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आगरा कॉलेज के प्रिंसिपल के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने आदेश, फर्जी दस्तावेज पर नौकरी पाने का आरोप - Agra College

आगरा कॉलेज के प्रिंसिपल के खिलाफ सीजेएम कोर्ट ने मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है. आरोप है कि फर्जी शैक्षिक प्रमाणपत्र और अनुभव के दस्तावेज प्रस्तुत कर पद ग्रहण किया है.

डॉ. अनुराग शुक्ला
डॉ. अनुराग शुक्ला (Etv Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 27, 2024, 8:13 PM IST

आगरा: आगरा कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. अनुराग शुक्ला के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश कोर्ट ने दिया है. सुभाष ढल ने सीजेएम कोर्ट और आगरा पुलिस कमिश्नर से शिकायत की थी. जिसमें आरोप लगाया था कि फर्जी शैक्षिक प्रमाणपत्र और शैक्षिक अनुभव के दस्तावेज प्रस्तुत करके प्रिंसिपल पद को ग्रहण किया है. सीजेएम अचल प्रताप सिंह ने आगरा कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. अनुराग शुक्ला के विरुद्ध धोखाधड़ी एवं अन्य धारा के तहत मुकदमा दर्ज करके विवेचना के आदेश लोहामंडी थाना प्रभारी को दिए हैं.

सुभाष ढल ने अधिवक्ता कृष्ण कांत शर्मा, हरिकांत शर्मा और विजय कांत शर्मा के माध्यम से आगरा कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. अनुराग शुक्ला के खिलाफ 156(3) के तहत सीजेएम की अदालत में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया था. जिसमें आरोप लगाया था कि प्रिंसिपल डॉ. अनुराग शुक्ला ने आयोग को फर्जी शैक्षिक प्रमाणपत्र एवं फर्जी शैक्षिक अनुभव के दस्तावेज प्रस्तुत कर भ्रमित किया. इसके बाद ही आगरा कॉलेज के प्रिंसिपल पद को ग्रहण किया है. जिसकी शिकायत उत्तर प्रदेश शासन से की है. जांच के बाद 10 फरवरी 2024 को शासन ने आगरा कालेज प्रबंध समिति को अवगत कराया गया था कि प्रिंसिपल ने पद पाने के लिए कूटरचित दस्तावेजों का प्रयोग किया.

पुलिस कमिश्नर से भी शिकायतःसुभाष ढल ने अपने प्रार्थना पत्र के समर्थन में पुलिस कमिश्नर को प्रेषित प्रार्थना पत्र की प्रति के साथ अन्य प्रपत्रों की छाया प्रति भी दाखिल की है. सीजेएम ने 18 जुलाई 2024 को आगरा यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार को निर्देशित किया था कि आवेदक के प्रार्थना पत्र में उल्लेखित आरोपों की सत्यता परख कर विपक्षी और अन्य के साक्ष्य लेकर विस्तृत जांच रिपोर्ट तैयार करें. रजिस्ट्रार की जांच रिपोर्ट में बाद सीजेएम ने पाया कि प्रिंसिपल डॉ. अनुराग शुक्ला पर जो आरोप लगाया गया है, उनके प्रमाण पत्र फर्जी हैं अथवा नहीं. अब सीजेएम कोर्ट ने लोहामंडी थाना प्रभारी को आदेश दिए हैं कि प्रार्थना पत्र में वर्णित तथ्यों के आधार पर प्रकरण में अभियोग दर्ज करके विवेचना करें. इसके बाद आगे की कार्रवाई करें.

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