बेंगलुरु: कर्नाटक हाई कोर्ट ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) से जुड़े एक मामले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) जांच की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया.
न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने याचिका को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि कर्नाटक लोकायुक्त पुलिस की स्वतंत्रता में कोई कमी नहीं है, इसलिए यह मानना उचित नहीं होगा कि मामले को CBI को सौंपना आवश्यक है. अदालत ने यह भी कहा कि CBI जांच हर समस्या का समाधान नहीं है, और लोकायुक्त द्वारा की जा रही जांच में कोई कमी या एकतरफापन नजर नहीं आता है.
High Court of Karnataka's Dharwad Bench pronounces verdict into petitioner Snehamayi Krishna's petition, seeking CBI enquiry in MUDA case.
— ANI (@ANI) February 7, 2025
Court says - The material on record does not indicate that the investigation conducted by Lokayukta is partisan or lopsided or shoddy for…
अदालत ने अपने फैसले में कहा, "रिकॉर्ड में मौजूद सामग्री से यह जाहिर नहीं होता है कि लोकायुक्त द्वारा की गई जांच पक्षपातपूर्ण, एकतरफा या घटिया है, जिसके कारण यह न्यायालय मामले को आगे की जांच या फिर से जांच के लिए CBI को सौंपने का आदेश दे." इसी आधार पर कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया.
गौरतलब है कि कर्नाटक उच्च न्यायालय ने पिछले महीने इस मामले में सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. यह फैसला मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के लिए एक बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है, जिन्हें इस मामले में विपक्ष द्वारा लगातार घेरा जा रहा था. याचिकाकर्ता का आरोप था कि MUDA से जुड़े इस मामले में भ्रष्टाचार हुआ है और इसकी निष्पक्ष जांच के लिए CBI को जांच का जिम्मा सौंपा जाना चाहिए.
हालांकि, उच्च न्यायालय ने लोकायुक्त पुलिस पर विश्वास जताया और कहा कि उनकी जांच में किसी भी तरह की दुर्भावना या पक्षपात का कोई संकेत नहीं है. अदालत ने स्पष्ट किया कि CBI जांच को 'हर मर्ज की दवा' नहीं माना जा सकता, और जब राज्य की एजेंसियां सक्षम हैं और निष्पक्ष जांच कर रही हैं, तो केंद्रीय एजेंसी को जांच सौंपने का कोई औचित्य नहीं है.
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