छिंदवाड़ा: दशहरा के दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध कर विजय प्राप्त की थी. इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में पूरे देश में मनाया जाता है. कहा जाता है कि अगर दशहरा के दिन नीलकंठ पक्षी के किसी को दर्शन हो जाएं तो वह सबसे सौभाग्यशाली व्यक्ति माना जाता है. आइए जानते हैं कि नीलकंठ दर्शन के ज्योतिष में क्या महत्व है?
ब्रह्महत्या के पाप से भगवान राम को मिली थी मुक्ति
श्री गणेश मठ के महामंडलेश्वर ज्योतिषाचार्य डॉ. वैभव आलोणीने बताया, '' जब भगवान श्रीराम चंद्र ने लंका में रावण को युद्ध में परास्त कर वध किया था तो वह स्वयं को ब्रह्महत्या का दोषी मानने लगे थे. क्योंकि रावण एक ज्ञानी ब्राह्मण था. ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए भगवान श्री राम और लक्ष्मण ने शिवजी की आराधना की थी. भगवान शंकर ने श्री राम और लक्ष्मण को नीलकंठ के रूप में दर्शन देकर ब्रह्महत्या के पाप से प्रायश्चित करने का तरीका बताया था और वह ब्रह्महत्या के पाप से मुक्त हो गए थे. इसी वजह से दशहरा के दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन का विशेष महत्व है.''
विष पीकर नीलकंठ हो गए थे भगवान भोलेनाथ
डॉ. वैभव आलोणी ने बताया कि ''जब समुद्र मंथन हुआ था, उस दौरान मंथन में जहर भी निकला था. सारी पृथ्वी पर हाहाकार मच गया था कि अगर यह पृथ्वी में फैल गया तो प्रलय आ जाएगा. इसके बाद देवताओं ने भगवान शिव की आराधना की थी कि इस परेशानी से मुक्ति दिलाएं. भगवान शंकर ने उस जहर को पीकर अपने कंठ में समाहित कर लिया था. इसके बाद भगवान शंकर का गला नीला हो गया. तब से वह नीलकंठ कहलाते हैं. नीलकंठ पक्षी का गला भी नीला होता है और उन्हें भगवान शंकर का ही एक रूप माना जाता है, इसलिए नीलकंठ के दर्शन शुभ माने जाते हैं.''