ग्वालियर।शासकीय चिकित्सालय में अब मरीजों को ओपीडी पर्चा बनवाने के लिए लंबी कतारों में लगने की आवश्यकता ना पड़े, उन्हें बेहतर इलाज मिल सके इस उद्देश्य से आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत हर मरीज को आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट (ABHA) से जोड़ने की प्रक्रिया लागू कर दी गई है, लेकिन इस सुविधा के उलट ग्वालियर में मरीज को पर्चा बनवाने के लिए घंटों लाइन में लगना पड़ रहा है. इसके बाद भी पर्चा बनने की कोई गारंटी नहीं मिल पा रही. जिसकी वजह से मरीज और उनके अटेंडर इलाज के लिए परेशान हो रहे हैं.
आभा ऐप रजिस्ट्रेशन के बाद बनाये जा रहे ओपीडी पर्चे
ग्वालियर के गजरा राजा मेडिकल कॉलेज के अंतर्गत आने वाले ग्वालियर के सबसे बड़े कमला राजा अस्पताल में पिछले कुछ दिनों से इलाज के लिए आने वाले मरीजों को ओपीडी का पर्चा लगवाने के लिए परेशान होना पड़ रहा है. लोग सुबह 6:00 से लाइन में लग जाते हैं, लेकिन उनका पर्चा बनने में 4 से 6 घंटे का समय लग रहा है. कई बार तो समय पूरा हो जाने पर खिड़की बंद हो जाती है, लेकिन पर्चा नहीं बन पाता तो बेचारे मरीजों को खाली हाथ ही लौटना पड़ रहा है. इस सब के पीछे एक मुख्य वजह यह बताई जा रही है कि मरीज का पर्चा तभी बनाए जा रहे हैं. जब उनका रजिस्ट्रेशन आभा (ABHA) ऐप पर कर दिया जा रहा है.
चार से छह घंटे तक लाइन में इंतजार करने की मजबूरी
मौके पर पहुंचे ईटीवी भारत ने जब ग्राउंड जीरो पर जायजा लिया तो पर्चा बनवाने की लाइन में अपनी बारी का इंतजार कर रहे लोगों ने अपनी परेशानी बताई. सुबह 8:00 से अपनी बारी का इंतजार कर रही बुजुर्ग महिला ने बताया कि पिछले 18 साल से वह इस अस्पताल में अपना इलाज करने आ रही हैं, लेकिन इस तरह की स्थिति आज तक नहीं हुई. पिछले कुछ महीनों से यहां पर्चा बनवाने के लिए मरीज या उनके अटेंडर को परेशान होना पड़ रहा है. घंटों तक लाइन में लगना पड़ रहा है.
पर्चा बनवाने के लिए खिड़की पर जाओ तो वहां लाइन में लगकर अपनी बारी आने का इंतजार करने के लिए कह दिया जाता है, लेकिन सुबह 8:00 से दोपहर 1:00 तक भी नंबर नहीं आ सका है. वहीं उत्तर प्रदेश के इटावा जिले से आए शख्स का कहना था कि वह सुबह 8 बजे से यहां पर्चा बनवाने के लिए लाइन में लगे हैं, लेकिन उनका नंबर नहीं आ पा रहा ना कुछ खाया है ना पिया है बस अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं.
स्मार्टफोन वालों को प्राथमिकता, ऑफलाइन वाले परेशान
एक अन्य व्यक्ति ने बताया कि ओपीडी के परीक्षा काउंटर पर दो तरह की लाइन चल रही है. एक जिनके पास स्मार्टफोन है और दूसरे जिनके पास स्मार्टफोन नहीं है. इन लोगों का मानना था कि जिन लोगों के पास एंड्रॉयड फोन है, उन्हें प्राथमिकता दी जा रही है. ऐसे पांच लोगों के पर्चे बनाए जाते हैं. तब जाकर एक पर्चा ऑफलाइन वालों का बनाया जा रहा है. जिन लोगों के पास स्मार्टफोन नहीं है या वह फीचर फोन यूज कर रहे हैं, सबसे ज्यादा परेशानी उनको खड़ी हो रही है.
ऐप रजिस्ट्रेशन ने की डिजिटल इंडिया की धीमी रफ्तार
ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन वाली लाइन में लगे एक युवक से जब हमने बात की तो उसका कहना था कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का डिजिटल इंडिया है. जहां मरीज परेशान हो रहे हैं. जिन लोगों के पर्चे ऑफलाइन बनाए जा रहे हैं. उनके लिए तो स्थिति फिर भी ठीक है. जबकि ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन में बहुत समय जा रहा है. लोगों को पहले अपने मोबाइल फोन पर आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट के तहत आभा ऐप डाउनलोड कर रजिस्ट्रेशन कराया जा रहा है. इसके बाद ही उन्हें पर्चा दिया जा रहा है. इस वजह से पर्चा बनने में अत्यधिक समय लग रहा है. यदि इसी रफ्तार से पर्चे बनते रहे तो पर्चा बनने तक डॉक्टर ही जा चुके होंगे. ऐसे में इलाज के लिए उन्हें अगले दिन फिर इसी तरह परेशान होना पड़ेगा.
आठ के बाद आये तो लौटना होगा खाली हाथ
वहीं एक युवती ने बताया कि वह एक दिन पहले भी पर्चा बनवाने के लिए आई थी, लेकिन सुबह 8:00 बजे से आकर लगने के बावजूद इसका पर्चा नहीं बन सका. आज दोबारा वही स्थिति बन रही है. उसका मानना है कि जो लोग सुबह 6:00 बजे से आकर लग जाते हैं. उनका पर्चा तो 11 से 12 बजे तक बन जाता है, लेकिन 8:00 बजे या उसके बाद आने वाले मरीजों को खाली हाथ ही लौटना पड़ रहा है. इन हालातों को देखकर एक बात तो साफ हो गई कि बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए मरीज को आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट से जोड़ने का प्रयास अब परेशानी का सब बन चुका है, क्योंकि इस रजिस्ट्रेशन के चक्कर में मरीज को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है.