बुरहानपुर:आदिवासी समाज के परिवारों में शादी-ब्याह में डीजे, दारू और दहेज प्रथा के नाम पर बेहिसाब खर्च किया जाता है. गरीब आदिवासी परिवार इस कुप्रथा में पिस रहे हैं. इसी को देखते हुए अब आदिवासी समाज में बदलाव लाने का बीड़ा समाज के संगठनों ने उठाया है. इस मामले को लेकर आदिवासी समाज के संगठनों की अहम बैठक बुरहानपुर में हुई. इसमें तय किया गया कि कुप्रथाओं में राशि बर्बाद नहीं की जाएगी.
आदिवासी समाज ने बुरहानपुर में की बैठक
बुधवार को आदिवासी समाज के संगठनों की बैठक बुलाई गई. बैठक में आदिवासी बाहुल्य इलाकों सहित पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र और खरगोन के आदिवासी समुदाय के प्रमुख लोगों ने शिरकत की. इस दौरान सभी ने अपने सुझाव रखे. भील, भिलाला, बारेला सहित कोटवार समुदाय के लोगों ने परिवार की मर्जी से तय किए गए विवाह में 80 हजार रुपये और प्रेम विवाह के बाद 1 लाख 51 रुपये दहेज वसूलने का निर्णय लिया है.
आदिवासी समाज ने शराब व डीजे पर पूरी तरह से लगाई रोक (ETV BHARAT) शादी में डीजे व दारू पर पूरी तरह से प्रतिबंध
इस प्रकार अब आदिवासी समाज ने दहेज प्रथा सहित अन्य बुराइयों पर अंकुश लगाने की शुरुआत कर दी है. आदिवासी समाज की बैठक में तय किया गया कि शादी-ब्याह में डीजे और दारू पर पूरी तरह से पाबंदी रहेगी. इसके अलावा सैकड़ों सालों से प्रचलित दहेज प्रथा में रियायत देने की तैयारी की गई है. भील, बारेला, भिलाला और कोटवार समुदाय ने समाज के प्रमुख लोगों की सहमति के बाद परिजनों की मर्जी से तय किए गए विवाह और प्रेम विवाह में दहेज की राशि कम की गई है.
आदिवासी संगठनों ने समाज में फैली कुप्रथाओं के खत्म करने का बीड़ा उठाया (ETV BHARAT) प्रेम विवाह करने पर 3 लाख तक वसूली
बता दें कि अब तक आदिवासी समाज में जब किसी परिवार की बेटी अपनी मर्जी से प्रेम विवाह रचाती हैं तो उसके परिजन दूल्हे पक्ष से डेढ़ लाख से लेकर 3 लाख रुपये तक दहेज लेते हैं. परिवार की परिजनों के मर्जी से कराए गए विवाह के दौरान करीब डेढ़ लाख तक का दहेज लेने की परंपरा है. लेकिन अब इन समुदाय के प्रमुखों ने गरीबी व पलायन के दंश को देखते हुए दहेज प्रथा में राहत देने के मकसद से समाज स्तर पर नए नियम लागू किए हैं.
गांव-गांव जाकर लोगों को करेंगे जागरूक
आदिवासी एकता परिषद अध्यक्ष नहार सिंह व भील समाज प्रमुख रूम सिंहने बताया "पंचायत में लिए गए फैसलों पर अमल करने के लिए समाज के प्रमुख नेता अब गांव-गांव जाकर जागरूकता अभियान चलाएंगे. लोगों को समझाइश दी जाएगी. उन्हें अधिक दहेज लेने के दुष्परिणामों की जानकारी दी जाएगी." समाज के बुजुर्ग बताते हैं कि दूल्हे पक्ष से अधिक दहेज लेने से समाज में गरीबी और पलायन के मामले बढ़ गए हैं. अधिकांश परिवार दहेज की राशि चुकाने के लिए खेत और पशुओं को बेच देते हैं. ऐसे में उन्हें रोजगार की तलाश में अन्य राज्यों का रुख अपनाना पड़ता है. इस बात को देखते हुए दहेज प्रथा को कम करने के लिए अहम फैसला लिया गया है.