नर्मदापुरम. सिवनी मालवा के प्रसिद्द नर्मदा तट बाबरी घाट पर रहने वाले श्री श्री 1008 चितम्बरनाथ महाराज का बुधवार को निधन हो गया. चितम्बरनाथ महाराज (Chitambarnath Maharaj) 105 वर्ष के थे. संत परंपरा के मुताबिक उन्हें बुधवार को आश्रम के पास ही भू-समाधि दी गई. उनका यह आश्रम सिवनी मालवा के ग्राम बाबरी-पथाड़ा के मध्य बना हुआ है.
पहले एयर ट्रैफिक कंट्रोलर थे चितम्बरनाथ
जानकार बताते है की चितम्बरनाथ महाराज कर्नाटक के धारवाड़ जिले के ग्राम बेलगांव के रहने वाले थे. वे पहले गुजरात के बड़ौदा में एयर ट्रैफिक कंट्रोलर थे. बाद में उन्होंने नौकरी छोड़कर संन्यास ले लिया और बाबा बन गए थे. बताया जाता है कि चितम्बरनाथ बाबा ने बाद में नाथ संप्रदाय से दीक्षा ग्रहण की थी और 55 साल पहले बाबरी घाट में आए थे. यहीं उन्होंने अपना आश्रम बनाया था.
विधि-विधान से दी गई भू-समाधि
जानकार बताते हैं कि हिन्दू धर्म में सामान्यत: मृत्यु के बाद शव को जलाया जाता है, लेकिन साधु परंपरा में ऋषि मुनियों को समाधि दी जाती है. जिस तरह आम लोगों को मृत्यु के बाद तैयार किया जाता है, उसी प्रकार संत-महात्माओं काे भी विधि-विधान से तैयार किया जाता है. चितम्बरनाथ महाराज को भी इसी तरह समाधि के लिए तैयार किया गया. उन्हें चंदन का तिलक लगाया जाता है और पूरे शरीर पर भस्म लगाई गई. समाधि देने से पहले खासतौर पर उनका कमंडल और दंड भी साथ रखा गया.