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सुख की सरकार में किसे मिलेगा कैबिनेट मंत्री का तोहफा, क्या संजय होंगे सीएम के रतन या फिर घर में ही रहेगी सरदारी - HIMACHAL CABINET EXPANSION

सुक्खू सरकार में नए मंत्री की एंट्री होगी. ऐसे में कांग्रेस विधायक संजय रत्न और सीएम की पत्नी कमलेश ठाकुर के नामों की चर्चा है.

सुख की सरकार में किसे मिलेगा कैबिनेट मंत्री का तोहफा?
सुख की सरकार में किसे मिलेगा कैबिनेट मंत्री का तोहफा? (ETV Bharat)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 5, 2024, 5:49 PM IST

शिमला: हिमाचल में सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में एक और मंत्री की एंट्री होने वाली है. जैसे ही झंडी वाली कार से जुड़ी हलचल तेज होने लगी, तलबगारों के मन में लड्डू फूटने शुरू हो गए. क्या सुख की सरकार में ज्वालामुखी से विधायक संजय रत्न की किस्मत जागेगी या फिर महिला कोटे के नाम पर घर में ही सरदारी रहेगी. यानी पहली बार चुनाव मैदान में उतरकर जीतने वाली कमलेश ठाकुर को तोहफा मिलेगा?

इस समय कांग्रेस में दो महिला विधायक हैं. दोनों पहली बार चुनाव जीती हैं. कमलेश ठाकुर के अलावा दूसरा नाम अनुराधा राणा का है. यदि महिला कोटे को प्रेफरेंस मिली तो इन दो में से फैसला करना होगा, लेकिन फर्स्ट टाइम एमएलए को मंत्री पद देने से परहेज ही किया जाएगा.

हिमाचल में वैसे इस समय मंत्री पद के तलबगारों की संख्या कम नहीं है. सीपीएस भी उम्मीद में हैं कि प्रमोशन हो जाए. उनमें सबसे अधिक चांस कुल्लू से सुंदर ठाकुर के हैं. कैबिनेट विस्तार में वैसे तो जातीय, क्षेत्रीय और विधानसभा विशेष जैसे फैक्टर काम करेंगे, लेकिन सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की च्वाइस पर ही हाईकमान की मुहर लगेगी. यही कारण है कि मंत्री पद के चाहवान अपने आप को सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की गुड बुक में दिखाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे.

अभी ये है कैबिनेट का स्वरूप:हिमाचल में इस समय सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू व डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री सहित कुल 11 सदस्य हैं. उनमें कृषि मंत्री चौधरी चंद्र कुमार, स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल, उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान, राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी, शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर, लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह, पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह, तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी व आयुष मंत्री यादविंद्र गोमा शामिल हैं. अभी एक पद खाली है. हिमाचल की 68 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के चालीस सदस्य हैं और भाजपा के विधायकों की संख्या 28 है.

किसके कितने चांस:ज्वालामुखी से कांग्रेस विधायक संजय रतन रेस में दिख रहे हैं. वे पहले भी दावेदार थे, लेकिन उनकी जगह कांगड़ा जिला से यादविंद्र गोमा को तरजीह दी गई. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी चाहते थे कि एससी वर्ग से कैबिनेट में और प्रतिनिधित्व हो. फिलहाल, कांगड़ा जिला से संजय रतन कतार में हैं. ट्राइबल कोटे से जगत सिंह नेगी मंत्री हैं. ऐसे में अनुराधा राणा के चांस बहुत कम हैं. सिर्फ महिला कोटे से उनकी किस्मत खुल सकती है. इसी कोटे में सीएम की धर्मपत्नी का नाम भी संभव है.

सुक्खू सरकार में छह सीपीएस हैं. वे सभी किसी न किसी रूप में सीएम के करीबी हैं. सुंदर ठाकुर के नाम की भी चर्चा है. इसी कड़ी में एक नाम संजय अवस्थी का भी है. अवस्थी भी सीएम के बहुत करीबी हैं. खैर, छह सीपीएस में से यदि किसी को ये पद दिया जाता है तो फिर नई सियासी परिस्थितियां पैदा हो जाएंगी. विधायकों की तरफ देखें तो मंडी जिला से एकमात्र कांग्रेस एमएलए चंद्रशेखर ठाकुर हैं. यदि संसदीय क्षेत्र के लिहाज से देखें तो चंद्रशेखर का निर्वाचन क्षेत्र हमीरपुर में आता है. बाकी बचे नेताओं में भुवनेश्वर गौड़, सुरेश कुमार आदि हैं, लेकिन उनके नाम की चर्चा नहीं है. वैसे भी फर्स्ट टाइम एमएलए को मंत्री बनाने से परहेज ही किया जाएगा. ऐसा हुआ तो सीपीएस में से किसी का नंबर लगेगा या फिर संजय रतन को कुर्सी मिल सकती है.

क्या बड़ा फेरबदल होगा?:ये भी चर्चा है कि स्पीकर कुलदीप पठानिया को कैबिनेट में लिया जाए. ये चर्चा समय-समय पर उठती रही है. हालांकि कुलदीप पठानिया स्पीकर के रूप में अपनी पारी को एंजॉय कर रहे हैं और अपनी कार्यशैली से तारीफ भी बटोर रहे हैं, लेकिन मंत्री पद की शान कुछ और ही होती है. इस प्रकार यदि बड़ा फेरबदल हुआ तो कैबिनेट का स्वरूप बदल जाएगा. ये भी चर्चा है कि कुछ मंत्रियों के विभाग बदले जाएं या फिर किसी एक मंत्री को कहीं और शिफ्ट किया जाए, यानी संगठन में कोई पद दिया जाए.

वरिष्ठ मीडिया कर्मी धनंजय शर्मा ने कहा, "कैबिनेट में खाली एक पद को भरने की चर्चाएं जरूर हैं, लेकिन इस बारे में फैसला पूरी तरह सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू पर निर्भर करता है. संजय रतन एक पॉसिबल चेहरा हो सकते हैं. सीपीएस में भी किसी का नंबर आ सकता है. सीएम के समक्ष सभी ऑप्शन खुले हैं. ये भी संभव है कि अभी कुछ समय मंत्रीपद भरा ही न जाए".

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