पटनाःप्रधानमंत्रीनरेंद्र मोदी 15 नवंबर को बिरसा मुंडा जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने जमुई आए थे. उस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी पहुंचे थे. कार्यक्रम में सभा को संबोधित करते हुए नीतीश कुमार ने एक बार फिर से एनडीए के साथ बने रहने की बात दोहरायी. उन्होंने कहा कि अब हम सब दिन इनलोगों के साथ ही रहेंगे. महागठबंधन से अलग होने के बाद, जब से नीतीश कुमार एनडीए में शामिल हुए हैं वो लगातार इस बात को दोहरा रहे हैं.
तीसरी बार एनडीए में हुए शामिलः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जनवरी 2024 में लोकसभा चुनाव से पहले महागठबंधन छोड़ एनडीए में शामिल हुए थे. इससे पहले नीतीश कुमार भाजपा को हटाने के लिए मुहिम चला रहे थे. उनके ही प्रयास के फलस्वरूप इंडिया गठबंधन अस्तित्व में आया. इसके बाद ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तीसरी बार एनडीए में शामिल हो गये. एनडीए में शामिल होने के बाद से नीतीश कुमार लगातार हर मंच से यह कह रहे हैं कि, अब वह इधर-उधर नहीं जाएंगे. उनकी भविष्य की सियासत एनडीए के साथ होगी.
विपक्ष साधता रहा है निशानाः नीतीश कुमार के इस बयान पर विपक्षी दल निशाना साधते रहे हैं. हाल में राजद सांसद सुधाकर सिंह ने भी एक बयान में कहा था कि "नीतीश कुमार यह बात कह रहे हैं तो जरूर दाल में कुछ न कुछ काला है." तेजस्वी यादव, उन्हें पलटू चाचा कहकर संबोधित करते हैं.आखिर नीतीश कुमार बार-बार क्यों ऐसा बयान दे रहे हैं, इस पर राजनीति के जानकार से ईटीवी भारत ने विस्तार से बात की. जिसके बाद 10 वजह सामने आयी कि, क्यों नीतीश कुमार लगातार इस तरह का बयान दे रहे हैं.
वो 10 वजह, जो नीतीश कुमार को बयान दोहराने के लिए मजबूर कर रहा हैः
- नीतीश कुमार अपनी छवि को बदलना चाहते हैं और खुद को विश्वसनीय राजनेता के रूप में प्रतिस्थापित करना चाहते हैं.
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विश्वास जीतना चाहते हैं. प्रधानमंत्री का विश्वास जीतकर ही बिहार को विकास के पथ पर लाने की मुहिम में लगे हैं.
- विरोधी लगातार नीतीश कुमार को लेकर यह भ्रम पैदा कर रहे हैं कि वह जल्द पाला बदलने वाले हैं, इसलिए वो अपना कमिटमेंट दर्शा रहे हैं.
- कार्यकर्ताओं का विश्वास जीतना चाहते हैं. राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में नीतीश ने पाला बदलने के लिए कार्यकर्ता से माफी भी मांगी थी.
- एनडीए में नीतीश के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी बचा कर रखना आसान होगा, महागठबंधन में तेजस्वी को गद्दी सौंपने का वादा किया था.
- बिहार बीजेपी के नेताओं का विश्वास जीतना चाहते हैं. बयान के जरिए नीतीश कुमार उनका सहयोग हासिल करना चाहते हैं.
- नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली पार्टी जदयू, लंबे समय तक भाजपा के साथ गठबंधन में रही है. मिजाज भी एनडीए से मेल खाता है.
- सहयोगी दलों का विश्वास जीतना चाहते हैं क्योंकि उनके समर्थन से ही वह बिहार में मुख्यमंत्री के पद पर बने रह सकते हैं.
- केंद्र में भाजपा की सरकार है और केंद्र की सरकार से नीतीश कुमार बेहतर सामंजस्य स्थापित करना चाहते हैं.
- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 2025 के विधानसभा चुनाव को साधना चाहते हैं. कार्यकर्ताओं के बीच बेहतर सामंजस्य बने.