शिमला: हिमाचल प्रदेश में फरवरी माह में आए सियासी तूफान के बीच अभी भी कई सुलगते सवाल हल नहीं हुए हैं. राज्यसभा सीट पर मतदान में भाजपा प्रत्याशी हर्ष महाजन का साथ देने वाले तीन निर्दलीय विधायकों ने बाद में विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. पिछले शुक्रवार को दिल्ली से शिमला पहुंचे तीन निर्दलीय विधायकों होशियार सिंह, केएल ठाकुर व आशीष शर्मा ने अपना इस्तीफा विधानसभा सचिव के साथ ही विधानसभा स्पीकर को भी सौंपा. उसके बाद ये सभी शनिवार को भाजपा में शामिल हो गए. कांग्रेस से बगावत करने वाले छह नेता भी भाजपा में शामिल हो गए थे. उन सभी को भाजपा ने उपचुनाव में टिकट भी दे दिया है. अब तीन निर्दलीय विधायकों का मामला बचा हुआ है.
लीगल ऑपशन की ओर रुख करेगी भाजपा!
हालांकि इन तीनों निर्दलीय विधायकों को त्यागपत्र दिए हुए पांच दिन बीत चुके हैं, लेकिन विधानसभा स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने इनका रिजाइन स्वीकार नहीं किया है. इतना समय बीत जाने के बाद भी निर्दलीय विधायकों का रिजाइन मंजूर न होने पर अब भाजपा कानूनी विकल्प पर भी विचार कर रही है. उल्लेखनीय है कि विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद सभी तीनों विधायक राजभवन भी गए थे और राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल को इस बारे में जानकारी दे चुके हैं. अब गेंद स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया के पाले में है.
अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं निर्दलीय
भाजपा की ये रणनीति थी कि कांग्रेस के छह बागियों सहित तीन निर्दलीयों को उपचुनाव में उतारा जाए. सभी को टिकट का भरोसा दिया गया था. कांग्रेस से भाजपा में आए छह नेताओं को तो टिकट मिल गया है, लेकिन तीन बागियों का मामला लटका हुआ है. भाजपा चाहती है कि लोकसभा चुनाव के साथ ही तीन सीटों पर भी उपचुनाव हो जाएं, लेकिन उससे पहले निर्दलीयों का इस्तीफा मंजूर होना जरूरी है. अब स्पीकर की तरफ से फैसले का इंतजार है, नहीं तो विधायकों को अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा. हिमाचल हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट विक्रांत ठाकुर का कहना है कि मौजूदा कानून के तहत स्पीकर को इस्तीफा स्वीकार करना होगा. यदि स्पीकर इस्तीफे को नामंजूर करते हैं तो उन्हें इसका कारण बताना होगा.
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