लखनऊ: पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में राज्य कर्मचारियों के 25 संगठन विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के साथ में आ गए हैं. यूपी प्रेस क्लब में प्रेसवार्ता कर इन संगठनों ने एक साथ निजीकरण का विरोध करने की घोषणा की. विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि राज्य कर्मचारियों के 25 संगठन हमारे साथ हैं.
हम सभी मिलकर निजीकरण का विरोध कर रहे हैं. अगर निजीकरण लागू हुआ तो 77 हजार से ज्यादा कर्मचारी नौकरी से हाथ धो बैठेंगे और डेढ़ करोड़ उपभोक्ताओं की बिजली महंगी हो सकती है.
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे (Photo Credit- ETV Bharat) इतने पदों से हटाए जाएंगे कर्मचारी: विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे का कहना है कि पूर्वांचल डिस्कॉम में कर्मचारियों के कुल 44,330 पद हैं. इनमें 27000 संविदा कर्मी हैं और 17330 नियमित कर्मचारी हैं. अगर निजीकरण हुआ, तो 27000 संविदा कर्मी बेरोजगार हो जाएंगे. बड़े पैमाने पर लोगों तो रिवर्ट किया जाएगा और छंटनी भी होगी.
दक्षिणांचल डिस्कॉम में कर्मचारियों के कुल 33,161 पद हैं. इनमें 23,000 संविदा कर्मी हैं और 10,161 नियमित कर्मचारी हैं. दक्षिणांचल का निजीकरण होने के बाद भी यह पद अपने आप खत्म हो जाएंगे. 23000 संविदा कर्मी यहां भी बेरोजगार होंगे. दक्षिणांचल में 8582 कर्मचारी हैं. यह कर्मचारी दक्षिणांचल डिस्कॉम के कर्मचारी हैं, इसलिए पावर कॉरपोरेशन में किसी नियम के तहत इनका प्रत्यार्पण नहीं हो सकता है. इनकी सेवाएं भी निजी कंपनियों के रहमो करम पर रहेंगी.
शैलेंद्र दुबे ने कहा कि देश के अन्य स्थानों पर जहां निजीकरण हुआ है, वहां निजी कंपनियों ने पावर कॉरपोरेशन के कर्मचारियों को निकाल दिया है. दक्षिणांचल में कॉमन कैडर के अभियंताओं और अवर अभियंताओं की कुल संख्या 1579 है, चूंकि यह कॉमन कैडर के हैं, इसलिए इन्हें रिवर्ट किया जाएगा. इनकी नौकरी खत्म हो जाएगी.
महंगी हो जाएगी बिजली:उत्तर प्रदेश में अभी तक 0 से 100 यूनिट तक 3.35 रुपए प्रति यूनिट की दर से वसूल किया जाता है, जबकि मुंबई में टाटा की दरें एक अप्रैल 2024 से 5.33 रुपए प्रति यूनिट हैं. उत्तर प्रदेश में 101 से 150 यूनिट तक 3.85 रुपए तो मुंबई में 8.51 प्रति यूनिट है. उत्तर प्रदेश में 151 से 300 यूनिट तक 5 रुपये प्रति यूनिट तो मुंबई में 8.51 रुपये पैसे प्रति यूनिट है. उत्तर प्रदेश में 301 से 500 यूनिट तक के लिए 5.50 रुपये प्रति यूनिट है, तो मुंबई में टाटा की दरें 14.77 रुपये प्रति यूनिट हैं. उत्तर प्रदेश में 501 यूनिट से ऊपर 7.50 रुपये हैं जबकि मुंबई में 15.71 रुपये प्रति यूनिट हैं.
नहीं मिलेंगी ये सुविधाएं: उन्होंने बताया कि कर्मचारियों को वर्तमान में रियायती दर की बिजली की सुविधा मिल रही है, वो 42 जनपदों में खत्म हो जाएगी. निजीकरण होने के बाद जिन कर्मचारियों की छंटनी हो जाएगी या जिन कर्मचारियों को निजी कंपनी रख भी लेगी, तो ऐसे कर्मचारियों को मेडिकल रीइंबर्समेंट की सुविधा नहीं मिलेगी.
शैलेंद्र दुबे ने कहा कि पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन निजीकरण के बाद आकर्षक वीआरएस के नाम पर पहले से ही छंटनी की बात कर रहा है. उनका कहना है कि मृतक आश्रित को सेवा में लेना भी खत्म हो जाएगा. निजी क्षेत्र में पूरे देश में ऐसा प्रावधान कहीं नहीं है. सबसे अधिक जोखिम भरे बिजली विभाग में मृत्यु होने पर कर्मचारियों के परिवार को भगवान भरोसे छोड़ दिया जाएगा. सीपीएफ में जमा धनराशि निजी क्षेत्र में जाने के बाद उन्हें मिलेगी या नहीं यह भी कोई नहीं जानता.
उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन निविदा/संविदा कर्मचारी संघ की रविवार को बैठक हुई. प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेंद्र पांडेय ने कहा पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम को पीपीपी मॉडल के तहत निजी क्षेत्र में देने का विरोध सभी संगठन करेंगे. सभी संगठन अपने-अपने स्तर से रणनीति बना रहे हैं. संगठनों का कहना है कि अगर निजीकरण हुआ, तो बिल्कुल सही नहीं होगा. कर्मचारी काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन करेंगे. 17 दिसंबर से सत्याग्रह करेंगे और उपभोक्ताओं के हित में संविदा कर्मचारी 1 घंटे ज्यादा काम करेंगे.
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