जयपुर.साहित्य के महाकुंभ के नाम से अपनी अनूठी पहचान रखने वाले 'जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल' का सोमवार को अगले साल फिर मिलने के वादे के साथ पांच दिन चले इस कार्यक्रम का समापन हुआ. इससे पहले होटल क्लार्क्स आमेर के फ्रंट लॉन में अभिव्यक्ति की आजादी और तकनीक के दखल पर खुलकर बहस हुई.
इस बहस में पूर्व राजनयिक और लेखक पवन वर्मा ने कहा, "हम आज कि बात कर रहे हैं. संविधान हमें बोलने और अभिव्यक्ति कि आजादी देता है, लेकिन आज प्रायोगिक रूप से देखें तो विभिन्न कानूनों के नाम पर हमारे सभी टेलीफोन कॉल मॉनिटर किए जा सकते हैं. इंटरनेट कम्युनिकेशन पर नजर रखी जा सकती है. वेबसाइट्स को ब्लॉक किया जा सकता है. इंटरनेट शट डाउन किया जा सकता है. किसी को मालूम नहीं है कि ऐसा कब हो रहा है और किसके साथ हो रहा है, इसलिए अब लोग वाट्सएप पर बात नहीं करते. वे फेस टाइम ऑडियो पर बात करते हैं, क्योंकि कोई भी निश्चिंत नहीं है कि कोई नहीं सुन रहा है. यह क्यों महत्वपूर्ण है. यह अहम है क्योंकि फ्री स्पीच अब फ्री स्पीच नहीं है. यह अब डर के साए में है. यह सब हमारे आसपास ही हो रहा है." उन्होंने कहा कि अखबारों में क्या छप रहा है. इस पर भी आज नजर रखी जा रही है.