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हरियर छत्तीसगढ़ की राह में कौन बना रोड़ा, अरबों हुआ खर्च लेकिन नतीजा शून्य बटा सन्नाटा - Harihar Chhattisgarh yojna

छत्तीसगढ़ को हरियर छत्तीसगढ़ बनाने का सपना छत्तीसगढ़ के निर्माण के साल से चल रहा है. पर ये सपना आज सालों बाद भी पूरा नहीं हो पाया है. हरियर छत्तीसगढ़ के लिए अरबों रुपए खर्च किए गए हैं. लंबे चौड़े खर्च के बाद भी नतीजा सिफर ही रहा है.

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हरियर छत्तीसगढ़ योजना (ETV Bharat)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jul 19, 2024, 3:58 PM IST

Updated : Jul 19, 2024, 10:20 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद से लगातार प्रदेश में हर साल बरसात में लाखों नहीं करोड़ों पौधे लगाए जाते हैं. करोड़ों पौधों को लगाने में लाखों करोड़ों रुपए का खर्च भी आता है. छत्तीसगढ़ राज्य बने 24 साल हो गए हैं. इन 24 सालों में लगातार हो रहे पौधारोपण कार्यक्रम के बाद भी हराभरा छत्तीसगढ़ का सपना साकार नहीं हो पाया है. और तो और जो हरा भरा छत्तीसगढ़ था उसके दायरे में भी कमी आई है.

हरियर छत्तीसगढ़ योजना (ETV Bharat)

हरियर छत्तीसगढ़ का सपना कब होगा अपना:छत्तीसढ़ कभी जंगलों और पहाड़ों के लिए जाना जाता था. यहां की नेचुरल ब्यूटी का दीदार करने के लिए लोग दूसरे राज्यों से आते रहे हैं. लेकिन अब जंगल का दायरा तेजी से कम होता जा रहा है. जो हरियाली पहले हुआ करती थी अब उसमें तेजी से कमी आई है. इसी कमी को पूरा करने के लिए हरिहर छत्तीसगढ़ का सपना देखा गया. हर साल बारिश के मौसम में करोड़ों पौधे लगाए जाने की योजना चलाई गई. मकसद साफ था छत्तीसगढ़ को फिर से हराभरा करना. आंकड़े बताते हैं कि जिस अनुपात में पौधारोपण हुआ उस अनुपात में पेड़ों की संख्या नहीं बढ़ी. ग्रीनरी भी कम हुई जिसके बाद योजना पर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं.

आंकड़े जो बता रहे हैं योजना की हकीकत:पर्यावरण प्रेमी नितिन सिंघवी कहते हैं कि ''फॉरेस्ट सर्वे आफ इंडिया 2017 की जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ के वनों में 116 करोड़ पेड़ थे. राज्य बनने के बाद पिछले 24 सालों में लगभग 60 से 70 करोड़ पौधे अलग-अलग अभियान के दौरान प्रदेश में लगाए जाने के दावे किए गए. यदि लगाए गए यह पौधे बच जाते तो अभी जो हमारा वन क्षेत्र 42 फ़ीसदी है, वह लगभग 20 फीसदी बढ़ चुका होता. लगभग 62 फ़ीसदी के आसपास छत्तीसगढ़ का वन क्षेत्र हो जाता. ऐसे में जगह की कमी पड़ जाती. मान लो जितने पौधे लगाए गए थे उसमें से 25 फ़ीसदी भी पेड़ बन जाते और बच जाते तो हमारे प्रदेश का वन क्षेत्रफल लगभग 5 फीसदी बढ़ जाता. यानी की 47 फ़ीसदी के आसपास ये आंकड़ा होता. लेकिन अब तक ऐसी कहीं भी जानकारी नहीं आई है कि प्रदेश में वन क्षेत्रफल बढ़ा है.''


''हमारे यहां 5 जून को एनवायरमेंट डे मनाया जाता है. जब पूरा का पूरा हिंदुस्तान ड्राई पड़ा रहता है और इस दौरान पूरे इंडिया में पौधारोपण करते हैं. जबकी वह पौधारोपण का समय ही नहीं होता है. जब पानी गिर जाता है और जमीन में लगभग डेढ़ फीट तक नमी आती है तब पौधारोपण किया जाना चाहिए. 5 जून अंतर्राष्ट्रीय दिवस विदेश के हिसाब से उचित हो सकता है. भारत के हिसाब से नहीं. लेकिन उस रोज भी दिखावे के नाम पर पौधारोपण किया जाता है. शायद ही उस दिन किया गया पौधारोपण का एक भी पेड़ बच पाता होगा.'' - नितिन सिंघवी, वन्य प्रेमी, रायपुर



'नियम के खिलाफ हो रहे काम': नितिन सिंघवी ने कहा कि ''देखा जाता है कि पौधारोपण की तत्काल तैयारी की जाती है. जबकि वन विभाग के नियम के तहत जहां पौधारोपण करना है उस भूमि का चयन लगभग 1 साल पहले किया जाना चाहिए. भूमि के अनुसार नर्सरी तैयार की जानी चाहिए. पौधारोपण के तीन माह पहले गड्ढे तैयार हो जाने चाहिए और किसी भी हालत में पौधारोपण 20 जुलाई तक समाप्त हो जाना चाहिए.''


'जिम्मेदारों से किया जाना चाहिए जवाब तलब': नितिन सिंघवी का कहना है कि ''छत्तीसगढ़ में देखा गया कि कई बार 20 जुलाई के बाद पौधारोपण अभियान की शुरुआत की गई. वन विभाग के नियम भी कहते हैं यदि पौधारोपण एक निश्चित अनुपात के बाद फेलियर है तो संबंधित अधिकारी डीएफओ तक से इसकी वसूली की जाएगी, लेकिन इसे लेकर अब तक कोई आंकड़े विभाग की ओर से जारी नहीं किए गए. नहीं इस तरह की किसी कार्रवाई की जानकारी दी गई. यदि नियम अनुसार और समय पर पौधारोपण किया जाए तो इसके अच्छे परिणाम भी देखने को मिलेंगे.''

सरकार का लक्ष्य: साल 2024-25 की बात की जाए तो इस साल भी लगभग चार करोड़ से अधिक पौधारोपण का लक्ष्य रखा गया है. इसकी शुरुआत हो चुकी है और विभिन्न योजनाओं के माध्यम से जगह-जगह पौधे रोपे भी जा रहा हैं. विधानसभा सत्र के दौरान अनुदान मांगों पर चर्चा के जवाब में वन मंत्री केदार कश्यप ने बताया था कि ''प्रदेश में लगभग 44.24 प्रतिशत वन क्षेत्र है. पर्यावरण के संरक्षण और संवर्धन के साथ ही आदिवासियों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए 2832 करोड़ की राशि का बजट प्रावधान अगले वित्तीय वर्ष में किया गया. प्रदेश में हरियाली के प्रसार के लिए वन क्षेत्रों में ‘हरियर छत्तीसगढ़’ योजना के तहत 2431 हेक्टेयर क्षेत्र में 20 लाख से अधिक पौधे लगाने की योजना पर कार्य कर रही है.''

बांस वनों के सुधार में कितना हुआ काम: इसी तरह बांस वनों के संवर्धन के लिए 68 करोड़ 89 लाख रूपए खर्च का प्रावधान किया गया. बिगड़े वनों के सुधार के लिए 272 करोड़ 4 लाख का प्रावधान किया गया. नदी तट वृक्षारोपण योजना के तहत नदी तटों पर भू-क्षरण रोकने के उद्देश्य से अधिक से अधिक पौधों के रोपण हेतु वर्ष 2024-25 में 7 करोड़ 47 लाख का प्रावधान हुआ. भू-संरक्षण और बाढ़ नियंत्रण संबंधी कामों के लिए 119 करोड़ 27 लाख का प्रावधान रखा गया. पर्यावरण वानिकी के लिए 40 करोड़, पथ वृक्षारोपण के लिए 7 करोड़, वन मार्गों पर रपटा एवं पुलिया निर्माण के लिए 8 करोड़ 60 लाख का प्रावधान इस बजट में किया गया.

हरियर छत्तीसगढ़ के लिए भविष्य की योजननाएं


* जगदलपुर: सड़क किनारे वृक्षारोपण के अंतर्गत कुल 308450 पौधों का रोपण किया जाना है.
* रायपुर: सड़क किनारे वृक्षारोपण में 323913 पौधों का रोपण किया जाना है.
* कांकेर: सड़कों के किनारे 158804 पौधों का रोपण किया जाना है.
* सरगुजा: सड़क किनारे वृक्षारोपण में 5053370 पौधारोपण का लक्ष्य रखा गया है.
* दुर्ग: सड़कों के किनारे 142468 पौधों का रोपण किया जाना है.
* बिलासपुर: सड़क किनारे वृक्षारोपण में 454159 पौधा रोपण का लक्ष्य रखा गया है.
* किसान वृक्ष मित्र योजना: इनके तहत 2 करोड़ 82 लाख 35 हजार 894 पौधों का रोपण कृषकों के द्वारा अपनी भूमि पर किया जा रहा है.

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Last Updated : Jul 19, 2024, 10:20 PM IST

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