नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) भारत-बांग्लादेश सीमा पर बाड़ लगाने के लिए सक्रिय कदम उठा रहा है. इस बीच, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) द्वारा किए गए आंतरिक मूल्यांकन सर्वेक्षण से पता चला है कि भारत-बांग्लादेश सीमा पर अधिकांश क्षेत्रों में सीमा बाड़ बदतर और जंग लगी हुई स्थिति में हैं और उन्हें फिर से जोड़ने और मिट्टी के भराव के बाद तत्काल मरम्मत की जरूरत है.
सीमा पार से अवैध घुसपैठ और राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों सहित अन्य अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए भारत सरकार ने चरणबद्ध तरीके से फ्लड लाइटों के साथ सीमा पर बाड़ लगाने को मंजूरी दी थी. भारत-बांग्लादेश सीमा की कुल लंबाई 4096.7 किलोमीटर है, जिसमें से 3196.705 किलोमीटर पर बाड़ (physical fencing) लगाई गई है.
गृह मंत्रालय को सौंपी गई सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है, "कई जगहों पर कांटेदार तार ढीले और टूटे हुए हैं. पिकेट, स्पाइक्स, कंसर्टिना कॉइल, कांटेदार तार जैसे बाड़ लगाने वाले घटक जंग खा गए हैं और पिकेट का आधार कंक्रीट के अच्छे अनुपात से नहीं बना है. दोनों तरफ कुछ हिस्सों में कांटेदार तार ढीले पाए गए हैं और उन्हें मजबूत करने की जरूरत है."
बाड़ लगाने का काम अलग-अलग कंपनियों को सौंपा गया
भारत-बांग्लादेश सीमा पर अलग-अलग स्थानों पर बाड़ लगाने की स्थिति अलग-अलग है, जिसका ठेका राष्ट्रीय परियोजना निर्माण निगम लिमिटेड (एनपीसीसी), राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम (एनबीसीसी), इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स (इंडिया) लिमिटेड (ईपीआईएल) जैसी विभिन्न कंपियों को सौंपा गया है.
ईटीवी भारत को मिली सर्वेक्षण रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है, "सीमा पर बाड़ लगाने के बाद उसे दोबारा जोड़ने और मिट्टी भरने के काम के बाद तत्काल मरम्मत की आवश्यकता है."
2351/15-S2364/M तक की 74.580 किलोमीटर लंबाई जो पहले एनपीसीसी को सौंपी गई थी, हाल ही में एनबीसीसी को सौंप दी गई है. रिपोर्ट में कहा गया है, "भले ही विशिष्ट क्षेत्र में बाड़ लगाने की अंतिम तिथि 2025 है, लेकिन निर्माण एजेंसी द्वारा अभी तक काम शुरू नहीं किया गया है."
रिपोर्ट में कहा गया है, "यह बताया गया है कि निर्माण एजेंसी एनपीसीसी द्वारा बाड़ लगाने की रेखा योजना (alignment plan) और भूमि दस्तावेज अभी तक नहीं सौंपे गए हैं."
रिपोर्ट में कहा गया है कि बीएसएफ की 20वीं बटालियन के एओआर में बीपी 2350/एमपी से 2364/एमपी के बीच आईबीबीएफ का काम पहले एनपीसीसी को आवंटित किया गया था. हालांकि, कंपनी इस पैच में आईबीबीएफ के निर्माण में कोई प्रगति करने में विफल रही, इसलिए इसक कार्य हाल ही में एमएचए द्वारा एनबीसीसी को सौंप दिया गया है, लेकिन अभी तक कार्य शुरू नहीं हुआ है.
भारत-बांग्लादेश सीमा पर चुनौतियां
भारत-बांग्लादेश सीमा पर पहाड़ियां, नदियां और घाटियां जैसे कठिन इलाके हैं. बीएसएफ को अवैध सीमा पार गतिविधि और बांग्लादेश से भारत में अवैध प्रवास की चौबीसों घंटे निगरानी का काम सौंपा गया है.
बीएसएफ के प्रवक्ता शुभेंदु भारद्वाज ने कहा, "सीमा पर बाड़ लगाना बहुत जरूरी है, ताकि घुसपैठ, अवैध गतिविधि, नशीली दवाओं की तस्करी आदि पर लगाम लगाई जा सके."
भारत-बांग्लादेश सीमा पर नमी का स्तर अधिक
रिपोर्ट के अनुसार, मिजोरम में साल में लगभग 6 से 7 महीने भारी बारिश होती है, इसलिए देश के इस हिस्से में नमी का स्तर अन्य जगहों से अधिक है. रिपोर्ट में कहा गया है, "इन सभी कारकों से बाड़ को बहुत नुकसान पहुंचा है और इसकी आयु कम हो रही है. मौजूदा तीन पंक्ति (पुराने डिजाइन) बाड़ का रखरखाव बड़ी चुनौती है. आईबीबीएफ में और उसके आसपास घने जंगल उगते हैं, जो आईबीबीएफ को धीरे-धीरे नष्ट कर देते हैं. नमी आईबीबीएफ, बीएफएल पोल आदि को और भी ज्यादा खराब कर देती है."
रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 50 प्रतिशत आईबीबीएफ की मरम्मत और बदलने की आवश्यकता है. यह भी सुझाव दिया गया है कि आईबीबीएफ को नए डिजाइन वाले एकल पंक्ति मॉड्यूलर बाड़ से बदला जा सकता है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि आईबीबीएफ का संरेखण यहां बड़ा मुद्दा है. आईबीबीएफ को आम तौर पर आईबी की रेखा के समानांतर बनाया गया है.
सुविधा की तलाश में निर्माण कंपनियां
रिपोर्ट में कहा गया है कि निर्माण कंपनी आईबीबीएफ को जोड़ने के सामरिक महत्व के बजाय अपनी सुविधा की तलाश में हैं. कई स्थानों पर आईबीबीएफ के आगे ऊंची जमीन और पहाड़ियां हैं. रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि बांग्लादेश की तरफ से कोई भी राष्ट्र-विरोधी तत्व आसानी से आ सकता है और बिना किसी डर के हमारे सैनिकों से भिड़ सकता है."
सर्वेक्षण में यह भी बताया गया है कि निर्माण कंपनियों द्वारा सीमा पर बाड़ लगाने के लिए भूमि के दस्तावेज अभी तक बीएसएफ को नहीं सौंपे गए हैं.
पूर्वोत्तर के पांच राज्यों से लगती है बांग्लादेश सीमा
भारत-बांग्लादेश सीमा पश्चिम बंगाल (2216.7 किमी), असम (263 किमी), मेघालय (443 किमी), त्रिपुरा (856 किमी) और मिजोरम (318 किमी) से लगती है. इस पूरे क्षेत्र में मैदान, नदी के किनारे की बेल्ट, पहाड़ियां और जंगल हैं. यह क्षेत्र घनी आबादी वाला है और सीमा तक खेती की जाती है.
सीमा चौकियां (बीओपी) सीमाओं पर बीएसएफ का मुख्य कार्य केंद्र हैं. बीओपी का उद्देश्य सीमा पार अपराधियों, घुसपैठियों और शत्रुतापूर्ण तत्वों को घुसपैठ या अतिक्रमण और सीमा उल्लंघन की गतिविधियों में लिप्त होने से रोकने के लिए बल का उचित प्रदर्शन करना है.
प्रत्येक बीओपी को आवास, रसद सहायता और युद्ध कार्यों के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा प्रदान किया जाता है. वर्तमान में, आईबीबी पर बीएसएफ की 1113 बीओपी हैं.
भारत सरकार ने भारत-पाकिस्तान और भारत-बांग्लादेश सीमाओं पर 509 बीओपी के निर्माण को मंजूरी दी है. 509 बीओपी में से, 383 बीओपी का निर्माण भारत-बांग्लादेश सीमा पर किया जाना है.
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