कोटा.राजस्थान में कोटा-बूंदी लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को एक बार फिर प्रत्याशी बनाया है. बिरला यहां से तीसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं. कांग्रेस ने भी प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है, लेकिन चर्चा है कि पूर्व विधायक और भाजपा नेता प्रहलाद गुंजल इस सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी हो सकते हैं. इन चर्चाओं के बीच प्रहलाद गुंजल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर रामधारी सिंह दिनकर की कविता "याचना नहीं, अब रण होगा" शेयर की है.
इसके अलावा उन्होंने 'एक्स' से अपने नाम से "मोदी का परिवार" हटा लिया है. प्रहलाद गुंजल ने वर्तमान में कांग्रेस ज्वाइन करने को लेकर अपना मत स्पष्ट नहीं किया है, साथ ही इन सभी चर्चाओं पर उनका कहना है कि जब समय आएगा, तभी वह बताएंगे. इसके पहले उन्होंने 12 मार्च को अपने ही फेसबुक पर अंतिम पोस्ट की थी, जिसमें लिखा था कि मेरे कांग्रेस से चुनाव लड़ने को लेकर गलत प्रचार न करें. मैं अभी भारतीय जनता पार्टी का सक्रिय सदस्य हूं.
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इधर, राजनीतिक हल्कों में चर्चा है कि प्रहलाद गुंजल के साथ कई नेता भी भारतीय जनता पार्टी छोड़ सकते हैं. हालांकि, पूर्व विधायक भवानी सिंह राजावत ने पत्रकार वार्ता आयोजित कर यह खुलासा कर दिया है कि वह भाजपा में ही बने रहेंगे, कांग्रेस ज्वाइन नहीं करेंगे. इसी तरह का बयान पूर्व विधायक विद्या शंकर नंदवाना ने भी दिया है.
इन तीन सीटों पर भाजपा से मांगा था टिकट : ईटीवी भारत से हुई बातचीत में प्रहलाद गुंजल ने कहा कि उन्होंने कोटा-बूंदी के साथ-साथ भीलवाड़ा और टोंक सवाई माधोपुर सीट से भी भारतीय जनता पार्टी से दावेदारी जताई थी. बीजेपी ने कोटा-बूंदी सीट से टिकट घोषित कर दिया है, लेकिन अभी भीलवाड़ा और टोंक सवाईमाधोपुर से प्रत्याशी नहीं घोषित हुआ है. कांग्रेस में जाने की चर्चाओं पर उन्होंने कहा कि चर्चाएं तो चलती रहती हैं. मेरा ऐसा कुछ मानस होगा तो सभी को एक साथ बताऊंगा. सोशल मीडिया पोस्ट के संबंध में उन्होंने कहा कि यह सब मेरे ऑफिस के लोग ही ऑपरेट करते हैं. फिलहाल, वे वेट एंड वॉच की बात कह रहे हैं.
वसुंधरा राजे के करीबी नेताओं में शामिल हैं गुंजल : प्रहलाद गुंजल पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के करीबी नेताओं में जाने जाते है. एक बार तो दोनों के बीच संबंधों में खटास आ गई थी, लेकिन 2013 के चुनाव में गुंजल को एक बार फिर वसुंधरा राजे ने टिकट दिलवाया था. साथ ही कोटा उत्तर सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी पूर्व मंत्री शांति धारीवाल के खिलाफ खड़ा किया था. इस चुनाव में शांति धारीवाल को गुंजल ने मात दी थी. इसके बाद 2018 और 2023 के विधानसभा चुनाव में उन्हें इस सीट से शांति धारीवाल ने मात दी है.
विधानसभा चुनाव में टिकट के पहले बिरला से की थी मुलाकात : स्पीकर बिरला और प्रहलाद गुंजल के बीच एक ही पार्टी में रहने के बावजूद लंबे समय से अदावत रही है. कोटा डेयरी के चुनाव को लेकर ही दोनों के बीच में रस्साकशी हो गई थी, जिसको लेकर दोनों एक ही पार्टी में रहते हुए धुर विरोधी रहे हैं. हालांकि, साल 2023 में विधानसभा चुनाव के पहले प्रहलाद गुंजल ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए लोकसभा स्पीकर से उनके घर और कार्यालय पर जाकर मुलाकात की थी. इसके बाद यह माना जा रहा था कि दोनों के बीच सुलह हो गई है, लेकिन प्रहलाद गुंजल चुनाव हार गए. इसके बाद एक बार फिर ऐसे हालात बन रहे हैं कि दोनों लोकसभा चुनाव में आमने-सामने हो सकते हैं.
कांग्रेस के गुर्जर नेता ने किया विरोध : कृषि उपज मंडी कोटा के पूर्व उपाध्यक्ष देवा भड़क ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने यह जिक्र किया है कि आगामी लोकसभा चुनाव में कोटा-बूंदी सीट से किसी गैर कांग्रेसी को टिकट देने की बात चल रही है. जबकि इससे पार्टी के लिए वर्षों से तन, मन व धन से काम करने वाले कार्यकर्ताओं में नाराजगी व्याप्त होगी. यह व्यक्ति अपनी पार्टी से वेवफाई कर कांग्रेस में शामिल होता है और कांग्रेस उसका स्वागत करती है तो वर्षों से काम करने वाले कार्यकर्ताओं को ठेस पहुंचेगी. यह नेता जब दूसरी पार्टी में था, तब कांग्रेस को जमकर भला बुरा कहते थे. यहां के नेताओं की भी जमकर बुराई करते थे, इसीलिए कार्यकर्ताओं का मतभेद और मनभेद पहले से ही चल रहा है. इसके चलते कांग्रेस के कार्यकर्ता आगामी चुनाव में काम भी नहीं कर पाएंगे. इस पूरे पत्र में उनका इशारा प्रहलाद गुंजल की तरफ है.