जबलपुर : हाईकोर्ट ने पीड़िता के नाबालिग होने के प्रासंगिक सबूत नहीं पाए जाने पर दुष्कर्म मामले में आरोपी को जमानत का लाभ दिया है. हाईकोर्ट जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने पीड़िता की 8वीं की मार्कशीट में अलग जन्म तिथि पर सवाल उठाए हैं. साथ ही यह भी तथ्य सामने आया है कि शिकायतकर्ता युवती और आवेदक बचपन से दोस्त थे और दोनों के बीच प्रेम संबंध भी थे.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, मऊगंज निवासी याचिकाकर्ता की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि पॉस्को व दुष्कर्म मामले में वह 7 अक्टूबर 2024 से न्यायिक अभिरक्षा में है. जिस युवती की शिकायत पर प्रकरण दर्ज किया गया है, वह उसके साथ कक्षा तीसरी से छठवीं तक पढ़ी थी और दोनों के बीच प्रेम संबंध थे और वर्तमान में याचिकाकर्ता की उम्र 26 साल है. याचिककर्ता ने शिकायतकर्ता की 8वीं की मार्कशीट व तमाम तथ्यों के साथ जमानत याचिका कोर्ट में लगाई थी.
जन्म से पहले कैसे खिंच गई फोटो?
पूर्व में हुई याचिका की सुनवाई के दौरान एकलपीठ को बताया गया कि पीड़िता की साल 2016-17 में जारी आठवीं की अंकसूची में उसकी जन्म तिथि 3 मई 2004 दर्ज है. मार्कशीट में जो फोटो चस्पा है उसमें फोटो खिंचवाने की तारीख 10 जुलाई 2003 अंकित है. एकलपीठ ने सुनवाई के बाद अपने आदेश में कहा था कि पुलिस अधीक्षक इस संबंध में जांच करें कि जन्म से एक साल पहले पीड़िता की फोटो कैसे खिंच गई थी, जो मार्कशीट में चस्पा है? इसके अलावा जिला शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिए गए थे कि इस संबंध स्कूल से स्पष्टीकरण मांगें और उचित कार्रवाई करें.
कोर्ट ने आगे क्या कहा?
कोर्ट के निर्देश पर मऊगंज थाने में पदस्थ विवेचना अधिकारी प्रज्ञा पटेल ने न्यायालय में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर बताया, '' स्कूल का संचालन बंद होने के कारण पीड़िता का कक्षा एक का दाखिला-खारिज नहीं मिल पाया है. पुलिस अधीक्षक ने न्यायालय के आदेश का परिपालन करते हुए जांच के दिशा-निर्देश जारी किए हैं.'' वहीं एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि पीड़िता का दाखिला-खारिज सरकारी अधिवक्ता के पास नहीं है. इसके अलावा पॉस्को एक्ट के अनुसार कोई अन्य प्रासंगिक सबूत भी उपलब्ध नहीं है. एकलपीठ ने तमाम तथ्यों को ध्यान में रखते हुए आवेदक को जमानत का लाभ प्रदान किया है. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता एसके कश्यप ने पैरवी की.
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