकते हैं. मांझी के पक्ष में नीतीश कुमार खड़े हो सकते हैं, जो एनडीए के अंदर उनकी स्थिति को मजबूत कर सकता है.

दलित सियासत के दो धुरी नेता : बिहार की सियासत में जीतन राम मांझी और चिराग पासवान दोनों बड़े दलित नेता हैं. जहां चिराग पासवान खुद को दलितों का बड़ा नेता मानते हैं, वहीं जीतन राम मांझी ने खुद को दलितों के हित में मजबूत खड़ा नेता माना है. वह एनडीए के प्रति अपनी लॉयल्टी दिखाते रहे हैं और इसके माध्यम से अपनी राजनीतिक ताकत को और बढ़ाना चाहते हैं.

मांझी का 'लिट्टी चोखा विद मांझी'
मांझी का 'लिट्टी चोखा विद मांझी' (ETV Bharat)

सीटों को लेकर संघर्ष और भविष्य की रणनीतियां : सीटों के मुद्दे पर भी दोनों नेताओं के बीच टकराव बढ़ रहा है. जीतन राम मांझी की पार्टी को पिछले चुनाव में सीटें नहीं मिलीं, जबकि चिराग पासवान को दिल्ली और झारखंड में एक-एक सीट मिली. अब मांझी ने 40 सीटों पर दावा किया है, और वह चुनावी रणनीति में कोई समझौता नहीं करना चाहते. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि मांझी अपनी सीनियरिटी और लंबी विधायी पृष्ठभूमि के आधार पर खुद को बड़ा नेता मानते हैं.

''चिराग पासवान और जीतन राम मांझी दोनों बड़े नेता हैं. दिल्ली चुनाव में व्यस्त होने के चलते चिराग जी भोज में नहीं आ सके. जहां तक सीटों का सवाल है तो एनडीए के प्लेटफार्म पर यह तय होगा कि कौन कितनी सीट पर लड़ेगा.''- मनीष सिंह, प्रवक्ता, लोजपा (रामविलास)

जीतन राम मांझी  Vs चिराग पासवान
जीतन राम मांझी Vs चिराग पासवान (ETV Bharat)

चिराग पासवान और जीतन राम मांझी की सियासी खींचतान : चिराग पासवान और जीतन राम मांझी के बीच लगातार मतभेद रहे हैं. भारत बंद, वक्फ बोर्ड, और अन्य मुद्दों पर दोनों नेताओं के दृष्टिकोण अलग रहे हैं. अब यह देखना होगा कि विधानसभा चुनाव में एनडीए के भीतर सीटों का बंटवारा कैसे होता है और कौन अपने दावे को सच साबित कर पाता है?

''डिनर पर एनडीए के तमाम बड़े नेता आए. चिराग पासवान की पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष आए थे. किसी काम में व्यस्त होने के चलते चिराग नहीं आ सके होंगे. जिसके पास जितना जिताउ उम्मीदवार होंगे उसे उतनी सीटें मिलेगी.''- श्याम सुंदर शरण, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हम

दलित धुरी के दो नेताओं का साथ आना मुश्किल? : एनडीए के भीतर चल रही राजनीति और सीटों को लेकर संघर्ष एक दिलचस्प मोड़ पर पहुंच चुका है. चिराग पासवान और जीतन राम मांझी दोनों के बीच राजनीतिक वर्चस्व की यह लड़ाई चुनाव के दौरान और गहरा सकती है. इस सियासी मुकाबले में जीतन राम मांझी अपनी ताकत का पूरा इज़हार करने की योजना बना रहे हैं, जबकि चिराग पासवान अपनी स्थिति मजबूत बनाए रखने की कोशिश करेंगे.

मांझी और नीतीश
मांझी और नीतीश (ETV Bharat)

''जीतन राम मांझी सीनियरिटी के चलते खुद को बड़ा नेता मानते हैं. वह मुख्यमंत्री रह चुके हैं और उनका विधायी करियर लंबा है. जीतन राम मांझी इस बात को लेकर नाराज हैं कि एनडीए के अंदर चिराग पासवान को अधिक महत्व मिल रहा है, जबकि उन्हें कमतर आंका जा रहा है. जीतन राम मांझी विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान से कम सीटों पर समझौता करना नहीं चाहेंगे. इस बात के संकेत भी उन्होंने 40 सीटों पर दावा कर दे दिया है.''- संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

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पटना : बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं, और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने संयुक्त अभियान की शुरुआत कर दिया है. एनडीए के पांचों दल एक साथ काम कर रहे हैं, लेकिन इन सब के बीच एनडीए के दो घटक दलों के बीच वर्चस्व की लड़ाई सामने आ रही है. खासतौर पर दलित सियासत में जीतन राम मांझी और चिराग पासवान की ताकत का मुकाबला देखने को मिल रहा है.

जीतन राम मांझी की डिनर डिप्लोमेसी : पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने हाल ही में अपनी ताकत का प्रदर्शन किया. मांझी ने डिनर डिप्लोमेसी का सहारा लिया और राज्यपाल, मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को अपने आवास पर बुलाया. इस अवसर पर एनडीए के तमाम बड़े नेता पहुंचे, लेकिन चिराग पासवान इस डिनर से दूर रहे. एक बार फिर यह दिखा कि चिराग पासवान और जीतन राम मांझी एक साथ एक मंच पर नहीं आए हैं.

जीतन राम मांझी की डिनर डिप्लोमेसी (ETV Bharat)

सोशल मीडिया पर वार और राजनीति में बढ़ती खींचतान : सोशल मीडिया पर भी चिराग और मांझी के बीच बयानबाजी देखी गई. सत्य नामक एक व्यक्ति ने सोशल मीडिया पर जीतन राम मांझी और नीतीश कुमार की तारीफ की, जिसके बाद चिराग पासवान पर सवाल उठाए गए. इस पर जीतन राम मांझी ने ट्वीट किया कि “कुछ नहीं करने से बेहतर है मर जाना”. हालांकि, बाद में उन्होंने इसे हटा लिया. इस विवाद ने राजनीति में नए मोड़ ला दिए, और दोनों नेताओं के बीच वर्चस्व की लड़ाई और तीव्र हो गई है.

जीतन राम मांझी की 40 सीटों पर नजर : जीतन राम मांझी और चिराग पासवान के बीच लंबे समय से राजनीतिक टकराव जारी है, जो विधानसभा चुनाव के दौरान और अधिक तेज हो सकता है. जीतन राम मांझी ने एनडीए से विधानसभा की 40 सीटों पर दावा किया है. उनका कहना है कि वह अपनी ताकत दिखाकर चुनावी मैदान में उतरेंगे और अपनी स्थिति मजबूत करेंगे.

नीतीश कुमार और जीतन राम मांझी की गर्मजोशी : हालांकि, नीतीश कुमार के साथ जीतन राम मांझी का संबंध काफी मजबूत रहा है. दोनों नेता जब डिनर डिप्लोमेसी के दौरान मिले तो गर्मजोशी से मिले. संकेत साफ थे कि नीतीश कुमार चिराग पासवान के मुकाबले जीतन राम मांझी को अधिक तवज्जो दे सकते हैं. मांझी के पक्ष में नीतीश कुमार खड़े हो सकते हैं, जो एनडीए के अंदर उनकी स्थिति को मजबूत कर सकता है.

दलित सियासत के दो धुरी नेता : बिहार की सियासत में जीतन राम मांझी और चिराग पासवान दोनों बड़े दलित नेता हैं. जहां चिराग पासवान खुद को दलितों का बड़ा नेता मानते हैं, वहीं जीतन राम मांझी ने खुद को दलितों के हित में मजबूत खड़ा नेता माना है. वह एनडीए के प्रति अपनी लॉयल्टी दिखाते रहे हैं और इसके माध्यम से अपनी राजनीतिक ताकत को और बढ़ाना चाहते हैं.

मांझी का 'लिट्टी चोखा विद मांझी'
मांझी का 'लिट्टी चोखा विद मांझी' (ETV Bharat)

सीटों को लेकर संघर्ष और भविष्य की रणनीतियां : सीटों के मुद्दे पर भी दोनों नेताओं के बीच टकराव बढ़ रहा है. जीतन राम मांझी की पार्टी को पिछले चुनाव में सीटें नहीं मिलीं, जबकि चिराग पासवान को दिल्ली और झारखंड में एक-एक सीट मिली. अब मांझी ने 40 सीटों पर दावा किया है, और वह चुनावी रणनीति में कोई समझौता नहीं करना चाहते. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि मांझी अपनी सीनियरिटी और लंबी विधायी पृष्ठभूमि के आधार पर खुद को बड़ा नेता मानते हैं.

''चिराग पासवान और जीतन राम मांझी दोनों बड़े नेता हैं. दिल्ली चुनाव में व्यस्त होने के चलते चिराग जी भोज में नहीं आ सके. जहां तक सीटों का सवाल है तो एनडीए के प्लेटफार्म पर यह तय होगा कि कौन कितनी सीट पर लड़ेगा.''- मनीष सिंह, प्रवक्ता, लोजपा (रामविलास)

जीतन राम मांझी  Vs चिराग पासवान
जीतन राम मांझी Vs चिराग पासवान (ETV Bharat)

चिराग पासवान और जीतन राम मांझी की सियासी खींचतान : चिराग पासवान और जीतन राम मांझी के बीच लगातार मतभेद रहे हैं. भारत बंद, वक्फ बोर्ड, और अन्य मुद्दों पर दोनों नेताओं के दृष्टिकोण अलग रहे हैं. अब यह देखना होगा कि विधानसभा चुनाव में एनडीए के भीतर सीटों का बंटवारा कैसे होता है और कौन अपने दावे को सच साबित कर पाता है?

''डिनर पर एनडीए के तमाम बड़े नेता आए. चिराग पासवान की पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष आए थे. किसी काम में व्यस्त होने के चलते चिराग नहीं आ सके होंगे. जिसके पास जितना जिताउ उम्मीदवार होंगे उसे उतनी सीटें मिलेगी.''- श्याम सुंदर शरण, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हम

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मांझी और नीतीश
मांझी और नीतीश (ETV Bharat)

''जीतन राम मांझी सीनियरिटी के चलते खुद को बड़ा नेता मानते हैं. वह मुख्यमंत्री रह चुके हैं और उनका विधायी करियर लंबा है. जीतन राम मांझी इस बात को लेकर नाराज हैं कि एनडीए के अंदर चिराग पासवान को अधिक महत्व मिल रहा है, जबकि उन्हें कमतर आंका जा रहा है. जीतन राम मांझी विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान से कम सीटों पर समझौता करना नहीं चाहेंगे. इस बात के संकेत भी उन्होंने 40 सीटों पर दावा कर दे दिया है.''- संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

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