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सेली हाइड्रो पावर कंपनी की ब्याज सहित अपफ्रंट मनी लौटाने पर हाईकोर्ट की रोक, 94 करोड़ जमा करवाने के बाद सरकार ने किया था आवेदन - HIMACHAL HIGH COURT

हिमाचल हाईकोर्ट ने सेली हाइड्रो पावर कंपनी की ब्याज सहित अपफ्रंट मनी लौटाने पर रोक लगा दी है.

हिमाचल हाईकोर्ट
हिमाचल हाईकोर्ट (ETV Bharat)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jan 6, 2025, 10:46 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सेली हाइड्रो पावर कंपनी लिमिटेड की 64 करोड़ रुपए की अप्रफंट मनी की रकम सात प्रतिशत ब्याज सहित लौटाने के फैसले पर रोक लगा दी है. सरकार ने इस संदर्भ में हाईकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष आवेदन दाखिल किया था. इससे पहले राज्य सरकार ने अदालत के आदेश पर सेली पावर कंपनी की 64 करोड़ की अपफ्रंट मनी को सात फीसदी ब्याज सहित हाईकोर्ट की रजिस्ट्री में जमा करवा दिया था. ब्याज सहित ये रकम 94 करोड़ रुपए के करीब बनी थी. रकम जमा होने के बाद राज्य सरकार ने अदालत के समक्ष एक आवेदन दाखिल किया था, जिसकी सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने पावर कंपनी को ये रकम लौटाने के पहले के फैसले पर रोक लगा दी है.

पहले एकल पीठ ने कंपनी को रकम लौटाने के आदेश जारी किए थे. उसके बाद मामला खंडपीठ में गया है. इसकी सुनवाई हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर व न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा की खंडपीठ कर रही है. खंडपीठ ने सरकार के आवेदन को स्वीकार करते हुए ये रोक लगाई है. सरकार की तरफ से पहले ब्याज सहित लगभग 94 करोड़ रुपए जमा किए गए, उसके बाद हाईकोर्ट ने यह रोक लगाने के आदेश जारी किए हैं.

उल्लेखनीय है कि सेली हाइड्रो पावर कंपनी ने हाईकोर्ट के समक्ष एक रिट याचिका दाखिल कर अपफ्रंट मनी लौटाने के आदेश जारी करने की गुहार लगाई थी. उस पर हाईकोर्ट की एकल पीठ ने कंपनी की रिट याचिका को स्वीकारते हुए 13 जनवरी 2023 को सरकार को 64 करोड़ रुपये की अपफ्रंट मनी सात फीसदी ब्याज सहित लौटाने के आदेश दिए थे. फिर 28 अप्रैल 2023 को सरकार ने इस फैसले को खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी.

हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 21 अगस्त 2023 को एकल पीठ के फैसले पर इस शर्त पर रोक लगा दी थी कि यदि प्रतिवादी (सरकार) यह रकम जमा करवाने में असमर्थ रहे तो अंतरिम आदेश हटा लिए जाएंगे. सरकार तय समय पर राशि जमा नहीं कर पाई थी. उस पर हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 15 जुलाई 2024 को एकल पीठ के फैसले पर लगाई रोक को हटाने के आदेश जारी कर दिए. फिर मामले ने नया मोड़ लिया और एकल पीठ ने कंपनी की अनुपालना याचिका पर 18 नवंबर 2024 को नई दिल्ली के हिमाचल भवन को कुर्क करने के आदेश पारित कर दिए. साथ ही तय समय पर राशि जमा न करने के दोषी अधिकारियों का पता लगाने को कहा था. राज्य सरकार अभी तक सरकार उन दोषी अधिकारियों का पता नहीं लगा पाई है. उसके लिए सरकार ने हाईकोर्ट से अतिरिक्त समय की मांग की थी, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया था। फिलहाल, अब सरकार ने ब्याज सहित रकम जमा करवाने के बाद एक आवेदन दाखिल किया है, जिस पर हाईकोर्ट ने कंपनी को रकम लौटाने वाले फैसले पर रोक लगाई है.

लाहौल घाटी में लगना था प्रोजेक्ट

मामले के अनुसार वर्ष 2009 में राज्य सरकार ने प्रार्थी कंपनी सेली हाइड्रो पावर को लाहौल स्पीति में 320 मेगावाट का बिजली प्रोजेक्ट आवंटित किया था. सरकार और कंपनी के बीच समझौते के अनुसार कंपनी को कुछ सुविधाएं उपलब्ध करवाई जानी थी, ताकि समय पर प्रोजेक्ट का काम आरंभ हो सके. प्रोजेक्ट लगाने के लिए स्थान विशेष में मूलभूत सुविधाएं न मिलने के कारण कंपनी ने इसे वायबल नहीं पाया और प्रोजेक्ट का काम बंद कर दिया.

कंपनी ने सरकार के समक्ष प्रोजेक्ट के लिए 64 करोड़ रुपए की अपफ्रंट मनी जमा करवाई थी. जब कंपनी प्रोजेक्ट को समय पर शुरू नहीं कर पाई तो सरकार ने अपफ्रंट मनी जब्त कर ली. कंपनी ने अदालत का दरवाजा खटखटाया तो वहां से सरकार को 64 करोड़ की रकम सात फीसदी ब्याज सहित लौटाने के आदेश जारी किए गए. सरकार ने समय पर पैसे हाईकोर्ट की रजिस्ट्री में जमा नहीं किए. इस पर कंपनी ने अदालत में फिर से अनुपालना याचिका दाखिल की.

हाईकोर्ट की एकल पीठ ने अपने आदेश की अनुपालना सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली के हिमाचल भवन को कुर्क कर उसकी कुर्की राशि से कंपनी की तय रकम ब्याज सहित लौटाने को कहा. कुर्की से बचने के लिए सरकार ने पैसे जमा करवा दिए. फिर एकल पीठ के फैसले को खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी. फिलहाल, सरकार को बेशक कुछ राहत मिली हो, लेकिन उसे अभी समय पर पैसे जमा न करवाने के दोषी अफसरों के नाम अदालत को बताने बाकी हैं.

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