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आउटसोर्स आधार पर नर्सेज के पद भरने का मामला, हाईकोर्ट का स्थगन आदेश वापिस लेने से इनकार, सरकार का आवेदन खारिज - HIMACHAL HIGH COURT

हिमाचल हाईकोर्ट ने आउटसोर्स आधार पर नर्सेज के पद भरने मामले में स्थगन आदेश वापस लेने से इनकार किया और सरकार का आवेदन खारिज किया.

हिमाचल हाईकोर्ट
हिमाचल हाईकोर्ट (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jan 8, 2025, 10:28 PM IST

शिमला: आउटसोर्स भर्ती से जुड़े एक मामले में एक बड़ा घटनाक्रम पेश आया है. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने आउटसोर्स आधार पर नर्सेज के पद भरने वाले मामले में अपने स्थगन आदेश यानी स्टे ऑर्डर वापिस लेने से इनकार कर दिया है. इस संदर्भ में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के आवेदन को खारिज कर दिया है. राज्य सरकार ने आवेदन के माध्यम से गुहार लगाई थी कि आउटसोर्स भर्ती पर लगाया गया स्टे हटाया जाए.

हिमाचल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गुरमीत सिंह संधवालिया व न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने कहा कि नर्सों की भर्ती के लिए बनाए आरएंडपी रूल्स यानी रिक्रूटमेंट एंड प्रमोशन नियमों की पूरी तरह से अनदेखी कर आउटसोर्स आधार पर नियुक्ति की प्रक्रिया अपनाई जा रही है. उन्हें यानी नर्सों को विवेकपूर्ण तरीके से नियुक्त नहीं किया जा रहा है.

इस मामले में पिछली सुनवाई के दौरान सामने आया था कि भर्ती करने वाले ऐसे 36 ठेकेदारों के नाम हैं, जिन्हें हिमाचल प्रदेश राज्य इलेक्ट्रॉनिक विकास निगम ने अनुमोदित किया है. अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया उनकी सूची को देखने से पता चलता है कि उनमें से कई ठेकेदारों का ऐसी भर्तियों से कोई लेना-देना नहीं है. यही नहीं, उन्होंने कभी भी इस प्रकार की भर्ती का कोई मामला नहीं संभाला है.

हाईकोर्ट ने कहा था कि एक अकेला ही नहीं, ऐसे कई मामले हो सकते हैं, जहां इन भर्ती फर्मों के मालिक यानी ठेकेदार खुद पूरी तरह से अशिक्षित या अर्ध-साक्षर हों. फिर भी ये देखना आश्चर्यजनक है कि उन्हें कानून अधिकारी, नर्स, डॉक्टर आदि जिम्मेदार पदों पर आउटसोर्स आधार पर भर्ती का काम सौंपा गया है.

क्या है मामला ?

हाईकोर्ट के स्थगन आदेश के बाद राज्य सरकार ने अदालत से आवेदन के माध्यम से स्टे ऑर्डर हटाने की गुहार लगाई थी. पूर्व में राज्य सरकार ने अदालत ने कहा था कि जब तक आरएंडपी रूल्स के तहत नर्सों के पदों को भरने के लिए आरंभ की गई प्रक्रिया अंतिम चरण तक नहीं पहुंचती, तब तक सरकार को आउटसोर्स आधार पर पद भरने की अनुमति दी जाए. न्यायालय ने आउटसोर्स आधार पर भर्ती पर स्टे लगा दिया था. इस स्टे को वेकेट करने का आवेदन लेकर राज्य सरकार अदालत में आई थी, लेकिन हाईकोर्ट ने स्टे हटाने से इनकार कर दिया है.

अदालत के समक्ष यह बताया गया कि बड़े समय से नर्सों के पदों को आरएंडपी रूल्स के तहत नहीं भरा गया है. फिलहाल 28 पदों को भरने का राज्य सरकार की ओर से निर्णय लिया गया है. इस पर हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया था कि यह पूरी तरह तय हो चुका है कि स्टॉप गैप अरेंजमेंट पर की जाने वाली भर्तियां भी कानून के अनुसार आरएंडपी नियमों के अनुरूप नहीं हो सकती हैं. यानी अदालत का कहना था कि नर्सों की भर्ती विवेकपूर्ण तरीके से आरएंडपी रूल्स के तहत ही होनी चाहिए न कि आउटसोर्स आधार पर.

ये भी पढ़ें: नालागढ़ में ट्रक ऑपरेटर्स यूनियन की कथित मनमानी पर रिपोर्ट तलब, गृह व उद्योग सचिव सहित डीजीपी-डीसी-एसपी को हाईकोर्ट का नोटिस

शिमला: आउटसोर्स भर्ती से जुड़े एक मामले में एक बड़ा घटनाक्रम पेश आया है. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने आउटसोर्स आधार पर नर्सेज के पद भरने वाले मामले में अपने स्थगन आदेश यानी स्टे ऑर्डर वापिस लेने से इनकार कर दिया है. इस संदर्भ में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के आवेदन को खारिज कर दिया है. राज्य सरकार ने आवेदन के माध्यम से गुहार लगाई थी कि आउटसोर्स भर्ती पर लगाया गया स्टे हटाया जाए.

हिमाचल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गुरमीत सिंह संधवालिया व न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने कहा कि नर्सों की भर्ती के लिए बनाए आरएंडपी रूल्स यानी रिक्रूटमेंट एंड प्रमोशन नियमों की पूरी तरह से अनदेखी कर आउटसोर्स आधार पर नियुक्ति की प्रक्रिया अपनाई जा रही है. उन्हें यानी नर्सों को विवेकपूर्ण तरीके से नियुक्त नहीं किया जा रहा है.

इस मामले में पिछली सुनवाई के दौरान सामने आया था कि भर्ती करने वाले ऐसे 36 ठेकेदारों के नाम हैं, जिन्हें हिमाचल प्रदेश राज्य इलेक्ट्रॉनिक विकास निगम ने अनुमोदित किया है. अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया उनकी सूची को देखने से पता चलता है कि उनमें से कई ठेकेदारों का ऐसी भर्तियों से कोई लेना-देना नहीं है. यही नहीं, उन्होंने कभी भी इस प्रकार की भर्ती का कोई मामला नहीं संभाला है.

हाईकोर्ट ने कहा था कि एक अकेला ही नहीं, ऐसे कई मामले हो सकते हैं, जहां इन भर्ती फर्मों के मालिक यानी ठेकेदार खुद पूरी तरह से अशिक्षित या अर्ध-साक्षर हों. फिर भी ये देखना आश्चर्यजनक है कि उन्हें कानून अधिकारी, नर्स, डॉक्टर आदि जिम्मेदार पदों पर आउटसोर्स आधार पर भर्ती का काम सौंपा गया है.

क्या है मामला ?

हाईकोर्ट के स्थगन आदेश के बाद राज्य सरकार ने अदालत से आवेदन के माध्यम से स्टे ऑर्डर हटाने की गुहार लगाई थी. पूर्व में राज्य सरकार ने अदालत ने कहा था कि जब तक आरएंडपी रूल्स के तहत नर्सों के पदों को भरने के लिए आरंभ की गई प्रक्रिया अंतिम चरण तक नहीं पहुंचती, तब तक सरकार को आउटसोर्स आधार पर पद भरने की अनुमति दी जाए. न्यायालय ने आउटसोर्स आधार पर भर्ती पर स्टे लगा दिया था. इस स्टे को वेकेट करने का आवेदन लेकर राज्य सरकार अदालत में आई थी, लेकिन हाईकोर्ट ने स्टे हटाने से इनकार कर दिया है.

अदालत के समक्ष यह बताया गया कि बड़े समय से नर्सों के पदों को आरएंडपी रूल्स के तहत नहीं भरा गया है. फिलहाल 28 पदों को भरने का राज्य सरकार की ओर से निर्णय लिया गया है. इस पर हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया था कि यह पूरी तरह तय हो चुका है कि स्टॉप गैप अरेंजमेंट पर की जाने वाली भर्तियां भी कानून के अनुसार आरएंडपी नियमों के अनुरूप नहीं हो सकती हैं. यानी अदालत का कहना था कि नर्सों की भर्ती विवेकपूर्ण तरीके से आरएंडपी रूल्स के तहत ही होनी चाहिए न कि आउटसोर्स आधार पर.

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