दमोह। मध्य प्रदेश के दमोह जिले से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जिसमें जीते जी एक रिटायर्ड शिक्षक अपनी ही तेरहवीं कर रहे हैं. बाकायदा इसके लिए कार्ड छपवाकर समाज में बांटे भी गए हैं. जीते जी रक्तदान मरते मरते दे दान. यह वाक्य तो आपने बहुत सुना होगा, लेकिन क्या कभी आपने ऐसा भी सुना है कि लोग जीते जी ही अपनी तेरहवीं कर दे. सुनने पढ़ने में आपको अजीब जरूर लग रहा होगा लेकिन यह बात सच है.
कार्ड छपवाकर लोगों को दिया निमंत्रण
दरअसल, दमोह नगर के फुटेरा वार्ड नंबर एक में रहने वाले रिटायर्ड शिक्षक जीपी सोनी जीते जी अपनी तेरहवीं कर रहे हैं. इसके लिए उन्होंने न केवल कार्ड छपवाए बल्कि उन्हें समाज में बंटवाकर लोगों को तेरहवीं पर आयोजित स्वल्पाहार में आने का न्योता भी दिया है. जीपी सोनी ने अपने कार्ड में सबसे ऊपर शोक संदेश की जगह है विस्मरण पत्र लिखवाया है. उसमें लिखा है कि 'सूचित करना पड़ रहा है कि जयप्रकाश सोनी शिक्षक की आत्मा का निधन हो गया है. उनके आत्म विहीन शरीर को स्वस्थ रहने हेतु दिनांक 31 मार्च 2024 को स्वल्पाहार का आयोजन किया जा रहा है. सो जानवी. अतः आप पधारकर सुभाशीष प्रदान करें. इसके नीचे कार्यक्रम का स्थान और समय दिया गया है.' इसी कार्ड में जीपी सोनी ने अपनी फोटो के साथ अपने बेटे प्रवीण सोनी की फोटो भी प्रिंट करवाई है. साथ ही लोगों को भोजन भी कराया है.
परिवार को नहीं है कोई आपत्ति
ईटीवी भारत से बातचीत में सोनी ने बताया कि 'इस संसार में सब कुछ मिथ्या है. मरने के बाद कोई व्यक्ति अपने साथ कुछ नहीं ले जा सकता. जैसा आया था वैसा ही जाएगा. इसलिए उन्होंने अपनी तेरहवीं करने का निर्णय लिया है. इसके लिए परिवार के किसी भी सदस्य को आपत्ति नहीं है. बल्कि पत्नी और बच्चे इस तेरहवीं आयोजन के लिए सहमत हैं. यह पूछे जाने पर क्या आपके द्वारा आयोजित कार्यक्रम शास्त्रोक्त है ? इसका कहीं शास्त्रों में वर्णन किया गया है. तो उन्होंने बताया कि उमा मिस्त्री की तलैया पर रहने वाले एक नेमा परिवार जो की सीता नगर का है. उनके दादा ने अपने जीते जी अपनी तेरहवीं का आयोजन किया था. ऐसा नहीं है कि उनके परिवार में कोई कमी थी. चार बेटे थे. भरा पूरा परिवार था लेकिन उन्होंने उसके बाद भी तेरहवीं की और इसका शास्त्रों में वर्णन भी किया गया है.'