भोपाल:देश का एक मात्र अटल बिहारी हिंदी विश्वविद्यालय भोपाल के मुगालिया छाप में 12 साल पहले बनाया गया था लेकिन तब से ही इसकी हालत में सुधार नहीं हो पा रहा है. ना तो यहां सभी कोर्स को पढ़ाने के लिए पर्याप्त फैकल्टी मिल रही है और ना ही पढ़ने के लिए स्टूडेंट आ रहे हैं. हालत यह है कि नये शैक्षणिक सत्र में भी यहां 29 विभागों में 74 कोर्स का संचालन हो रहा है लेकिन इनमें पढ़ने के लिए केवल 200 स्टूडेंट्स ने ही एडमिशन लिया है.
केवल हिंदी विषय में 4 एडमिशन, बाकी सीटें खाली
बता दें कि विश्वविद्यालय में 29 विभागों के 74 कोर्स में 1447 सीटें हैं. नवीन शैक्षणिक सत्र 2024-25 में 300 छात्रों ने इन कोर्स में एडमिशन के लिए आवेदन किया था. लेकिन इसमें से 200 लोगों ने ही एडमिशन लिया. यदि हिंदी संकाय की बात करें तो यहां स्टूडेंट की 20 सीटें हैं. लेकिन इसमें भी केवल 4 स्टूडेंट ने ही एडमिशन लिया है. करीब 24 कोर्स ऐसे हैं, जहां एक या दो छात्रों ने ही दाखिला कराया है.
स्टूडेंट्स को पढ़ाने वाले ही नहीं
अटल बिहारी हिंदी विश्वविद्यालय में 18 प्रोफेसरों के स्टाफ की स्वीकृति है. इनमें 13 असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति इसी साल की गई है. कई कोर्स ऐसे हैं जहां स्टूडेंट्स ने एडमिशन तो लिया है लेकिन पढ़ाने वाले नहीं हैं. वहीं कुछ कक्षाओं में टीचर तो हैं लेकिन स्टूडेंट्स का टोटा है. यहां बीएड कोर्स में 50 लोगों ने एडमिशन लिया है लेकिन इनको पढ़ाने के लिए केवल एक ही शिक्षक है. वहीं पत्रकारिता के कोर्स में एक दर्जन से अधिक स्टूडेंट ने एडमिशन लिया लेकिन पढ़ाने वाला कोई नहीं है. इसी तरह केमेस्ट्री और लॉ डिपार्टमेंट में टीचर तो हैं लेकिन स्टूडेंट नहीं हैं.