इस्लामाबाद: पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव हर गुजरते दिन के साथ बढ़ता जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तानी सेना वाखान कॉरिडोर पर कब्जा करने की तैयारी कर रही है. वाखान कॉरिडोर अफगानिस्तान का 'चिकन नेक' के तौर पर जाना जाता है. पाकिस्तानी रक्षा विश्लेषक कमर चीमा ने यह जानकारी साझा की है. कुछ सोशल मीडिया पोस्ट्स में यह भी दावा किया गया है कि पाकिस्तान ने वाखान कॉरिडोर पर कब्जा करने के लिए पहले ही कार्रवाई शुरू कर दी है.
आइये जानते हैं यह वाखान कॉरिडोर इतना महत्वपूर्ण क्यों है, और क्या पाकिस्तान ऐसा कदम उठाने में सक्षम है? पाकिस्तान द्वारा वाखान कॉरिडोर पर कब्जा करने की खबरों के बीच, दूसरी ओर, अफगानिस्तान में बदख्शां पुलिस कमांड ने वाखान में पाकिस्तान की मौजूदगी की किसी भी रिपोर्ट से इनकार किया है. खुरासान डायरी की एक रिपोर्ट में बदख्शां पुलिस कमांड के प्रवक्ता ने कहा कि हमारे पास पाकिस्तान की मौजूदगी या उनके द्वारा वखान कॉरिडोर पर कब्जा करने के किसी भी दावे की कोई रिपोर्ट नहीं है. उन्होंने वखान पर पाकिस्तानी सैन्य हमले के बारे में सोशल मीडिया की अफवाहों को निराधार बताया.
If Afghanistan and TTP keeps playing games, maybe it’s time for Pakistan to reclaim what’s rightfully ours the Wakhan Corridor. ⚜️
— Hafsa H Malik (@kashmiricanibal) December 29, 2024
After all, why should those (🇦🇫) who can’t handle their own borders enjoy prime real estate? Just sayying 😊 pic.twitter.com/gB0iGMeEFS
वखान कॉरिडोर क्यों महत्वपूर्ण है?
कमर चीमा ने वखान कॉरिडोर पर नियंत्रण करने के शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली पाकिस्तानी सरकार के प्रयास को एक चुनौतीपूर्ण काम बताया है. इसके महत्व को समझाते हुए चीमा ने कहा कि यह संकरी पट्टी अफगानिस्तान को चीन तक सीधी पहुंच प्रदान करती है. हालांकि, अगर पाकिस्तान इस कॉरिडोर पर नियंत्रण कर लेता है, तो उसे ताजिकिस्तान तक सीधी पहुंच मिल जाएगी. वर्तमान में, अफगानिस्तान एक बाधा के रूप में इस क्षेत्र में सक्रिय है. जो मध्य एशिया के साथ पाकिस्तान के संबंध को काटता है.
वखान पर नियंत्रण करने की संभावना के बारे में बात करते हुए चीमा ने कहा कि पाकिस्तान एक बड़ा देश है, लेकिन उसे इस तरह के प्रयास के लिए चीन का समर्थन हासिल करना होगा. चीन की ओर से समर्थन मिलने का एक कारण इस इलाके में उइगर उग्रवादियों का सक्रिय होना हो सकता है. लेकिन अफगानिस्तान में चीन के निवेश और सक्रिय परियोजनाओं को देखते हुए वर्तमान में अफगानिस्तान के खिलाफ किसी भी आक्रामक कार्रवाई के लिए चीन का समर्थन मिलने की संभावना कम ही है.
इसके अलावा, अगर पाकिस्तान ऐसा करने की कोशिश करता है, तो उसे अंतरराष्ट्रीय दबाव का सामना करना पड़ सकता है. सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इस तरह की कार्रवाई तालिबान को पाकिस्तान के खिलाफ एक नया मोर्चा खोलने के लिए उकसा सकती है. पिछले हफ्ते ही तालिबान ने सीमा पार करके पाकिस्तानी सैन्य चौकियों पर हमला किया था.