भरतपुर. संभाग मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर दूर स्थित चकराम नगर गांव के सैकड़ों लोग बीते 5 साल से बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं. गांव में पीने का पानी उपलब्ध कराने की मांग को लेकर ग्रामीण स्थानीय नेता, अधिकारी, यहां तक की मुख्यमंत्री जनसुनवाई कार्यालय तक का दरवाजा खटखटा चुके हैं. चुनावों में नेता आते हैं और समस्या के समाधान का वादा करके चले जाते हैं, लेकिन जीतने के बाद भी ग्रामीणों को पानी नहीं मिल पा रहा. गांव में अधिकतर परिवार गरीब और मजदूरी करने वाले हैं. हालात ये हैं कि ग्रामीण महिला, पुरुष और बच्चे सिर पर मटका रखकर 2 किमी दूर से पानी भरकर लाते हैं. अब ग्रामीणों ने ऐलान कर दिया है कि समस्या का समाधान नहीं हुआ तो वो चुनाव का बहिष्कार कर मतदान करने नहीं जाएंगे. वहीं, जिला कलेक्टर डॉ. अमित यादव ने कहा कि इस संबंध में ग्रामीणों ने कोई संपर्क नहीं किया है. पूरा मामला क्या है इसके बारे में पता करवाया जाएगा.
ग्रामीणों ने बताया दुख : गांव के महेंद्र सिंह के अनुसार गांव में बीते 5 साल से पानी की समस्या बनी हुई है. पहले चंबल का पानी आता था, लेकिन पाइप में लीकेज होने की वजह से चंबल के पानी की सप्लाई बंद कर दी गई. आरोप है कि उसे अब तक ठीक कर शुरू नहीं किया गया है. वहीं, गांव के ही विनीत भारद्वाज ने बताया कि जल जीवन मिशन योजना में गांव के पास के गांवों को शामिल किया गया है. उनके लिए पानी की टंकी बनाई गई है. उनका आरोप है कि इस संबंध में अधिकारियों और नेताओं से संपर्क कर निवेदन किया था कि चकराम नगर गांव को भी इस योजना में शामिल किया जाए. यहां के लिए अलग से एक पानी की टंकी बना दी जाए, लेकिन इस योजना में भी गांव को शामिल नहीं किया गया.
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