पटना:बिहार विधानसभा का 12 फरवरी को शुरू हुआ. उसी दिन सरकार के विश्वास मत प्राप्त करने के बाद राज्यपाल का संयुक्त संबोधन भी हुआ. आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट भी पेश की गई. 13 फरवरी को सम्राट चौधरी ने बिहार का बजट पेश किया. उसके बाद विभागीय अनुदान पर भी चर्चा हुई. एक मार्च को बजट सत्र समाप्त हो गया. लेकिन, इस बार का बजट सत्र विधायकों के पाला बदलने और एक दर्जन विधेयक के लिए जाना जाएगा.
लाचार दिखा विपक्षः बजट सत्र में 278000 करोड़ से अधिक का बिहार का बजट पास हुआ. 12 विधेयक भी सरकार ने सदन से पास कराया. आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट भी सदन में पेश की. लेकिन महागठबंधन के विधायकों के पाला बदलने से मची भगदड़ भी बजट सत्र के दौरान देखने को मिला. नेता प्रतिपक्ष 2 दिन छोड़कर सदन में नहीं आए. वो जनविश्वास यात्रा पर थे. कुल मिलाकर विपक्ष 11 दिनों के सत्र में नेता विहीन लाचार सा दिखा. संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बजट सत्र को सरकार के विश्वास मत प्राप्त करने से लेकर विधायी, वित्तीय और गैर वित्तीय कार्यों को लेकर सफल सत्र बताया.
12 विधेयक को मिली स्वीकृतिः बजट सत्र के दौरान सत्ता पक्ष ने 12 विधेयक पास कराये. इनमें बिहार विनियोग विधेयक 2024, बिहार वियोग संख्या-2 विधेयक 2024, बिहार तकनीकी सेवा आयोग संशोधन विधेयक 2024, बिहार अपराध नियंत्रण विधेयक 2024, बिहार लोक सुरक्षा उपाय परिवर्तन विधेयक 2024, बिहार कराधान विवादों का समाधान विधेयक 2024, बिहार मूल्यवर्धित कर संशोधन विधेयक 2024, बिहार राज्य बाल श्रमिक आयोग संशोधन विधेयक 2024, बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड संशोधन विधेयक 2024, बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड संशोधन विधेयक 2024, बिहार राज्य अल्पसंख्यक आयोग संशोधन विधेयक 2024 और बिहार राज्य महिला आयोग संशोधन विधेयक 2024 शामिल है.
बजट की झलकियां: बजट सत्र के दौरान उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर जमकर निशाना साधा तो तेजस्वी यादव भी मुख्यमंत्री के पाला बदलने पर तंज कसने में पीछे नहीं रहे. मुख्यमंत्री ने 2005 से पहले बिहार की क्या स्थिति थी उसको बताने में गुरेज नहीं किया. लेकिन के के पाठक पर सरकार फंसती नजर आयी. मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद भी स्कूलों का समय बदलने को लेकर के के पाठक ने लेटर नहीं निकाला. इस पर खूब हंगामा भी हुआ. कुल मिलाकर 11 दिनों के सत्र में महागठबंधन में मची भगदड़ सबसे अधिक चर्चा में रही. विपक्ष, नेता विहीन लाचार सा दिखा.