मुंबई: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद महौल राजनीतिक रूप से काफी रफ्तार भरा रहने वाला है. आज नतीजे आने के बाद विभिन्न दलों के पास सरकार गठन के लिए महज 72 घंटे का समय होगा. मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को खत्म हो रहा है. इस लिहाज से चुनाव परिणाम औने के बाद सरकार गठन तक का समय काफी महत्वपूर्ण रहने वाला है. खासतौर से उस स्थिति में जब किसी एक गठबंधन को पूर्ण या स्पष्ट बहुमत ना मिले. 26 नवंबर तक यदि कोई भी गठबंधन सरकार बनाने में विफल रहती है तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो जाएगा.
यहां यह ध्यान में रखना चाहिए कि 1990 के बाद से महाराष्ट्र में किसी भी एक पार्टी को स्पष्ट जनादेश नहीं मिला है. हालांकि, संवैधानिक विशेषज्ञों का कहना है कि राष्ट्रपति शासन लागू करने से पहले राज्यपाल के पास सबसे बड़ी पार्टी को सदन में अपना बहुमत साबित करने के लिए आमंत्रित करने का विवेकाधिकार है.
वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता विश्वजीत भट्टाचार्य ने मीडिया से बातचीत में कहा कि सरकार गठन के विकल्प पर विचार किए बिना परिणाम के तुरंत बाद राष्ट्रपति शासन लागू करने का कोई सवाल ही नहीं उठता. परिणाम आने के बाद सरकार बनाने के लिए कई दावेदार होंगे. राज्यपाल को उनमें से किसी एक को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करना चाहिए. राज्यपाल जिसे आमंत्रित करेंगे उन्हें एक निश्चित समयावधि के भीतर सदन में बहुमत साबित करने के लिए कहना चाहिए.
महाराष्ट्र में पिछली बार किसी एक पार्टी को 1985 में बहुमत मिला था. तब कांग्रेस ने 161 सीटें जीती थीं. तब से, सात विधानसभा चुनावों में खंडित जनादेश और गठबंधन सरकारें बनी हैं. 2024 के लोकसभा चुनावों में महाराष्ट्र में गंभीर झटके के बाद एनडीए इस बार मजबूत पैर जमाने का लक्ष्य लेकर चल रहा है. 2019 में, भाजपा 105 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी और भाजपा-शिवसेना (56 सीटें) गठबंधन ने बहुमत हासिल किया.
इसके बावजूद सीएम पद को लेकर असहमति के कारण राजनीतिक उथल-पुथल मच गई. कई दिनों तक अनिश्चितता जारी रही, जिसके कारण राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा हालांकि, 23 नवंबर, 2019 को अचानक हुए एक कदम में, भाजपा के देवेंद्र फडणवीस और एनसीपी के अजीत पवार ने क्रमशः सीएम और डिप्टी सीएम के रूप में शपथ ली. उनका गठबंधन कुछ ही दिनों में टूट गया.
एमवीए के गठन के साथ संकट समाप्त हो गया. उद्धव ठाकरे सीएम बने. वह सरकार मई 2022 तक चली जब विधान परिषद चुनावों के दौरान एक और संकट खड़ा हो गया ठाकरे ने इस्तीफा दे दिया. 30 जून, 2022 को शिंदे भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बन गए. जुलाई 2023 में और अस्थिरता तब आई जब अजित पवार के नेतृत्व वाला एक गुट भाजपा-सेना गठबंधन में शामिल हो गया. अजित पवार एक बार फिर उपमुख्यमंत्री बन गए. महाराष्ट्र में तीन बार सहित विभिन्न राज्यों में 126 बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया है.