राम रस में डूबे मुस्लिम लोक कलाकार जैसलमेर.अयोध्या में कल रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है. इसको लेकर पूरे देश में उत्साह का माहौल है. राजस्थान में भी मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर खुशी की लहर है. खासकर स्वर्णनगरी में हिंदू समाज के साथ ही मुस्लिम मिरासी समाज के लोक कलाकार भी प्रभु के आगमन की तैयारी में गीत गा रहे हैं. यहां लोक कलाकारों ने अपनी कुछ पंक्तियों को गीत के माध्यम से देश भर में पहुचाने के साथ ही इन गीतों के जरिए हिंदू-मुस्लिम एकता की अनूठी मिसाल पेश की है. साथ ही यह संदेश दिया है कि दुनिया में सबसे बड़ा धर्म मानवता है.
मंदिर-मस्जिद में फर्क नहीं : कहते हैं कि संगीत और संगीतकार किसी धर्म विशेष के नहीं होते हैं, बल्कि ये तो सबके हैं. संगीत सब को साथ लेकर चलने का संदेश देता है. संगीत की दुनिया में राम और रहीम एक हैं. लोक कलाकार जखब खान ने बताया, ''अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर उनके समाज के लोगों ने गीत व भजन तैयार किया है. उनके समाज के लोग मंदिर और मस्जिद में फर्क नहीं करते हैं. उनकी कौम हमेशा दोनों समुदायों को संगीत के जरिए जोड़ने की पहल करते रही है.''
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शुरू से चली आ रही परंपरा :उन्होंने बताया, ''हिंदू समाज में किसी भी प्रकार के कार्यक्रम में सबसे पहले मुस्लिम मांगणियार समाज को बुलाया जाता है, जो वहां जाकर उनकी खुशी में शरीक होकर मंगल गीत गाते हैं. यह परंपरा शुरू से चली आ रही है. ऐसे में अयोध्या में बने भगवान राम के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर भी उनके समाज में खुशी है और सभी रामलला के विराजने की खुशी में गीत गा रहे हैं.'' वहीं, लोक कलाकार सकुर खान कहते हैं, ''अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर मैं बहुत खुशी हूं. आज से करीब 25 साल पहले मैं एक सूफी गीत गाया था, जिसे फिर से राम नाम के धुन पर दोहराया हूं और इस गीत को गाकर मैं बहुत खुश हूं.''
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रामोत्सव में रमा जैसलमेर :प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या में हो रहे राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर जैसलमेर में भी उत्साह का माहौल है. इसको लेकर जिले के सभी मंदिरों में विभिन्न धार्मिक आयोजन किए जा रहे हैं. वहीं, विभिन्न स्थानों व मंदिरों में सोमवार को शोभायात्रा व अखंड सुंदरकांड पाठ का आयोजन होगा. साथ ही शाम के समय दीप प्रज्ज्वलित कर दिवाली मनाई जाएगी.