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अमेरिकी जज ने ट्रंप के बर्थराइट सिटीजनशिप खत्म करने वाले आदेश पर क्यों रोक लगाई? जानें - BIRTHRIGHT CITIZENSHIP

अमेरिका के फेडरल कोर्ट ने डोनाल्ड ट्रंप के ऑटोमैटिक बर्थराइट सिटीजनशिप के अधिकार खत्म करने वाले आदेश पर रोक लगा दी है.

Donald Trump
डोनाल्ड ट्रंप (AP)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 24, 2025, 12:29 PM IST

वॉशिंगटन: अमेरिका के फेडरल कोर्ट हजारों अप्रवासियों को बड़ी राहत देते हुए गुरुवार को डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन को संयुक्त राज्य अमेरिका में ऑटोमैटिक बर्थराइट सिटीजनशिप के अधिकार को सीमित करने वाले राष्ट्रपति के कार्यकारी आदेश को लागू करने से रोक दिया. साथ की कोर्ट ने इस कदम को स्पष्ट रूप से असंवैधानिक बताया.

रिपब्लिकन पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन द्वारा नियुक्त सिएटल स्थित यूएस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट जॉन कॉफनर ने डेमोक्रेटिक के नेतृत्व वाले चार राज्यों- वाशिंगटन, एरिजोना, इलिनोइस और ओरेगन के अनुरोध पर एक टेम्प्रेरी रोक लगाने का आदेश जारी किया. इसके साथ ट्रंप द्वारा यूएस राष्ट्रपति पद संभालने के बाद पहले दिन साइन के आदेश पर रोक लग गई है.डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि वह इस फैसले को चुनौती देंगे.

जज जॉन कफनौर ने क्या कहा?
जज ने कहा, "मुझे यह समझने में परेशानी हो रही है कि बार का कोई सदस्य स्पष्ट रूप से कैसे कह सकता है कि यह आदेश संवैधानिक है." जज ने ट्रंप के आदेश का बचाव करने वाले अमेरिकी न्याय विभाग के वकील से कहा. "यह मेरे दिमाग को चकरा रहा है." कफनौर ने ट्रंप की नीति के बारे में कहा, "मैं चार दशकों से बेंच पर हूं. मुझे ऐसा कोई दूसरा मामला याद नहीं आता जहां सवाल इस मामले जितना स्पष्ट हो. यह साफतौर पर एक असंवैधानिक आदेश है,"

बता दें 84 वर्षीय कफनौर को रोनाल्ड रीगन ने 1981 में संघीय पीठ के लिए नामित किया गया था, उन्होंने डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस के वकील ब्रेट शुमेट से सवाल किया कि क्या शुमेट व्यक्तिगत रूप से मानते हैं कि यह आदेश संवैधानिक था.

इससे पहले वाशिंगटन राज्य के सहायक अटॉर्नी जनरल लेन पोलोजोला ने सुनवाई के दौरान जज से कहा, "इस आदेश के तहत आज जन्म लेने वाले बच्चे अमेरिकी नागरिक नहीं माने जाएंगे."

बर्थराइट सिटीजनशिप को लेकर ट्रंप का आदेश क्या है?
डोनाल्ड ट्रंप के एग्जिकियूटिव ऑर्डर में अमेरिकी एजेंसियों को निर्देश दिया गया था कि अगर अमेरिका में जन्म लेने वाले बच्चे के माता-पिता में से कोई एक अमेरिका का नागरिक नहीं है तो वह जन्म लेने वाले बच्चे को अमेरिकी नागरिकता न दे.

ट्रंप के आदेश के तहत 19 फरवरी के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका में जन्मे किसी भी बच्चे, जिनके माता और पिता अमेरिकी नागरिक या वैध स्थायी निवासी नहीं हैं, को निर्वासित किया जाएगा और उन्हें सामाजिक सुरक्षा संख्या, विभिन्न सरकारी लाभ और बड़े होने पर वैध रूप से काम करने की क्षमता प्राप्त करने से रोक दिया जाएगा.

ट्रंप के आदेश में कहा गया है कि गैर-नागरिकों के बच्चे संयुक्त राज्य अमेरिका के अधिकार क्षेत्र के अधीन नहीं हैं और इसलिए वे नागरिकता के हकदार नहीं हैं. डेमोक्रेटिक नेतृत्व वाले राज्यों के अनुसार अगर ट्रंप के आदेश को लागू होने दिया जाता है, तो हर साल 150,000 से ज्यादा नवजात बच्चों को नागरिकता से वंचित रह जाएंगे.

14वें संशोधन उल्लंघन
जब से ट्रंप ने आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं, तब से इसे चुनौती देते हुए कम से कम छह मुकदमे दायर किए गए हैं, जिनमें से ज़्यादातर नागरिक अधिकार समूहों और 22 राज्यों के डेमोक्रेटिक अटॉर्नी जनरल द्वारा दायर किए गए हैं. राज्यों ने तर्क दिया कि ट्रंप के आदेश से अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन के नागरिकता खंड में निहित अधिकार का उल्लंघन है. प्रावधानके मुताबिक है कि संयुक्त राज्य अमेरिका में जन्मा कोई भी व्यक्ति देश का नागरिक है.

यह भी पढ़ें- 'पनामा हमारी थी, हमारी रहेगी', छोटे से देश ने ट्रंप को दिखाई आंख, चीन भी भड़का

वॉशिंगटन: अमेरिका के फेडरल कोर्ट हजारों अप्रवासियों को बड़ी राहत देते हुए गुरुवार को डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन को संयुक्त राज्य अमेरिका में ऑटोमैटिक बर्थराइट सिटीजनशिप के अधिकार को सीमित करने वाले राष्ट्रपति के कार्यकारी आदेश को लागू करने से रोक दिया. साथ की कोर्ट ने इस कदम को स्पष्ट रूप से असंवैधानिक बताया.

रिपब्लिकन पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन द्वारा नियुक्त सिएटल स्थित यूएस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट जॉन कॉफनर ने डेमोक्रेटिक के नेतृत्व वाले चार राज्यों- वाशिंगटन, एरिजोना, इलिनोइस और ओरेगन के अनुरोध पर एक टेम्प्रेरी रोक लगाने का आदेश जारी किया. इसके साथ ट्रंप द्वारा यूएस राष्ट्रपति पद संभालने के बाद पहले दिन साइन के आदेश पर रोक लग गई है.डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि वह इस फैसले को चुनौती देंगे.

जज जॉन कफनौर ने क्या कहा?
जज ने कहा, "मुझे यह समझने में परेशानी हो रही है कि बार का कोई सदस्य स्पष्ट रूप से कैसे कह सकता है कि यह आदेश संवैधानिक है." जज ने ट्रंप के आदेश का बचाव करने वाले अमेरिकी न्याय विभाग के वकील से कहा. "यह मेरे दिमाग को चकरा रहा है." कफनौर ने ट्रंप की नीति के बारे में कहा, "मैं चार दशकों से बेंच पर हूं. मुझे ऐसा कोई दूसरा मामला याद नहीं आता जहां सवाल इस मामले जितना स्पष्ट हो. यह साफतौर पर एक असंवैधानिक आदेश है,"

बता दें 84 वर्षीय कफनौर को रोनाल्ड रीगन ने 1981 में संघीय पीठ के लिए नामित किया गया था, उन्होंने डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस के वकील ब्रेट शुमेट से सवाल किया कि क्या शुमेट व्यक्तिगत रूप से मानते हैं कि यह आदेश संवैधानिक था.

इससे पहले वाशिंगटन राज्य के सहायक अटॉर्नी जनरल लेन पोलोजोला ने सुनवाई के दौरान जज से कहा, "इस आदेश के तहत आज जन्म लेने वाले बच्चे अमेरिकी नागरिक नहीं माने जाएंगे."

बर्थराइट सिटीजनशिप को लेकर ट्रंप का आदेश क्या है?
डोनाल्ड ट्रंप के एग्जिकियूटिव ऑर्डर में अमेरिकी एजेंसियों को निर्देश दिया गया था कि अगर अमेरिका में जन्म लेने वाले बच्चे के माता-पिता में से कोई एक अमेरिका का नागरिक नहीं है तो वह जन्म लेने वाले बच्चे को अमेरिकी नागरिकता न दे.

ट्रंप के आदेश के तहत 19 फरवरी के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका में जन्मे किसी भी बच्चे, जिनके माता और पिता अमेरिकी नागरिक या वैध स्थायी निवासी नहीं हैं, को निर्वासित किया जाएगा और उन्हें सामाजिक सुरक्षा संख्या, विभिन्न सरकारी लाभ और बड़े होने पर वैध रूप से काम करने की क्षमता प्राप्त करने से रोक दिया जाएगा.

ट्रंप के आदेश में कहा गया है कि गैर-नागरिकों के बच्चे संयुक्त राज्य अमेरिका के अधिकार क्षेत्र के अधीन नहीं हैं और इसलिए वे नागरिकता के हकदार नहीं हैं. डेमोक्रेटिक नेतृत्व वाले राज्यों के अनुसार अगर ट्रंप के आदेश को लागू होने दिया जाता है, तो हर साल 150,000 से ज्यादा नवजात बच्चों को नागरिकता से वंचित रह जाएंगे.

14वें संशोधन उल्लंघन
जब से ट्रंप ने आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं, तब से इसे चुनौती देते हुए कम से कम छह मुकदमे दायर किए गए हैं, जिनमें से ज़्यादातर नागरिक अधिकार समूहों और 22 राज्यों के डेमोक्रेटिक अटॉर्नी जनरल द्वारा दायर किए गए हैं. राज्यों ने तर्क दिया कि ट्रंप के आदेश से अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन के नागरिकता खंड में निहित अधिकार का उल्लंघन है. प्रावधानके मुताबिक है कि संयुक्त राज्य अमेरिका में जन्मा कोई भी व्यक्ति देश का नागरिक है.

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