नई दिल्ली: दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (डीटीसी) के हजारों कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं. मांगें तो पूरी नहीं हुईं और करीब डेढ़ हजार से अधिक कर्मचारियों का तबादला एक से दूसरे डिपो में कर दिया गया. कर्मचारियों का आरोप है कि यूपी के बॉर्डर से उनका तबादला हरियाणा के बॉर्डर पर कर दिया गया है. ऐसे में सुबह नौकरी पर पहुंचना मुश्किल होता है. इसके साथ ही वे अन्य समस्याओं से भी जूझ रहे हैं. ऐसे में कर्मचारी आगामी 16 अक्टूबर को दिल्ली में बड़ी हड़ताल करने जा रहे हैं. अगर ये कर्मचारी हड़ताल पर जाते हैं तो डीटीसी बसों में सफर करने वाले लाखों यात्रियों को परेशानी उठानी पड़ सकती है.
डीटीसी कर्मचारी एकता यूनियन के प्रेसिडेंट ललित चौधरी ने कहा कि डीटीसी में नियमित और संविदा कर्मचारियों के तबादले किए जा रहे हैं. अब तक करीब डेढ़ हजार कर्मचारियों के तबादले किए गए हैं. उत्तर प्रदेश की सीमा के नजदीक के डिपो में काम कर रहे चालक-परिचालक या अन्य कर्मचारियों का हरियाणा के बॉर्डर के पास बस डिपो में तबादला कर दिया गया है. ऐसे में कर्मचारी परेशान हैं. यदि परिवार को दूसरी जगह शिफ्ट करते हैं तो बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी. अधिक दूरी होने के कारण रोज लंबी दूरी का सफर कर नौकरी पर पहुंचना भी मुश्किल होता है. ऐसे में कर्मचारी नौकरी छोड़ने को बाध्य हो रहे हैं. कहीं न कहीं कर्मचारियों को नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है.
तबादला रोकने के नाम पर पैसे लेने का आरोप: ललित चौधरी का कहना है कि डीटीसी अधिकारियों की मनमानी चल रही है. बिना कर्मचारियों का हित देखे उनका तबादला कर दिया जा रहा है. साथ ही उन्होंने यह आरोप लगाया है की तबादला रोकने के नाम पर कुछ अधिकारी कर्मचारियों से पैसे भी ले रहे हैं.
समान कार्य-समान वेतन समेत अन्य मांगे: उन्होंने कहा कि डीटीसी में संविदा पर काम करने वाले कर्मचारी लंबे समय से नौकरी को नियमित करने की मांग कर रहे हैं. यदि नौकरी नियमित नहीं हो सकती, तो समान कार्य-समान वेतन की मांग कर रहे हैं. कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें नियमित कर्मचारियों को मिल रही कई सुविधाएं भी नहीं मिलती है, जबकि वह नियमित कर्मचारियों की तरह ही पूरी जिम्मेदारी से काम करते हैं.