अंतर्राष्ट्रीय पतंगबाज अब्दुल कादिर (ETV Bharat Udaipur) उदयपुर.राजस्थान के उदयपुर जिले के अंतर्राष्ट्रीय पतंगबाज अब्दुल कादिर ने एक बार अपनी कला का प्रदर्शन देश भक्ति के जज्बे के साथ किया. निर्जला एकादशी के मौके पर अब्दुल ने राजीव गांधी पार्क के सामने फतहसागर के सूखे पेटे में अपनी टीम के साथ विशेष पतंगों से अपनी कला का प्रदर्शन किया. इस बार अब्दुल ने पतंगबाजी के जरिए भारतीय टीम को T-20 वर्ल्ड कप में जीत के लिए 500 विशेष पतंग उड़ाई है.
अब्दुल ने भारतीय टीम के लिए बनाए नायाब पतंगें :वर्ल्ड कप में टीम इंडिया की जीत के समर्थन वाली विशेष पतंगें उड़ाई गई. इसके साथ ही ट्रेन वाली 500 पतंगें और 100 पतंगें रेड कलर के साथ विशेष पतंगों, दिलनुमा आई लव उदयपुर, कोबरा, पैराशूट, लिफटर, ऑक्टोपस, टाइगर, बाक्सनुमा, गोल चकरी पतंगों का प्रदर्शन किया. अब्दुल ने बताया कि हर साल की तरह वह इस साल भी निर्जला एकादशी के अवसर पर विशेष पतंगें उड़ाई गई हैं, लेकिन इस बार भारतीय टीम को T-20 में जीत के लिए विशेष स्लोगन के साथ जीत की शुभकामनाएं दी गई है. अलग-अलग रंग बिरंगी पतंगों पर अब्दुल ने लिखा कि 'T 20 जीतेगा इंडिया'. करीब 500 से ज्यादा पतंगे एक साथ आसमान में उड़ी तो इस नजारे को लोग देखते ही रह गए.
पढ़ें.राजस्थान का यह परिवार पतंगबाजी में पारंगत, अब्दुल के नाम एक डोर से 1000 पतंग उड़ाने का रिकॉर्ड
कई तरह के पतंगें उड़ाई गईं : एक डोर के सहारे इतनी पतंग को अब्दुल बड़ी ही आसानी के साथ उड़ा रहे थे. लोग इस नजारे को अपने मोबाइल में कैद कर रहे थे. कुछ लोग अब्दुल के साथ तस्वीर ले रहे थे. अब्दुल ने बताया कि उसने इस बार निर्जला एकादशी के अवसर पर 25X20 का एक विशेष बैनर भी बनाया गया है, जिसमें 'T 20 वर्ल्डकप जीतेगा इंडिया' लिखा गया है. इसे भी पतंग के साथ उड़ाया गया. इसके अलावा 8X8 की पतंग भी बनाई गई है, जिसमें ट्रॉफी के साथ भारतीय टीम की शुभकामनाएं दी गई.
'T20 जीतेगा इंडिया' के स्लोगन वाली पतंग (ETV Bharat Udaipur) अब्दुल की तीन पीढ़ियां पतंगबाजी में :अब्दुल ने बताया कि इससे पहले भी उन्होंने एक डोर में 1000 से ज्यादा पतंगें उड़ाई हैं. अब्दुल के अलावा परिवार की तीन पीढ़ियां इसी काम में लगी हैं. अब्दुल ने एक डोर पर एक हजार पतंगें उड़ाईं. इनमें विभिन्न साइज और डिजाइन की पतंगें शामिल थीं. इसके साथ ही पतंगबाजी के माध्यम से समाज में भाईचारे का संदेश भी दिया. अब्दुल ने बताया कि वे 2001 से पतंगबाजी कर रहे हैं. देश के कई राज्यों में हुई प्रतियोगिता में उन्होंने भाग लिया. अब तक उन्होंने हैदराबाद, केरल, गोवा, चंडीगढ़, पंजाब में हुई कई पतंगबाजी की प्रतियोगिताओं में भाग लिया है. इनमें उन्हें सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय पतंगबाज के खिताब से भी नवाजा गया. उन्होंने कई पुरस्कार भी जीते हैं.
पढ़ें.शानदार शिल्पकार : इकबाल ने बनाई सोने की तीन T20 वर्ल्ड कप ट्रॉफी, विजेता टीम को करेंगे भेंट
अब्दुल पतंगबाजी में महारत :अब्दुल कादिर ने बताया कि उनके दादा, पिता को भी पतंगबाजी में महारत हासिल है. अब अब्दुल तीसरी पीढ़ी हैं जो इस कला में पारंगत हैं. उनके दादा नूर सां का पतंगबाजी में काफी नाम था. उन्होंने करीब 50 साल तक पतंगबाजी प्रतियोगिताओं में भाग लिया. अब्दुल कादिर ने बताया कि उनके पिता अब्दुल रशीद ने भी पतंगबाजी में देशभर में नाम कमाया. इसके बाद अब्दुल परिवार की इस कला को आगे बढ़ा रहे हैं. अब्दुल ने बताया कि पतंगबाजी का जुनून उनके दादा को था. फिर उन्हें देखकर पिता ने सीखा और अब यह उनके अंदर आ गया है. पूरा परिवार 50 सालों से इस पतंगबाजी की कला से जुड़ा हुआ है.
ऐसे बनाते हैं पतंगें :अब्दुल ने बताया कि इन पतंगों को बनाने के लिए लकड़ी की कमान और कपड़े की सिलाई कर उसे बैलेंस बनाया जाता है. एक डोर पर इतनी सारी पतंगें उड़ाने के पीछे खास तकनीक है. ऐसे में पतंग को उड़ाने के लिए ऊपर वाली लकड़ी पतली होनी चाहिए ताकि हवा में ऊंचाई मिल सके, जबकि सीधी लगने वाली लकड़ी मोटी होनी चाहिए, जिससे हवा में संतुलन बना रहे. इसके बाद रेशम की मजबूत डोर पर पतंगों को एक-एक फीट की दूरी पर बांधते हैं. इसके साथ ही इन्हें उड़ाने के लिए मध्यम गति की हवा चलना भी जरूरी है. इन पतंगों को अलग-अलग डिजाइन भी दी जाती है, जिनमें उन पर आंख, मुंह की आकृति बनाकर आकर्षक बनाया जाता है. उन्होंने बताया कि इसे बनाने में करीब 15 दिन का समय लगता है.