भोपाल:मध्य प्रदेश में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के अस्थाई कर्मचारियों की दिहाड़ी मनरेगा में काम करने वाले श्रमिकों से भी कम है. मनरेगा में 240 रुपए दिहाड़ी है, लेकिन ये अस्थाई कर्मचारी दिन का केवल 70 से 80 रुपए पाते हैं. लाड़ली बहना योजना में मध्य प्रदेश की महिलाओं को जो मासिक किश्त मिलती है, उसमें केवल 800 रुपयों के इजाफे के साथ प्रदेश भर की पंचायतों में काम कर रहे भृत्य और चौकीदारों की पूरी महीने की पगार हो जाती है. 50 जिलों और 150 से अधिक विकास खंडों में काम कर रहे ये कर्मचारी मुख्यमंत्री तक अपनी आवाज पहुंचा चुके हैं. कोई सुनवाई नहीं होने पर अब वे फरवरी में नागपुर जाकर संघ प्रमुख मोहन भागवत को अपनी व्यथा सुनाएंगे.
मोहन भागवत से मिलेगे एमपी तृतीय, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी
मध्य प्रदेश में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी या तो अस्थाई हैं या आउटसोर्सिंग पर काम कर रहे हैं. ऑल डिपार्टमेंट आउटसोर्स अस्थाई कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष वासुदेव शर्मा ने बताया कि "मनरेगा से भी कम मजदूरी पर कर्मचारी पंचायतों में काम कर रहे हैं. मनरेगा में मजदूरी 250 रुपए तक है. जबकि इन कर्मचारियों को 70-80 रुपए दिन का मिलता है. ग्राम पंचायतों में जमीदारी जैसी प्रथा हो गई है. पंचायती राज में जिन्हें भृत्य के तौर पर, नल सुधारने वाले या चौकीदार के तौर पर काम मिलता है, उन्हें केवल 2 से 3 हजार रुपए दिए जा रहे हैं, जो सरासर अन्याय है."
मोहन भागवत से मिलेगे एमपी तृतीय, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी (ETV Bharat) वासुदेव शर्मा ने बताया कि "पहले चरण में हम अस्थाई और आउसोर्स कर्मचारियों के हालात से मुख्यमंत्री को अवगत करा चुके हैं. अब दूसरे चरण में हम फरवरी में नागपुर जाएंगे, वहां संघ प्रमुख मोहन भागवत को स्थिति से अवगत कराएंगे. उनसे मांग की जाएगी कि इन कर्मचारियों के साथ हो रहे अन्याय को रोकने के लिए सरकार को मार्गदर्शन दें."
आउटसोर्स कर्मचारियों को परमानेंट करने की मांग (ETV Bharat) प्रदेश में तृतीय, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के क्या हैं हालात?
मध्य प्रदेश के सभी विभागों में करीब 1 लाख और ग्राम पंचायतों में 70-80 हजार तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी हैं. जिनमें पंचायतों में काम करने वाले चौकीदार, पंप ऑपरेटर और भृत्यों से 2-3 हजार रुपए मासिक में काम कराया जा रहा है. वासुदेव शर्मा का कहना है कि "ये भी सरपंच सचिव की मेहरबानी पर हो पाता है. कलेक्ट्रेट, स्कूलों, छात्रावासों, बिजली विभाग, स्वास्थ्य विभाग, नगर निगम, दुग्ध संघ सहित ज्यादातर विभागों में कर्मचारी अस्थाई और आउटसोर्स पर ही हैं."
'गजट नोटिफिकेशन जारी होने के बाद भी अमल नहीं' (ETV Bharat) उन्होंने आगे कहा कि "अन्याय सिर्फ ग्राम पंचायतों के कर्मचारियों के साथ ही नहीं हो रहा, दूसरे सरकारी विभागों में काम करने वाले आउटसोर्स, ठेका श्रमिक कर्मचारी भी इसी तरह के अन्याय के शिकार है. सरकारी विभागों का कंपनीकरण किया जा रहा है. तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की सारी नौकरियां आउटसोर्स और अस्थाई की जा चुकी है. जिसमें भुखमरी का वेतन मिलता है और कभी भी नौकरी से निकाल दिया जाता है. जिस तेजी के साथ सरकारी विभागों का कंपनीकरण हो रहा है, ऐसा लग रहा है कि सरकारी विभागों में सिर्फ अधिकारी ही सरकारी होंगे, बाकी सभी कर्मचारी ठेके वाले होंगे."
'गजट नोटिफिकेशन जारी होने के बाद भी अमल नहीं'
ऑल डिपार्टमेंट आउटसोर्स अस्थाई कर्मचारी संयुक्त मोर्चा का कहना है कि "अंशकालीन कर्मचारियों को चतुर्थ श्रेणी का कर्मचारी बनाने और स्कूलों-छात्रावासों के रसोइयों, भृत्यों व चौकीदारों को कलेक्टर दर पर वेतन देने के निर्णयों पर गजट नोटिफिकेशन जारी होने और आदेश निकलने के बाद भी उस पर अमल नहीं हो रहा है. स्कूल शिक्षा एवं आदिम जाति कल्याण विभाग के स्कूलों, छात्रावासों सहित विभिन्न विभागों में कार्यरत अंशकालीन कर्मचारियों को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का दर्जा देने का निर्णय मध्य प्रदेश शासन का है."
मोहन भागवत से मिलेगे एमपी तृतीय, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी (ETV Bharat) 5 हजार सैलरी के भी कम में काम कर रहे कर्मचारी
पशु चिकित्सा विभाग ने 3 नवंबर 2022 को मध्य प्रदेश राजपत्र में नोटिफिकेशन जारी करते हुए अंशकालीन कर्मचारियों की भर्ती तथा सेवा शर्तों में संशोधन करते हुए उन्हें चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का दर्जा दिया, लेकिन वहां भी इस पर अमल नहीं हुआ. वे महज 5000 रुपए में ही काम कर रहे हैं. इसी तरह मध्य प्रदेश शासन के निर्णयानुसार ही लोक शिक्षण संचनालय (डीपीआई) ने 2 अक्टूबर 2024 को मुख्य रसोइयां, सहायिका, सुरक्षाकर्मियों और भृत्यों को कलेक्टर दर पर भुगतान करने के आदेश निकाले, लेकिन उन्हें उत्कृष्ट व मॉडल स्कूलों के अस्थाई चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों तक सीमित कर दिया गया.
अध्यक्ष वासुदेव ने कहा कि "3 नवंबर 2022 का पशु चिकित्सा विभाग का गजट नोटिफिकेशन व 2 अक्टूबर 2024 का लोक शिक्षण संचनालय (डीपीआई) का कलेक्टर दर पर भृत्य, रसोईयों, सुरक्षाकर्मियों को वेतन देने के आदेश से साफ है कि शासन स्तर पर अंशकालीन, अस्थाई चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के बारे में निर्णय तो होते हैं, लेकिन अधिकारी इन पर अमल नहीं करते हैं.
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की ये हैं मांगे
सरकार अंशकालीन कर्मचारियों को चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी का दर्जा दे.
एसएमडीसी से रखे गए भृत्यों, रसोइयों व सुरक्षाकर्मियों को कलेक्टर दर पर वेतन दिया जाए.
पंचायतों में काम कर रहे कर्मचारियों का उचित वेतनमान हो.
पंचायतों में काम कर रहे इन कर्मचारियों को नियमित किया जाए.