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Maharashtra New CM: मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए ढाई-ढाई साल का फॉर्मूला, जानें रेस में कौन आगे

Maharashtra New CM: महाराष्ट्र में महायुति के भीतर मुख्यमंत्री पद को लेकर मंथन जारी है. देवेंद्र फडणवीस इस रेस में आगे बताए जा रहे हैं.

Maharashtra new CM updates Devendra Fadnavis Eknath Shinde Ajit Pawar BJP Shivsena NCP
देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 3 hours ago

मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व में महायुति की प्रचंड जीत के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए देवेंद्र फडणवीस के नाम की चर्चा है. हालांकि उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने इस चर्चा पर विराम लगा दिया है. उन्होंने कराड में मीडिया से बातचीत में कहा कि अभी तक मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है.

महायुति ने मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किए बिना ही चुनाव लड़ा. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री अजित पवार और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने समय-समय पर यह स्पष्ट किया है कि मुख्यमंत्री पद पर फैसला तीनों दलों के नेता मिल बैठकर करेंगे. अगर तीनों नेता मिलकर फैसला करते हैं और भाजपा आलाकमान की मुहर लगती है तो देवेंद्र फडणवीस तीसरी बार मुख्यमंत्री बन सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक वे ढाई साल तक राज्य के मुख्यमंत्री पद पर रह सकते हैं.

साथ ही ऐसी भी चर्चा है कि एकनाथ शिंदे ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री बनेंगे. हालांकि, अभी इस पर दिल्ली में कोई चर्चा नहीं हुई है. गौरतलब है कि भाजपा महासचिव विनोद तावड़े ने विधानसभा चुनाव से पहले बयान दिया था कि मुख्यमंत्री पद के लिए ऐसे व्यक्ति को चुना जाता है, जिसके बारे में चर्चा नहीं होती.

देवेंद्र फडणवीस
देवेंद्र फडणवीस (ETV Bharat)

सबसे ज्यादा चर्चा में फडणवीस
महायुति ने साफ कर दिया है कि 15वीं विधानसभा में विपक्ष के नेता का पद नहीं होगा, क्योंकि महा विकास अघाड़ी (एमवीए) में शामिल किसी भी दल को जरूरी सीटें नहीं मिली हैं. इसमें सबसे अहम भूमिका उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की है. इसलिए पूरी संभावना है कि देवेंद्र फडणवीस ही मुख्यमंत्री पद संभालेंगे.

मुख्यमंत्री पद के लिए फडणवीस आरएसएस की पसंद
जानकारी के मुताबिक, भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने मुख्यमंत्री पद के लिए फडणवीस के नाम पर मुहर लगा दी है. चर्चा है कि पहले ढाई साल के लिए देवेंद्र फडणवीस ही मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालेंगे. चर्चा है कि शिवसेना प्रमुख और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को बाद के ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद दिया जाएगा. चर्चा यह भी है कि ढाई साल मुख्यमंत्री रहने के बाद देवेंद्र फडणवीस भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन जाएंगे.

मुख्यमंत्री पद की रेस के बारे में बात करते हुए उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि अभी मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की तरफ से अजित पवार को विधायक दल का नेता चुना गया है. शिवसेना की तरफ से एकनाथ शिंदे को विधायक दल का नेता चुना गया है. जबकि भाजपा की तरफ से सोमवार को विधायक दल का नेता चुना जाएगा. इसके बाद तीनों दलों के नेता एक साथ बैठकर मुख्यमंत्री पद पर चर्चा करेंगे.

अजित पवार ने यह भी कहा, "हमें अभी शपथ ग्रहण समारोह की कोई जल्दी नहीं है, क्योंकि हमें भारी बहुमत मिला है. फिर भी शपथ ग्रहण समारोह जल्द से जल्द होगा."

2-2-1 साल का फॉर्मूला भाजपा को नामंजूर
इन चर्चाओं के बीच, एनसीपी की ओर से अजित पवार को मुख्यमंत्री पद देने का दबाव बढ़ रहा है. इसके लिए एनसीपी यह भी मांग कर रही है कि मुख्यमंत्री पद ढाई-ढाई साल की बजाय 2-2-1 साल के लिए तय किया जाए. लेकिन इस मांग के बारे में बात करते हुए बीजेपी के वरिष्ठ नेता और विधायक सुधीर मुनगंटीवार ने इस फॉर्मूले को खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा है कि ऐसा फॉर्मूला किसी भी व्यवस्था में संभव नहीं है. तीनों पार्टियों के वरिष्ठ नेता और दिल्ली में बीजेपी के वरिष्ठ नेता मिलकर मुख्यमंत्री पद पर फैसला लेंगे. उन्होंने यह भी कहा है कि इसमें कोई विवाद नहीं है.

तीनों पार्टियों का स्ट्राइक रेट मजबूत
बीजेपी ने महाराष्ट्र में 89 फीसदी स्ट्राइक रेट के साथ 132 सीटें जीती हैं. शिवसेना 72 फीसदी स्ट्राइक रेट के साथ 57 सीटें जीती. इसी तरह एनसीपी 77 फीसदी स्ट्राइक रेट के साथ 41 सीटें जीती. इस तरह तीनों पार्टियों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है.

राजनीतिक विश्लेषक क्या सोचते हैं?
राजनीतिक विश्लेषक जयंत मेनकर कहते हैं, "किसी एक पार्टी का मुख्यमंत्री पद पर अड़ना गलत हो सकता है, क्योंकि भाजपा मौजूदा हालात में दोनों पार्टियों को खोना नहीं चाहती. अगर एकनाथ शिंदे नाराज होते हैं तो वे उद्धव ठाकरे को फिर से खड़ा कर सकते हैं. वहीं अगर अजित पवार नाराज होते हैं तो वे शरद पवार को भी मौका दे सकते हैं."

तीनों नेताओं की मुख्यमंत्री पद के लिए खूबियां?

देवेंद्र फडणवीस

  • राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पहली पसंद
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह से करीबी संबंध
  • राज्य में भाजपा के सबसे बड़े नेता और ब्राह्मण चेहरा
  • शिवसेना और एनसीपी के बीच विभाजन के बाद गठबंधन बनाने में अहम भूमिका निभाई.
  • महायुति के अभियान की रणनीति बनाने में अहम भूमिका रही

एकनाथ शिंदे

  • एकनाथ शिंदे राज्य में शिवसेना के प्रमुख नेता हैं जिन्होंने उद्धव ठाकरे को चुनौती दी.
  • ढाई साल तक मुख्यमंत्री रहे और विकास योजनाओं के साथ-साथ लाडकी बहिन योजना को सफलतापूर्वक लागू किया
  • मराठा समुदाय से आते हैं, मराठा आंदोलन को सफलतापूर्वक संभाला और सरकार के खिलाफ लहर को रोकने में कामयाब रहे.
  • शिवसेना पार्टी को तोड़कर 41 विधायकों को अपने साथ लाया.
  • वर्तमान में उनके पास 57 विधायक है. इसने महायुति की ताकत बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई.
  • असली और नकली शिवसेना की लड़ाई में पार्टी ने खुद को लोगों के बीच स्थापित किया.

अजित पवार

  • राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख अजित पवार समय के पाबंद, प्रशासनिक रूप से कुशल और बेहद कुशल नेता के रूप में जाने जाते हैं.
  • चाचा शरद पवार से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की कमान अपने हाथ में लेने में सफल रहे
  • पश्चिमी महाराष्ट्र के साथ मराठवाड़ा के कई इलाकों में मजबूत पकड़
  • 43 साल के राजनीतिक अनुभव के साथ एनसीपी का अपने कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों और जनता के साथ मजबूत जनसंपर्क है.
  • एनसीपी पार्टी को तोड़कर 40 विधायकों को अपने साथ लाए. अब उनके पास 41 विधायक हैं.

यह भी पढ़ें- कौन हैं अतुल लिमये? जिनकी रणनीति से महायुति को मिली प्रचंड जीत

मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व में महायुति की प्रचंड जीत के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए देवेंद्र फडणवीस के नाम की चर्चा है. हालांकि उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने इस चर्चा पर विराम लगा दिया है. उन्होंने कराड में मीडिया से बातचीत में कहा कि अभी तक मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है.

महायुति ने मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किए बिना ही चुनाव लड़ा. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री अजित पवार और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने समय-समय पर यह स्पष्ट किया है कि मुख्यमंत्री पद पर फैसला तीनों दलों के नेता मिल बैठकर करेंगे. अगर तीनों नेता मिलकर फैसला करते हैं और भाजपा आलाकमान की मुहर लगती है तो देवेंद्र फडणवीस तीसरी बार मुख्यमंत्री बन सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक वे ढाई साल तक राज्य के मुख्यमंत्री पद पर रह सकते हैं.

साथ ही ऐसी भी चर्चा है कि एकनाथ शिंदे ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री बनेंगे. हालांकि, अभी इस पर दिल्ली में कोई चर्चा नहीं हुई है. गौरतलब है कि भाजपा महासचिव विनोद तावड़े ने विधानसभा चुनाव से पहले बयान दिया था कि मुख्यमंत्री पद के लिए ऐसे व्यक्ति को चुना जाता है, जिसके बारे में चर्चा नहीं होती.

देवेंद्र फडणवीस
देवेंद्र फडणवीस (ETV Bharat)

सबसे ज्यादा चर्चा में फडणवीस
महायुति ने साफ कर दिया है कि 15वीं विधानसभा में विपक्ष के नेता का पद नहीं होगा, क्योंकि महा विकास अघाड़ी (एमवीए) में शामिल किसी भी दल को जरूरी सीटें नहीं मिली हैं. इसमें सबसे अहम भूमिका उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की है. इसलिए पूरी संभावना है कि देवेंद्र फडणवीस ही मुख्यमंत्री पद संभालेंगे.

मुख्यमंत्री पद के लिए फडणवीस आरएसएस की पसंद
जानकारी के मुताबिक, भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने मुख्यमंत्री पद के लिए फडणवीस के नाम पर मुहर लगा दी है. चर्चा है कि पहले ढाई साल के लिए देवेंद्र फडणवीस ही मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालेंगे. चर्चा है कि शिवसेना प्रमुख और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को बाद के ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद दिया जाएगा. चर्चा यह भी है कि ढाई साल मुख्यमंत्री रहने के बाद देवेंद्र फडणवीस भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन जाएंगे.

मुख्यमंत्री पद की रेस के बारे में बात करते हुए उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि अभी मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की तरफ से अजित पवार को विधायक दल का नेता चुना गया है. शिवसेना की तरफ से एकनाथ शिंदे को विधायक दल का नेता चुना गया है. जबकि भाजपा की तरफ से सोमवार को विधायक दल का नेता चुना जाएगा. इसके बाद तीनों दलों के नेता एक साथ बैठकर मुख्यमंत्री पद पर चर्चा करेंगे.

अजित पवार ने यह भी कहा, "हमें अभी शपथ ग्रहण समारोह की कोई जल्दी नहीं है, क्योंकि हमें भारी बहुमत मिला है. फिर भी शपथ ग्रहण समारोह जल्द से जल्द होगा."

2-2-1 साल का फॉर्मूला भाजपा को नामंजूर
इन चर्चाओं के बीच, एनसीपी की ओर से अजित पवार को मुख्यमंत्री पद देने का दबाव बढ़ रहा है. इसके लिए एनसीपी यह भी मांग कर रही है कि मुख्यमंत्री पद ढाई-ढाई साल की बजाय 2-2-1 साल के लिए तय किया जाए. लेकिन इस मांग के बारे में बात करते हुए बीजेपी के वरिष्ठ नेता और विधायक सुधीर मुनगंटीवार ने इस फॉर्मूले को खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा है कि ऐसा फॉर्मूला किसी भी व्यवस्था में संभव नहीं है. तीनों पार्टियों के वरिष्ठ नेता और दिल्ली में बीजेपी के वरिष्ठ नेता मिलकर मुख्यमंत्री पद पर फैसला लेंगे. उन्होंने यह भी कहा है कि इसमें कोई विवाद नहीं है.

तीनों पार्टियों का स्ट्राइक रेट मजबूत
बीजेपी ने महाराष्ट्र में 89 फीसदी स्ट्राइक रेट के साथ 132 सीटें जीती हैं. शिवसेना 72 फीसदी स्ट्राइक रेट के साथ 57 सीटें जीती. इसी तरह एनसीपी 77 फीसदी स्ट्राइक रेट के साथ 41 सीटें जीती. इस तरह तीनों पार्टियों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है.

राजनीतिक विश्लेषक क्या सोचते हैं?
राजनीतिक विश्लेषक जयंत मेनकर कहते हैं, "किसी एक पार्टी का मुख्यमंत्री पद पर अड़ना गलत हो सकता है, क्योंकि भाजपा मौजूदा हालात में दोनों पार्टियों को खोना नहीं चाहती. अगर एकनाथ शिंदे नाराज होते हैं तो वे उद्धव ठाकरे को फिर से खड़ा कर सकते हैं. वहीं अगर अजित पवार नाराज होते हैं तो वे शरद पवार को भी मौका दे सकते हैं."

तीनों नेताओं की मुख्यमंत्री पद के लिए खूबियां?

देवेंद्र फडणवीस

  • राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पहली पसंद
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह से करीबी संबंध
  • राज्य में भाजपा के सबसे बड़े नेता और ब्राह्मण चेहरा
  • शिवसेना और एनसीपी के बीच विभाजन के बाद गठबंधन बनाने में अहम भूमिका निभाई.
  • महायुति के अभियान की रणनीति बनाने में अहम भूमिका रही

एकनाथ शिंदे

  • एकनाथ शिंदे राज्य में शिवसेना के प्रमुख नेता हैं जिन्होंने उद्धव ठाकरे को चुनौती दी.
  • ढाई साल तक मुख्यमंत्री रहे और विकास योजनाओं के साथ-साथ लाडकी बहिन योजना को सफलतापूर्वक लागू किया
  • मराठा समुदाय से आते हैं, मराठा आंदोलन को सफलतापूर्वक संभाला और सरकार के खिलाफ लहर को रोकने में कामयाब रहे.
  • शिवसेना पार्टी को तोड़कर 41 विधायकों को अपने साथ लाया.
  • वर्तमान में उनके पास 57 विधायक है. इसने महायुति की ताकत बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई.
  • असली और नकली शिवसेना की लड़ाई में पार्टी ने खुद को लोगों के बीच स्थापित किया.

अजित पवार

  • राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख अजित पवार समय के पाबंद, प्रशासनिक रूप से कुशल और बेहद कुशल नेता के रूप में जाने जाते हैं.
  • चाचा शरद पवार से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की कमान अपने हाथ में लेने में सफल रहे
  • पश्चिमी महाराष्ट्र के साथ मराठवाड़ा के कई इलाकों में मजबूत पकड़
  • 43 साल के राजनीतिक अनुभव के साथ एनसीपी का अपने कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों और जनता के साथ मजबूत जनसंपर्क है.
  • एनसीपी पार्टी को तोड़कर 40 विधायकों को अपने साथ लाए. अब उनके पास 41 विधायक हैं.

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