शिमला: हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी शिमला पर हेल्थ मिनिस्ट्री की गाइडलाइन का उल्लंघन करने का आरोप लगा है. जहां एक ओर आईजीएमसी में मरीजों को निशुल्क सेवा देने की बात की जा रही है. वहीं, अस्पताल में जो एचआईवी के टेस्ट होते हैं, उसे भी निजी लैब में करवाने के आरोप हैं, जिससे मरीजों को काफी परेशानियां उठानी पड़ रही हैं. जबकि हेल्थ मिनिस्ट्री की गाइडलाइन में ये साफ है कि एचआईवी टेस्ट सरकारी अस्पताल के अंदर अपनी लैब में करवाए जाएं या फिर अस्पताल की अधिकृत लैब से टेस्ट करवाए जा सकते हैं. आईजीएमसी अस्पताल पर इन नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगा है.
तीमारदार का अस्पताल पर आरोप
आईजीएमसी अस्पताल के मरीज के तीमारदार ने आरोप लगाया है कि बीते रविवार को अपनी मां का इलाज करवाने के लिए आईजीएमसी के के ट्रॉमा सेंटर इमरजेंसी में गए थे. यहां उन्हें एचआईवी का टेस्ट करवाने के लिए कहा गया. इस दौरान वहां मौजूद डॉक्टर ने कहा कि वो इस टेस्ट को प्राइवेट क्लीनिक में करवाएं, क्योंकि छुट्टी होने के चलते अस्पताल के अंदर टेस्ट नहीं करवाए जा रहे हैं. तीमारदार का कहना है कि उन्हें एचआईवी टेस्ट के लिए अतिरिक्त 300 रुपए टेस्ट फीस देनी पड़ी. इसके अलावा भी अन्य 15 और मरीजों को इस लैब में टेस्ट करवाने के लिए भेजा गया. तीमारदार का कहना है कि अस्पताल के अंदर ये सुविधा क्यों नहीं दी जा रही है, जबकि यहां पर पर फ्री में एचआईवी का टेस्तट करवाया जाता है.
रोहड़ू में भी सामने आया था ऐसा मामला
पहले भी हिमाचल में एक ऐसा मामला सामने आया था. जब एक प्राइवेट क्लीनिक ने स्वस्थ मरीज की एचआईवी रिपोर्ट को खराब बता दिया था. इसको लेकर तब पूरे प्रदेश में खूब बवाल हुआ था. रोहड़ू के एक निजी क्लीनिक में महिला ने अपना एचआईवी टेस्ट करवाया था, तो वो पॉजिटिव था, लेकिन जब महिला ने सरकारी अस्पताल में ये टेस्ट करवाया तो वो नेगेटिव था. ऐसे में इस मामले के बाद से सरकार की ओर से सख्त निर्देश दिए गए हैं कि सरकारी अस्पताल आने वाले मरीजों का एचआईवी टेस्ट अस्पताल की ही लैब में करवाया जाए.
WHO और हेल्थ मिनिस्ट्री की गाइडलाइन