देहरादून: केदारनाथ उपचुनाव के लिए 20 नवंबर को मतदान होना है. ऐसे में राजनीतिक पार्टियां प्रचार-प्रसार में जुटी हुई हैं. प्रदेश की दोनों मुख्य पार्टियां भाजपा और कांग्रेस की ओर से प्रत्याशियों का ऐलान किए जाने के बाद से ही उम्मीदवार और पार्टी के तमाम नेता लोगों के बीच जा रहे हैं. उपचुनाव को लेकर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने केदार घाटी में की गई घोषणाओं को भी मुद्दा बनाकर भुनाने की कवायत में जुट गई है. कांग्रेस नेता इस बात पर जोर दे रहे हैं कि जब केदारनाथ विधानसभा सीट से विधायक शैलारानी रावत जीवित थी, उस दौरान वो अपने कामों को लेकर चक्कर काट रही थी. लेकिन उनके निधन के बाद जैसे ही उपचुनाव की बेला नजदीक आई तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केदारनाथ घाटी के लिए घोषणाओं का पिटारा खोल दिया.
इतने मतदाता करेंगे प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला:केदारनाथ विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में कुल 6 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. जिनके भाग्य का फैसला 23 नवंबर को मतगणना के बाद होगा. लिहाजा यह सभी प्रत्याशी केदारनाथ विधानसभा सीट पर अपने अपने स्तर से मतदाताओं को रिझाने में लगे हैं. केदारनाथ विधानसभा सीट पर कुल 90,540 मतदाता हैं, जिसमें 44,765 पुरुष मतदाता और 45,775 महिला मतदाता शामिल हैं. इसके साथ ही इस विधानसभा सीट पर कुल 2949 सर्विस वोटर हैं जिनमें 2921 पुरुष मतदाता और 28 महिला मतदाता शामिल हैं. कुल सामान्य मतदाताओं में से 1092 दिव्यांग मतदाता हैं. 85 साल से अधिक उम्र के 641 मतदाता हैं. इसके साथ ही 18 से 19 उम्र के कुल 2441 मतदाता है.
कांग्रेस के लिए जीत करेगी संजीवनी का काम:केदारनाथ उपचुनाव को जीतना भाजपा के लिए नाक का सवाल बना हुआ है, क्योंकि हाल ही में हुए दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के परिणाम भाजपा के पक्ष में नहीं थे. बदरीनाथ और मंगलौर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी. इसी क्रम में, केदारनाथ उपचुनाव की जीत कांग्रेस के लिए संजीवनी का काम करेगी. क्योंकि दो उपचुनाव में पहले ही कांग्रेस जीत दर्ज कर चुकी है. ऐसे में अगर कांग्रेस केदारनाथ विधानसभा सीट के इस उपचुनाव को भी जीत लेती है तो ये कांग्रेस के लिए बड़ी संजीवनी साबित होगी. यही वजह है कि कांग्रेस किसी भी मुद्दे को हाथ से जाने नहीं देना चाहती. हर मुद्दे को भाजपा के खिलाफ हथियार बनाकर प्रचार-प्रसार कर रही है.