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जानें 12 अप्रैल 1974 को ऐसा क्या हुआ कि जेपी साइकिल से पहुंच गये थे गया के गांधी मैदान - Gaya Jaiprakash Narayan Movement - GAYA JAIPRAKASH NARAYAN MOVEMENT

Loknayak Jaiprakash Narayan: संपूर्ण क्रांति के नायक जयप्रकाश नारायण ने बिहार को बदलने का सपना देखा था. आंदोलन के 50 वर्ष पूरे हो जाने के बाद भी उनका सपना अधूरा है. गया गोलीकांड के बाद जयप्रकाश नारायण ने छात्र आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए गया पहुंचे थे. गया के ऐतिहासिक गांधी मैदान में विशाल सभा हुई थी. आज जेपी आंदोलन के 50 वर्ष पूरे हो गये हैं, फिर भी उन्होंने जो संपूर्ण क्रांति का सपना देखा था वह अधूरा है. पढ़ें पूरी खबर.

लोकनायक जयप्रकाश नारायण
लोकनायक जयप्रकाश नारायण

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Apr 12, 2024, 7:45 PM IST

गया गोलीकांड के 50 वर्ष पूरे

गया:आज यानी 12 अप्रैल को ही बिहार के गया में गोलीकांड हुई थी. जिसके बाद संपूर्ण क्रांति के लोकनायक जयप्रकाश नारायण छात्र आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए गया पहुंचे थे. गया के ऐतिहासिक गांधी मैदान में विशाल सभा का आयोजन हुआ था. जिसमे वे साइकिल से गया के गांधी मैदान पहुंचे और सभा को संबोधित किया. आज लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आंदोलन के 50 वर्ष पूरे हो गये है, फिर भी उन्होंने जो संपूर्ण क्रांति का सपना देखा था, वह अधूरा है.

गोलीकांड के दो दिन बाद गया पहुंचे थे जेपी: 50 वर्ष पूर्व आज के ही दिन 12 अप्रैल को गया में गोली कांड हुआ था. महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार को लेकर छात्रों ने गया में आंदोलन किया था. उन छात्रों के ऊपर गया पुलिस के द्वारा बर्बरता पूर्वक गोली चलाई गई थी, जिसमें 11 लोग मारे गए थे और कई लोग घायल हुए थे. जिसके बाद जयप्रकाश नारायण को छात्र आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए गया बुलाया गया था. जिसे उन्होंने स्वीकार करते हुए 14 अप्रैल को गया पहुंचे थे.

साइकिल से पहुंचे गांधी मैदान:गोलीकांड के बादपुलिस ने गया में कर्फ्यू लगा दी थी. इसके बावजूद जयप्रकाश नारायण को साइकिल पर बैठकर गली से होते हुए गया के ऐतिहासिक गांधी मैदान में पहुंचाया गया था. देखते ही देखते लाखों की संख्या में लोग गया के गांधी मैदान में इकट्ठा हो गए. कर्फ्यू के बावजूद इतनी संख्या में लोगों की मौजूदगी रही. उस समय गांधी मैदान के पास मौजूद पुलिस भीड़ के आगे लाचार हो गई.

"जयप्रकाश नारायण ने बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और महंगाई को लेकर इस आंदोलन का नेतृत्व किया था, लेकिन 50 वर्ष पूरा हो जाने के बाद भी उक्त समस्या ने विकराल रूप ले लिया है. उनका सपना आज भी अधूरा है. जयप्रकाश नारायण ने व्यवस्था परिवर्तन को लेकर यह आंदोलन किया था. व्यवस्था परिवर्तन तो नहीं हुआ लेकिन सत्ता परिवर्तन जरूर हो गया था. आज की स्थिति देखकर हमलोगों को काफी दुख होता है."-लालजी प्रसाद, जेपी आंदोलन से जुड़े स्थानीय निवासी

किरण सिनेमा हॉल के पास धरना पर गोलीबारी: 12 अप्रैल को युवा संघर्ष समिति और महिला संघर्ष समिति के द्वारा शहर के किरण सिनेमा हॉल के समीप धरना दिया गया था. उसे समय रहे मेजर लाल सीआरपीएफ की टुकड़ी के साथ पहुंचे और आंदोलकरियों पर गोलीबारी शुरू कर दी. जिसमें कई लोग मारे गए और कई घायल हो गए. इसके बाद छात्र आंदोलन में शामिल स्थानीय निवासी अख़ौरी निरंजन प्रसाद पटना पहुंचे.

"जेपी आंदोलन के 50 वर्ष पूरे हो गए हैं, लेकिन उन्होंने जो संपूर्ण क्रांति का सपना देखा था वह कोसों दूर है. उसे समय नीतीश कुमार उसे आंदोलन में नहीं थे. लालू प्रसाद यादव थे, लेकिन यह विडंबना है कि जो लोग भी उसे समय जेपी आंदोलन में शामिल थे. वह आज सत्ता का सुख भोग रहे हैं. उसमें से कई लोग भ्रष्टाचार के आरोप में जेल जा चुके हैं. इसलिए यह कहा जा सकता है कि जेपी का सपना आज भी अधूरा है."- पंकज कुमार, स्थानीय निवासी

जेपी पिलग्रिम अस्पताल में घायलों से मुलाकात की:अखौरी निरंजन प्रसाद पटना के कदमकुआं स्थित चरखा समिति में जेपी के आवास पर उनसे मुलाकात की और छात्र आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए आग्रह किया. जिसके बाद जयप्रकाश नारायण गया पहुंचे और पिलग्रिम अस्पताल में घायलों से मुलाकात की. पटना में ही 500 हैंड बिल को छपवाया गया था. जिसे अख़ौरी निरंजन के द्वारा शहर में मोटरसाइकिल से घूम-घूमकर बंटवाया गया. हैंडबिल से जानकारी दी गई कि 14 अप्रैल को गया के गांधी मैदान में आयोजित सभा में शामिल होना है. कर्फ्यू के बावजूद बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए.

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