उत्तरकाशी: भैया दूज के पावन पर्व पर मां गंगा की भोग मूर्ति को मुखबा स्थित गंगा मंदिर में विराजमान कर दिया गया है. अब शीतकाल में श्रद्धालु मुखबा में ही मां गंगा के दर्शन और पूजा-अर्चना का पुण्य लाभ अर्जित कर सकेंगे. इस दौरान गांव में डोली पहुंचने पर ग्रामीणों ने फूल मालाओं से डोली का भव्य स्वागत किया.
शनिवार को गंगोत्री मंदिर के कपाट बंद होने के बाद मां गंगा की डोली यात्रा देर शाम मार्कंडेय स्थित चंडी देवी के मंदिर पहुंच गई थी. यहां पूरी रात भजन-कीर्तन के साथ श्रद्धालुओं ने रात्रि जागरण किया. रविवार सुबह धराली और मुखबा के समेश्वर देवता की डोलियां और उपला टकनौर क्षेत्र के हर्षिल, धराली, मुखबा, बगोरी, झाला, जसपुर, पुराली, छोलमी आदि गांवों के ग्रामीण मां गंगा के स्वागत के लिए मार्कंडेयपुरी पहुंचे.
मां गंगा की भोग मूर्ति (photo-ETV Bharat) अपराह्न करीब 1 बजे गंगा जी की डोली यात्रा मार्कंडेयपुरी से मुखबा गांव के लिए रवाना हुई. करीब 2 बजे डोली यात्रा का मुखबा गांव पहुंचने पर ग्रामीणों द्वारा भव्य स्वागत किया गया, जिसके बाद विधि-विधान के साथ मां गंगा की भोग मूर्ति को यहां गंगा मंदिर में विराजमान किया गया. इस दौरान तीर्थ पुरोहितों के इस गांव में हर घर में विशेष पकवान तैयार कर मेहमानों की खूब आवभगत की गई.
मंदिर के पुजारी सुधांशू सेमवाल ने बताया कि शीतकाल में देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु मुखबा गांव में ही मां गंगा के दर्शन और पूजा अर्चना करेंगे. उन्होंने कहा कि कपाट बंद होने के बाद धाम से जुड़े कई लोग बेरोजगार हो जाते हैं. अगर शीतकालीन यात्रा चले तो यहां के लोगों का रोजगार भी चलेगा. उन्होंने सरकार से यहां भी मांग की है कि वह शीतकालीन यात्रा चलाए.
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