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शिक्षण संस्थान नहीं दे रहे ध्यान, लापरवाही से अटक सकती है स्कॉलरशिप, स्टूडेंट्स हो सकते हैं परेशान - MEERUT NEWS

मेरठ में ऐसे शिक्षण संस्थान हैं, जो स्कॉलरशिप के लिए दिलचस्पी नहीं ले रहे है. जिसकी वजह से स्टूडेंट्स स्कॉलरशिप से वंचित रह सकते है.

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मेरठ जिला समाजकल्याण अधिकारी (Photo Credit; ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 9, 2024, 8:24 PM IST

मेरठ:ऐसे स्टूडेंट्स जो कि स्कॉलरशिप पाने के हकदार हैं, उनके लिए यह खबर बेहद ही काम की है. लेकिन, आकड़ों पर अगर नजर डालें, तो मेरठ में अभी तक सैकड़ों ऐसे शिक्षण संस्थान हैं जो दिलचस्पी नहीं ले रहे है. जिसकी वजह से स्टूडेंट्स को स्कॉलरशिप से वंचित रहना पड़ सकता है. असल पात्र को छात्रवृत्ति का लाभ मिले, इसके लिए सीएम योगी की सरकार ने कई अहम निर्णय लिये हैं. कई नियमों में बदलाव किया गया है. सरकार की मंशा भी इससे जाहिर होती है, कि सरकार ऐसे स्टूडेंट्स के प्रति बेहद ही गंभीर है. यही वजह है, कि पुरानी व्यवस्था में परिवर्तन किया गया है. नई व्यवस्था में अब सरकार किसी भी प्रकार के फर्जीवाड़े को रोकने के लिए बायोमेट्रिक मशीन का सहारा ले रही है.

नई व्यवस्था के तहत अब छात्रवृत्ति लेने के लिए पहले स्कूल के प्रधानाचार्य या किसी भी शिक्षण संस्थान के नियुक्त किए गये जिम्मेदार को, छात्रवृत्ति नोडल अधिकारी को छात्रवृत्ति के पोर्टल पर अंगूठे के निशान देने होंगे. उसके बाद ये वेब पोर्टल स्कूल में प्रिंसिपल और नोडल अधिकारी के अंगूठे के निशान से खुलेगा. इसके लिए दस दिसंबर तक सभी शिक्षण संस्थान के जिम्मेदारों को अपनी बायोमेट्रिक अनिवार्य रूप से करानी होगी. मेरठ जिले की स्थिति बेहद ही खराब है. जिम्मेदार अधिकारियों का मानना है, कि सैकड़ों की संख्या ऐसे शिक्षण संस्थानों की है, जो इसमें रूचि ही नहीं ले रहे है. जो रूचि ले भी रहे हैं, वह भी पूरी तरह से गंभीर नहीं हैं.

जिला समाज कल्याण अधिकारी सुनील कुमार सिंह ने दी जानकारी (Video Credit; ETV Bharat)


पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक वर्ग के स्टूडेंट्स बाहर:मेरठ के जिला समाजकल्याण अधिकारी सुनील कुमार सिंह ने ईटीवी भारत को बताया, कि जब सभी शिक्षण संस्थान के जिम्मेदार अपने बायोमेट्रिक के माध्यम से रजिस्टर्ड हो जाएंगे, उसके बाद वह अपने स्कूल, विद्यालय या शिक्षण संस्थान के आवेदनकर्ता विद्यार्थी से अंगूठे का निशान लेंगे. इस पूरी प्रक्रिया के बावजूद भी जांच के बाद ही डाटा लखनऊ तक जाएगा. यानि तभी स्टूडेंट को छात्रवृत्ति मिल पाएगी. अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक छात्रों के लिए यह बाध्यता नहीं है. ये अभी सिर्फ अनुसूचित जाति और सामान्य वर्ग के लिए है.

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बिना KYC और बायोमेट्रिक छात्रवृत्ति से वंचित रह सकते हैं स्टूडेंट्स: सुनील कुमार ने बताया, कि छात्रवृति योजना में पार्दर्शिता लाने के लिए भारत सरकार के निर्देश पर प्रदेश के जो भी शिक्षण संस्थान हैं, उनमें नई व्यवस्था अब चालू की जा रही है. अलग अलग शैक्षनिक वर्ग के लिए स्कीम हैं. इसमें बदलाव यह किया गया है, कि इन तमाम संस्थानों में जो प्रधानाचार्य हैं, प्राचार्य हैं, निदेशक हैं या छात्रवृति के लिए जो नोडल अधिकारी हैं उनके द्वारा ई केवाईसी कराकर पहले खुद को रजिस्टर करना है. उसके बाद जो लिंक दिया गया है, उस पर जिम्मेदार छात्रवृत्ति के लिए चयनित नोडल अधिकारी को अपना ई केवाइसी कराना है.

जिले में शिक्षण संस्थाओं को अलग अलग दिया गया प्रशिक्षण:जिला समाज कल्याण अधिकारी ने बताया, कि पहले प्रशिक्षण दिया गया उसके बाद शिक्षण संस्थानों के जिम्मेदारों का ईकेवाईसी कराने का प्रयास किया जा रहा है. सभी शिक्षण संस्थानों के ऐसे जिम्मेदारों की केवाईसी कराकर पात्र स्टूडेंट्स अपनी स्कॉलरशिप के लिए भी बायमेट्रिक कराएंगे.

पारदर्शिता लाने को सरकार ने उठाया है यह कदम:जिम्मेदार अधिकारियों का मानना है, कि स्टूडेंट्स जब छात्रवृति के लिए अपना आवेदन पत्र संबंधित शिक्षण संस्थान में जमा कराते हैं, तो फिर वहां उनको स्वयं मौजूद रहकर अपनी केवाईसी की प्रक्रिया बकायदा अपने थम्ब के साथ पूर्ण करानी होगी.
इसमें सबसे बड़ी बात यह है, कि एक तो जो पात्र हैं वहीं आवेदन कर पाएंगे. दूसरा इसमें किसी भी तरह की कोई गुंजाईश नहीं रहेगी. जब तक स्टूडेंट् स्वयं आकर बायमेट्रिक का चरण पूर्ण नहीं कराएगा, तब तक संस्थान उसका फॉर्म छात्रवृति के लिए अग्रसारित नहीं कर पाएगा. इससे पारदर्शिता आएगी और उनका सारा डेटा जिला समाजकल्याण विभाग के पास भी पहुंच जाएगा.

स्कॉलरशिप न मिल पाने के आरोप शिक्षण संस्थाओं पर लगते थे हर साल:गौरतलब है, कि हर साल हजारों ऐसे मामले सरकार के सामने प्रदेश भर से स्कॉलरशिप से जुड़े सामने आ रहे थे, जिसमें शिक्षण संस्थानों पर कई तरह के आरोप स्टूडेंट्स और अभिभावकों के द्वारा लगाए जाते थे. कई बार तो यहां तक भी आरोप लगे हैं, कि स्टूडेंट्स की छात्रवृत्ति का पैसा तक भी शिक्षण संस्थान के द्वारा हड़प लिया गया. या फिर छात्र को नहीं मिल पाया. अब लेकिन इस पूरी प्रक्रिया के बाद ऐसा नहीं हो सकेगा. इसके साथ ही जहां बायोमेट्रिक की प्रक्रिया पूर्ण नहीं होगी उन्हें स्कॉलरशिप नहीं दी जाएगी.

अलग अलग स्तर पर अध्ययनरत छात्र छात्राओं को मिलती है अलग अलग स्कॉलरशिप:जिला समाजकल्याण अधिकारी सुनील कुमार बताते हैं, कि कक्षा 9 से तमाम शिक्षण संस्थानों की बात करें तो, जिले में 800 के लगभग शिक्षण संस्थान हैं. जिनमें लगभग अकेले मेरठ जनपद में ही पिछले वर्ष में लगभग 23, 000 बच्चे इस योजना के तहत स्कॉलरशिप से लाभान्वित हुए हैं. यहां यह जानना भी जरूरी है, कि छात्रवृति योजना का लाभ उन अध्ययनरत छात्र और छात्राओं को मिलता है, जिनमें अनुसूचित जाति वर्ग के ढाई लाख या उससे कम वार्षिक आय वाले स्टूडेंट के लिए लाभ मिलता है. वहीं सामान्य वर्ग में दो लाख या उससे कम वार्षिक आय वाले गार्जियन के बेटे बेटियों को लाभ मिल सकता है. बीते वर्ष अकेले मेरठ जिले में ही लगभग 66 करोड़ रूपये की स्कॉलरशिप सरकार की तरफ से दी गई थी.


जिला समाज कल्याण अधिकारी सुनील कुमार सिंह का स्पष्ट तौर पर कहना है, कि 10 दिसंबर तक इसके लिए डेडलाइन है. इससे पहले ही सभी विद्यालयों को प्राइमरी बायोमेट्रिक के चरण से गुजरना अनिवार्य है. लेकिन, मेरठ में आधे से भी अधिक शिक्षण संस्थान की लापरवाही उन स्टूडेंट्स के सामने मुश्किल खड़ी कर सकती है, जो छात्रवृत्ति के हकदार हैं. लेकिन, वह जिस शिक्षण संस्थान में पढ़ रहे हैं वो अभी तक भी गंभीर नहीं हैं. अफसरों का स्पष्ट तौर पर कहना है, कि जो स्कूल, कॉलेज या शिक्षण संस्थान रूचि नहीं लेंगे उनके विरुद्ध कार्रवाई करते हुए, छात्रवृति स्कीम से बाहर भी किया जा सकता है.

यह भी जान लें:छात्रवृति योजना का लाभ अलग अलग श्रेणी में स्टूडेंट्स को मिलता है. स्कॉलरशिप योजना का लाभ प्राथमिक, माध्यमिक, और उच्च शिक्षा में पढ़ने वाले छात्रों को दिया जाता है. इस योजना के अंतर्गत प्री-मैट्रिक (9वीं और 10वीं कक्षा) और पोस्ट-मैट्रिक (11वीं, 12वीं और स्नातक स्तर) स्कॉलरशिप शामिल हैं.

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