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आगरा के इस बेहद खास संग्रहालय में एक क्लिक पर पढ़ें पांडुलिपि और सिक्कों की हिस्ट्री - AGRA NEWS

डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के केएमआई स्थित अभिलेख धरोहर संग्रहालय को आम लोगों के लिए खोला गया.

अभिलेख धरोहर संग्रहालय (Museum) एवं शोध केंद्र
अभिलेख धरोहर संग्रहालय (Museum) एवं शोध केंद्र (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 25, 2025, 8:18 AM IST

आगरा: डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के केएमआई स्थित अभिलेख धरोहर संग्रहालय (Museum) एवं शोध केंद्र को आम जनता और शोधार्थियों के लिए खोल दिया गया है. संग्रहालय में पांडुलिपियों के डिजिटाइजेशन का कार्य भी किया जा रहा है. जिससे क्यूआर कोड स्कैन करते ही एक क्लिक पर पांडुलिपि और अन्य की पूरी जानकारी मिल जाएगी. म्यूजियम में 1403 पांडुलिपियां, प्राचीन सिक्के, प्राचीन नक्शे हैं, जो भोजपत्र, ताड़-पत्र पर हस्तलेख, ज्योतिष, चिकित्सा, गणित, संगीत, विभिन्न लिपि, भाषा एवं साहित्य और भक्ति साहित्य के चित्रित हस्तलेखों के अतिरिक्त प्राचीन सिक्के भी इस संग्रहालय में संग्रहीत हैं. संग्रहालय में हर पांडुलिपि पर एक क्यूआर कोड होगा. इसके साथ ही यमनुा किनारे का दुर्लभ और दिल्ली के लाल किला नक्शा है, जो अब लोग देखने पहुंचने रहे हैं. संग्रहालय में रखीं पांडुलिपियों को डिजिटलाइजेशन किया जा रहा है.



सन 1957 में बना था केएमआई संस्थान: डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के पालीवाल परिसर में 1957 में केएमआई की स्थापना हुई थी. जिसके पहले निदेशक प्रो. विश्वनाथ प्रस्खद बने थे. संस्थान के निदेशक जहां भी जाते थे, वहां से भोजपत्र, ताड़ पत्र पर हस्तलेख, ज्योतिष, भाषा एवं साहित्य और भक्ति साहित्य के चित्रित हस्तलेखों के साथ ही प्राचीन सिक्के संग्रह के लिए लेकर आते थे. इसके साथ ही कई पांडुलिपि और सिक्कों को नीलामी में खरीद कर लाए.

अभिलेख धरोहर संग्रहालय एवं शोध केंद्र
अभिलेख धरोहर संग्रहालय एवं शोध केंद्र (Photo Credit; ETV Bharat)


केएमआइ निदेशक प्रो. प्रदीप श्रीधर ने बताया कि 2022 में कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने केएमआई का निरीक्षण किया था. तब उन्होंने संस्थान में मौजूद पांडुलिपियों के बारे में जानकारी दी गई थी. जिस पर कुलाधिपति ने पांडुलिपियों को संरक्षित करने के साथ ही डिजिटलाइजेशन दिए. जिस पर कुलपति प्रो. आशु रानी के सहयोग से संस्थान के संग्राहलय में दुर्लभ 1403 पांडुलिपियों का संरक्षण किया गया. अब हेरिटेज फाउंडेशन की टीम आगरा आकर संस्थान की पांडुलिपियों को स्कैन करके क्यूआर कोड बना रही है.

अभिलेख धरोहर संग्रहालय एवं शोध केंद्र
अभिलेख धरोहर संग्रहालय एवं शोध केंद्र (Photo Credit; ETV Bharat)

उन्होंने कहा कि यहां कई पांडुलिपि के क्यूआर कोड बन गए हैं. जिसमें भोजपत्र, ताड़-पत्र पर हस्तलेख, ज्योतिष, चिकित्सा, गणित, संगीत, विभिन्न लिपि, भाषा एवं साहित्य और भक्ति साहित्य के चित्रित हस्तलेखों के अतिरिक्त प्राचीन सिक्के भी हैं. संस्थान ने संग्रहालय के अलग भवन के लिए पांच करोड़ रुपये का प्रस्ताव बनाकर संस्कृति मंत्रालय को भेजा है. जहां से स्वीकृति मिलते ही भवन का निर्माण शुरू किया जाएगा.

अभिलेख धरोहर संग्रहालय एवं शोध केंद्र
अभिलेख धरोहर संग्रहालय एवं शोध केंद्र (Photo Credit; ETV Bharat)



सिक्कों का अद्भुत संग्रह: डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय का कन्हैया लाल माणिकलाल मुंशी (केएमआई) अभिलेख धरोहर संग्रहालय एवं शोध केंद्र में सिक्कों का अनोखा संग्रह है. संग्रहालय में प्रथम शताब्दी के इंडो-बैक्ट्रीयन शासनकाल का भी सिक्का के साथ ही बंगाल के महान पाल वंश के सोने के सिक्के, कनिष्क काल, सिकंदर लोधी, अकबर, ईस्ट इंडिया कंपनी के समय 1835 में जारी तांबा किया सिक्का, महारानी विक्टोरिया, सहित सोनी, चांदी, तांबे, गिलट के सिक्कों का संग्रह है.

अभिलेख धरोहर संग्रहालय एवं शोध केंद्र
अभिलेख धरोहर संग्रहालय एवं शोध केंद्र (Photo Credit; ETV Bharat)

प्राचीन इंडो-चैक्ट्रीयन सिक्का बेहद खास: संग्रहालय में पाल राजवंश के जो दो स्वर्ण धातु के सिक्के हैं. इन सिक्कों के एक तरफ देवनागरी लिपि में पाल तथा छोटे आकार में हाथी या घोड़ा और दूसरी तरफ देवी या देवता का चित्र अंकित है. ऐसे ही संग्रहालय में सबसे प्राचीन इंडो-चैक्ट्रीयन सिक्का है. यह सिक्का बैक्टीरिया साम्राज्य से संबंधित है. ये साम्राज्य उत्तरी अफगानिस्तान और आक्सस नदी के दूसरी ओर तक फैला हुआ था. इन इंडो-बैष्ट्रीयन सिक्कों के मूल डिजाइन के अग्रभाग पर शासक और दूसरी तरफ ग्रीक देवता का चित्र अंकित है. इस पर ग्रीक भाषा के लेख भी लिखे मिलते हैं. ये सिक्का लगभग प्रथम शताब्दी ईसा पूर्व से प्रथम शताब्दी ईसा के मध्य का है.

अभिलेख धरोहर संग्रहालय एवं शोध केंद्र
अभिलेख धरोहर संग्रहालय एवं शोध केंद्र (Photo Credit; ETV Bharat)


ब्रज भाषा की पांडुलिपि अधिक: केएमआई निदेशक प्रो. प्रदीप श्रीधर ने बताया कि डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के कन्हैया लाल माणिकलाल मुंशी अभिलेख धरोहर संग्रहालय एवं शीष केंद्र में ज्योतिष, चिकित्सा, इतिहास, लिपि, राजनीति पर दुर्लभ हस्तलेख भी संग्रहित हैं. इसके साथ ही तंत्र-मंत्र, शकुन, पक्षी-विचार, रमल पर अच्छे लेख के साथ ही चिकित्सा का वैद्यक सार भी है. जोधपुर के राजाओं से संबंधित राठौड़ों की विधि व तैमूरशाह समरकंद की वार्ता के साथ कई किताबें हैं. यहां पर कबीर, सूरदास, नजीर, श्रीमद भागवत, पृथ्वीराज रासो, ढोला मारू की ​कहानी समेत अन्य कवि और लेखकों की हस्तलिखित रचनाएं हैं. संस्थान के संग्रहालय में सबसे अधिक पांडुलिप ब्रज भाषा में हैं.


30 से 40 विजिटर आ रहे देखने: केएमआइ अभिलेख धरोहर संग्रहालय एवं शोध केंद्र के केयर टेकर उपेंद्र पचौरी ने बताया कि हेरिटेज फाउंडेशन की टीम स्कैन का काम कर रही है. अभी 25 दिन का काम बचा है. अभिलेख धरोहर संग्रहालय एवं शोध केंद्र अब जनता के लिए खोल दिया है. हर दिन 30 से 40 ​विजिटर आ रहे हैं. जिसमें अधिकतर शोध छात्र होते हैं, जो लोग धरोहर देखने और उनके बारे में जानने के शौकीन हैं. वे भी हर दिन आ रहे हैं.

कौन-कौन सी पांडुलिपी-हस्तिलिपि व चित्र उपलब्ध हैं


ज्योतिष : कुण्डली विचार, स्वरोदय-सिद्धान्त-पद, तंत्र-मंत्र, शकुन, पक्षी-विचार, रमल, शीघ्रबोध ग्रहोदय, राशिफल, मंत्र शास्त्र, चमत्कार-चिंतामणि, ज्योतिष शास्त्र, पाराशरी टीका, नागमंत्र, वृंद सतसई, तुरकी सगुनावली, होराध्याय आदि.

चिकित्सा : वैद्यक सार, वैद्य जीवन, कालज्ञान सार, स्वास्थ्य पुस्तिका, रोग निश्चय, वैद्य रत्न, चिकित्सांजन, दिल्लगन चिकित्सा आदि.

इतिहास-ख्यात: जोधपुर के राजाओं से सम्बन्धित राठौड़ों की विधि, चकता की पातशाही, शोमल स्तुति, तैमूरशाह समरकंद की वार्ता, कुतुबुद्दीन शाहजादा की वार्ता, सिखों का इतिहास, इतिहास सार समुच्चय आदि.

राजनीति: राजनीति शास्त्र, चाणक्य नीति, राजनीति के कवित्त, लघु चाणक्य आदि.

लिपि: देवनागरी, शारदा, मोड़ी, उड़िया, बाँग्ला, गुरुमुखी और नस्तालीक। 6. भाषाएँ : संस्कृत, बाँग्ला, उड़िया, राजस्थानी, हिन्दी, उर्दू, फ़ारसी, पंजाबी, पिंगल, प्राकृत, ब्रज, अपभ्रंश आदि.

साहित्य एवं भाषाविज्ञान: साहित्य, रस, अलंकार, रास, धातु संग्रह, व्याकरण, कथा, कोश चरित्र, बारहमासा, श्रृंगारी कवियों तथा अन्य प्राचीन कवियों का साहित्य आदि.

भक्ति साहित्य: वेद, ज्ञान, वैराग्य, संत-साहित्य, वाणी आदि.

चित्रित हस्तलेख: मसनवी, सांरगा सदावृक्ष के 47 चित्र, शालिहोत्र 70 चित्र सहित, स्वर्ण मंडित विनय पत्रिका, क्षेत्र समास, रस तरंगिनी, भागवत एकादश स्कंध 76 चित्र, सिखों के रियासती राजाओं के चित्र, दीवान जामी सचित्र आदि.

गणित: क्षेत्र समास, गणित नाममाला, गणित लेख और कवित्त.

संगीत: संगीत-दर्पण, संगीत रत्नाकर आदि.

धर्म: हिन्दू, जैन, सिख आदि.

पेटिंग: कवि केशव कृत बारहमासे के चित्र.


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आगरा: डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के केएमआई स्थित अभिलेख धरोहर संग्रहालय (Museum) एवं शोध केंद्र को आम जनता और शोधार्थियों के लिए खोल दिया गया है. संग्रहालय में पांडुलिपियों के डिजिटाइजेशन का कार्य भी किया जा रहा है. जिससे क्यूआर कोड स्कैन करते ही एक क्लिक पर पांडुलिपि और अन्य की पूरी जानकारी मिल जाएगी. म्यूजियम में 1403 पांडुलिपियां, प्राचीन सिक्के, प्राचीन नक्शे हैं, जो भोजपत्र, ताड़-पत्र पर हस्तलेख, ज्योतिष, चिकित्सा, गणित, संगीत, विभिन्न लिपि, भाषा एवं साहित्य और भक्ति साहित्य के चित्रित हस्तलेखों के अतिरिक्त प्राचीन सिक्के भी इस संग्रहालय में संग्रहीत हैं. संग्रहालय में हर पांडुलिपि पर एक क्यूआर कोड होगा. इसके साथ ही यमनुा किनारे का दुर्लभ और दिल्ली के लाल किला नक्शा है, जो अब लोग देखने पहुंचने रहे हैं. संग्रहालय में रखीं पांडुलिपियों को डिजिटलाइजेशन किया जा रहा है.



सन 1957 में बना था केएमआई संस्थान: डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के पालीवाल परिसर में 1957 में केएमआई की स्थापना हुई थी. जिसके पहले निदेशक प्रो. विश्वनाथ प्रस्खद बने थे. संस्थान के निदेशक जहां भी जाते थे, वहां से भोजपत्र, ताड़ पत्र पर हस्तलेख, ज्योतिष, भाषा एवं साहित्य और भक्ति साहित्य के चित्रित हस्तलेखों के साथ ही प्राचीन सिक्के संग्रह के लिए लेकर आते थे. इसके साथ ही कई पांडुलिपि और सिक्कों को नीलामी में खरीद कर लाए.

अभिलेख धरोहर संग्रहालय एवं शोध केंद्र
अभिलेख धरोहर संग्रहालय एवं शोध केंद्र (Photo Credit; ETV Bharat)


केएमआइ निदेशक प्रो. प्रदीप श्रीधर ने बताया कि 2022 में कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने केएमआई का निरीक्षण किया था. तब उन्होंने संस्थान में मौजूद पांडुलिपियों के बारे में जानकारी दी गई थी. जिस पर कुलाधिपति ने पांडुलिपियों को संरक्षित करने के साथ ही डिजिटलाइजेशन दिए. जिस पर कुलपति प्रो. आशु रानी के सहयोग से संस्थान के संग्राहलय में दुर्लभ 1403 पांडुलिपियों का संरक्षण किया गया. अब हेरिटेज फाउंडेशन की टीम आगरा आकर संस्थान की पांडुलिपियों को स्कैन करके क्यूआर कोड बना रही है.

अभिलेख धरोहर संग्रहालय एवं शोध केंद्र
अभिलेख धरोहर संग्रहालय एवं शोध केंद्र (Photo Credit; ETV Bharat)

उन्होंने कहा कि यहां कई पांडुलिपि के क्यूआर कोड बन गए हैं. जिसमें भोजपत्र, ताड़-पत्र पर हस्तलेख, ज्योतिष, चिकित्सा, गणित, संगीत, विभिन्न लिपि, भाषा एवं साहित्य और भक्ति साहित्य के चित्रित हस्तलेखों के अतिरिक्त प्राचीन सिक्के भी हैं. संस्थान ने संग्रहालय के अलग भवन के लिए पांच करोड़ रुपये का प्रस्ताव बनाकर संस्कृति मंत्रालय को भेजा है. जहां से स्वीकृति मिलते ही भवन का निर्माण शुरू किया जाएगा.

अभिलेख धरोहर संग्रहालय एवं शोध केंद्र
अभिलेख धरोहर संग्रहालय एवं शोध केंद्र (Photo Credit; ETV Bharat)



सिक्कों का अद्भुत संग्रह: डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय का कन्हैया लाल माणिकलाल मुंशी (केएमआई) अभिलेख धरोहर संग्रहालय एवं शोध केंद्र में सिक्कों का अनोखा संग्रह है. संग्रहालय में प्रथम शताब्दी के इंडो-बैक्ट्रीयन शासनकाल का भी सिक्का के साथ ही बंगाल के महान पाल वंश के सोने के सिक्के, कनिष्क काल, सिकंदर लोधी, अकबर, ईस्ट इंडिया कंपनी के समय 1835 में जारी तांबा किया सिक्का, महारानी विक्टोरिया, सहित सोनी, चांदी, तांबे, गिलट के सिक्कों का संग्रह है.

अभिलेख धरोहर संग्रहालय एवं शोध केंद्र
अभिलेख धरोहर संग्रहालय एवं शोध केंद्र (Photo Credit; ETV Bharat)

प्राचीन इंडो-चैक्ट्रीयन सिक्का बेहद खास: संग्रहालय में पाल राजवंश के जो दो स्वर्ण धातु के सिक्के हैं. इन सिक्कों के एक तरफ देवनागरी लिपि में पाल तथा छोटे आकार में हाथी या घोड़ा और दूसरी तरफ देवी या देवता का चित्र अंकित है. ऐसे ही संग्रहालय में सबसे प्राचीन इंडो-चैक्ट्रीयन सिक्का है. यह सिक्का बैक्टीरिया साम्राज्य से संबंधित है. ये साम्राज्य उत्तरी अफगानिस्तान और आक्सस नदी के दूसरी ओर तक फैला हुआ था. इन इंडो-बैष्ट्रीयन सिक्कों के मूल डिजाइन के अग्रभाग पर शासक और दूसरी तरफ ग्रीक देवता का चित्र अंकित है. इस पर ग्रीक भाषा के लेख भी लिखे मिलते हैं. ये सिक्का लगभग प्रथम शताब्दी ईसा पूर्व से प्रथम शताब्दी ईसा के मध्य का है.

अभिलेख धरोहर संग्रहालय एवं शोध केंद्र
अभिलेख धरोहर संग्रहालय एवं शोध केंद्र (Photo Credit; ETV Bharat)


ब्रज भाषा की पांडुलिपि अधिक: केएमआई निदेशक प्रो. प्रदीप श्रीधर ने बताया कि डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के कन्हैया लाल माणिकलाल मुंशी अभिलेख धरोहर संग्रहालय एवं शीष केंद्र में ज्योतिष, चिकित्सा, इतिहास, लिपि, राजनीति पर दुर्लभ हस्तलेख भी संग्रहित हैं. इसके साथ ही तंत्र-मंत्र, शकुन, पक्षी-विचार, रमल पर अच्छे लेख के साथ ही चिकित्सा का वैद्यक सार भी है. जोधपुर के राजाओं से संबंधित राठौड़ों की विधि व तैमूरशाह समरकंद की वार्ता के साथ कई किताबें हैं. यहां पर कबीर, सूरदास, नजीर, श्रीमद भागवत, पृथ्वीराज रासो, ढोला मारू की ​कहानी समेत अन्य कवि और लेखकों की हस्तलिखित रचनाएं हैं. संस्थान के संग्रहालय में सबसे अधिक पांडुलिप ब्रज भाषा में हैं.


30 से 40 विजिटर आ रहे देखने: केएमआइ अभिलेख धरोहर संग्रहालय एवं शोध केंद्र के केयर टेकर उपेंद्र पचौरी ने बताया कि हेरिटेज फाउंडेशन की टीम स्कैन का काम कर रही है. अभी 25 दिन का काम बचा है. अभिलेख धरोहर संग्रहालय एवं शोध केंद्र अब जनता के लिए खोल दिया है. हर दिन 30 से 40 ​विजिटर आ रहे हैं. जिसमें अधिकतर शोध छात्र होते हैं, जो लोग धरोहर देखने और उनके बारे में जानने के शौकीन हैं. वे भी हर दिन आ रहे हैं.

कौन-कौन सी पांडुलिपी-हस्तिलिपि व चित्र उपलब्ध हैं


ज्योतिष : कुण्डली विचार, स्वरोदय-सिद्धान्त-पद, तंत्र-मंत्र, शकुन, पक्षी-विचार, रमल, शीघ्रबोध ग्रहोदय, राशिफल, मंत्र शास्त्र, चमत्कार-चिंतामणि, ज्योतिष शास्त्र, पाराशरी टीका, नागमंत्र, वृंद सतसई, तुरकी सगुनावली, होराध्याय आदि.

चिकित्सा : वैद्यक सार, वैद्य जीवन, कालज्ञान सार, स्वास्थ्य पुस्तिका, रोग निश्चय, वैद्य रत्न, चिकित्सांजन, दिल्लगन चिकित्सा आदि.

इतिहास-ख्यात: जोधपुर के राजाओं से सम्बन्धित राठौड़ों की विधि, चकता की पातशाही, शोमल स्तुति, तैमूरशाह समरकंद की वार्ता, कुतुबुद्दीन शाहजादा की वार्ता, सिखों का इतिहास, इतिहास सार समुच्चय आदि.

राजनीति: राजनीति शास्त्र, चाणक्य नीति, राजनीति के कवित्त, लघु चाणक्य आदि.

लिपि: देवनागरी, शारदा, मोड़ी, उड़िया, बाँग्ला, गुरुमुखी और नस्तालीक। 6. भाषाएँ : संस्कृत, बाँग्ला, उड़िया, राजस्थानी, हिन्दी, उर्दू, फ़ारसी, पंजाबी, पिंगल, प्राकृत, ब्रज, अपभ्रंश आदि.

साहित्य एवं भाषाविज्ञान: साहित्य, रस, अलंकार, रास, धातु संग्रह, व्याकरण, कथा, कोश चरित्र, बारहमासा, श्रृंगारी कवियों तथा अन्य प्राचीन कवियों का साहित्य आदि.

भक्ति साहित्य: वेद, ज्ञान, वैराग्य, संत-साहित्य, वाणी आदि.

चित्रित हस्तलेख: मसनवी, सांरगा सदावृक्ष के 47 चित्र, शालिहोत्र 70 चित्र सहित, स्वर्ण मंडित विनय पत्रिका, क्षेत्र समास, रस तरंगिनी, भागवत एकादश स्कंध 76 चित्र, सिखों के रियासती राजाओं के चित्र, दीवान जामी सचित्र आदि.

गणित: क्षेत्र समास, गणित नाममाला, गणित लेख और कवित्त.

संगीत: संगीत-दर्पण, संगीत रत्नाकर आदि.

धर्म: हिन्दू, जैन, सिख आदि.

पेटिंग: कवि केशव कृत बारहमासे के चित्र.


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