कानपुर :हिंदू धर्म में सावन मास का विशेष माना जाता है. हम आपको एक ऐसे अनोखे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पर नागों का मेला लगता है. मंदिर की विशेष मान्यता यह है कि कानपुर के खेरेपति मंदिर की रखवाली कोई इंसान नहीं, बल्कि खुद इच्छाधारी नाग नागिन करते हैं, लेकिन किसी ने भी आज तक इन्हें नहीं देखा है. कहां जाता है कि इस मंदिर के बाहर ही नाग नागिन किसी न किसी रूप में मंदिर के बाहर बैठे रहते हैं.
कानपुर शहर के माल रोड स्थित इस सैकड़ों साल पुराने खेरेपति मंदिर की एक विशेष मान्यता है. कहा जाता है कि सावन मास में किसी भी एक सोमवार को दर्शन करने से श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूरी होती है. ऐसी मान्यता है कि सावन मास के किसी भी एक सोमवार को यहां इच्छाधारी नाग-नागिन मंदिर में स्थापित बाबा शिव की शिवलिंग की पूजा अर्चना करने और उनके दर्शन करने के लिए जरूर आते हैं. मंदिर के जानकारों की मानें तो इस मंदिर की स्थापना सैकड़ो साल पहले दैत्य गुरु शुक्राचार्य ने कराई थी.
शुक्राचार्य ने कराई थी मन्दिर की स्थापना :मान्यता है कि गुरु शुक्राचार्य की बेटी देवयानी का विवाह यादव राजा आदित्य से हुआ था और जब वह एक बार अपने बेटी से मिलने के लिए जा रहे थे तो कुछ देर उन्होंने खेरपति मंदिर के पास आराम किया था. इस दौरान जब उनकी आंख लग गई थी. तब उन्हें सपने में भगवान शेषनाथ ने दर्शन दिए थे और इस जगह पर शिव मंदिर बनाने के लिए कहा था. शेषनाग की आज्ञा के अनुसार ही शुक्राचार्य ने इस जगह पर शिवलिंग की स्थापना और मंदिर का निर्माण करवाया था. यहां सावन मास के अलावा अन्य सोमवार में भी बाबा की शिवलिंग का भव्य रूप से श्रृंगार कर उनकी पूजा अर्चना की जाती है और लाखों शिव भक्त यहां पर दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. बाबा भोलेनाथ उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।