धौलपुर: जलीय जीव प्रेमियों के लिए खुशी की खबर है. बुधवार को चंबल नदी के सरसैनी घाट पर 32 घड़ियाल शावकों को राष्ट्रीय घड़ियाल पालन केंद्र द्वारा छोड़ा गया. इनमें 30 मादा एवं 2 नर हैं. चंबल में छोड़े गए घड़ियाल शावकों की वर्ष 2022 से घड़ियाल पालन केंद्र में परवरिश की जा रही थी.
41 घड़ियाल और छोड़े जाएंगे: राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल केंद्र के अधीक्षक श्याम सिंह चौहान ने बताया कि गत 13 जनवरी को घड़ियाल केंद्र द्वारा चंबल नदी में 25 घड़ियाल शावकों को रिलीज किया था. बुधवार को 32 छोड़े गए हैं. उन्होंने बताया कि 41 घड़ियाल शावकों की अभी घड़ियाल पालन केंद्र में परिवरिश की जा रही है. जिन्हें आगामी फरवरी महीने में चंबल में रिलीज कर दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि घड़ियाल पालन केंद्र में चंबल नदी से घड़ियाल के अंडों को कलेक्ट कर रखा जाता है. अंडों को निश्चित तापमान में रखकर सुरक्षित किया जाता है. एक समय अवधि के बाद अंडों से बच्चों का निकलना शुरू हो जाता है. घड़ियाल पालन केंद्र में ही शावकों की परवरिश और देखभाल की जाती है. करीब 3 साल तक घड़ियाल शावकों पर निगरानी रखी जाती है.
चंबल में 2512 घड़ियाल: घड़ियाल शावकों की लंबाई 1 मीटर 20 सेंटीमीटर होने के बाद सेल्फ डिफेंस मान लिया जाता है. इसके बाद चंबल नदी में स्वतंत्र जीवन जीने के लिए छोड़ दिया जाता है. उन्होंने बताया गत सालों से घड़ियाल प्रजाति के कुनबे में बढ़ोतरी हो रही है. मौजूदा वक्त में घड़ियाल प्रजाति की संख्या चंबल में 2512 तक पहुंच चुकी है. चंबल के करीब 400 किलोमीटर के एरिया में घड़ियाल और मगरमच्छ क्रीड़ाएं करते हैं. वर्तमान समय में चंबल नदी में 998 मगरमच्छ हैं. इसके अलावा 6 से 8 तक डॉल्फिन का भी मूवमेंट देखा गया है. वहीं कछुआ प्रजाति में भी भारी वंश वृद्धि देखी जा रही है.
चंबल का पानी जलीय जीवों के अनुकूल: श्याम सिंह चौहान ने बताया कि चंबल नदी देश की सबसे स्वच्छ एवं साफ पानी की नदी मानी जाती है. चंबल नदी का पानी एवं वातावरण जलीय जीवों के लिए काफी अनुकूल माना जाता है. जिसका नतीजा है, चंबल नदी में घड़ियाल, मगरमच्छ, डॉल्फिन एवं कछुआ की प्रजाति में भारी बढ़ोतरी हो रही है. चंबल में मौजूद मछलियां घड़ियाल और मगरमच्छ प्रजाति के भोजन के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं.
शावकों की पूंछ पर लगाए बैच: श्याम सिंह चौहान ने बताया कि घड़ियालों को चिन्हित करने के लिए उनकी पूछ पर खास बैच लगाए गए हैं. जिससे घड़ियालों की समय-समय पर पहचान होती रहेगी. उनका कहना है कि चंबल नदी में जलीय जीवों की वंश वृद्धि होने से निश्चित तौर पर पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा. पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए धौलपुर से गुजर रही चंबल नदी के राजघाट एवं मध्य प्रदेश के मुरैना घाट पर सफारी भी शुरू की गई है.