अनिल राखी के ओनर बच्चू सिंह जैन (ETV BHARAT ALWAR) अलवर :आज अलवर का नाम राजस्थान में ही नहीं, बल्कि देश और दुनिया में गूंज रही है. अलवर में निर्मित राखियां विदेशों तक भाइयों की कलाई पर सज रही है. यही कारण है कि सात समंदर पार भी अलवर की राखियों की मांग है. करीब 37 वर्ष पहले पांच हजार की छोटी सी पूंजी से राखी उद्योग शुरू कर उद्यमी बच्चू सिंह जैन ने विदेशों तक अलवर की राखियों को पहचान दिलाई. रक्षाबंधन पर विदेशों में रहने वाले भारतीय ही नहीं, बल्कि वहां के मूल नागरिकों के बीच भी अलवर की राखियों की विशेष मांग रही है. यही वजह है कि विदेशों में अलवर का नाम खूब चमक रहा है.
ऐसे पनपा अलवर में राखी उद्योग :अलवर के राखी उद्योग का टर्न ओवर पिछले कुछ सालों में करोड़ों में पहुंच गया है. शुरुआत में राखी उद्योग के प्रति अलवर के लोगों में कम रूचि रही, लेकिन धीरे-धीरे यहां राखी उद्योग पनपता चला गया और दर्जनों लोग राखी उद्योग से जुड़े हैं. इससे राखी उद्योग अब अलवर में कुटीर उद्योग का रूप ले चुका है.
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बच्चू की जर्नी :अलवर में राखी व्यवसाय की शुरुआत करने वाले अनिल राखी के ओनर बच्चू सिंह जैन ने बताया कि उनकी इस जर्नी की शुरुआत साल 1987 में अक्षय तृतीया के दिन हुई. उन्होंने बताया कि इससे पहले वो वीर चौक पर दुकान में राखी बेचते थे. एक दिन उन्हें बैठे-बैठे यह ख्याल आया कि अलवर के लोगों को मिलने वाली राखी की कीमत ज्यादा है. अगर अलवर में ही राखियों का निर्माण करें तो अलवर के लोगों को कम कीमत पर अच्छी राखी मिल सकेगी. साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार भी उपलब्ध होगा. उसके बाद उन्होंने अपने दोनों भाई अनिल जैन व धर्म चंद जैन के साथ मिलकर राखियों के होलसेल और मैन्युफैक्चरिंग का व्यवसाय शुरू किया.
शुरुआत में आई ये दिक्कतें :बच्चू सिंह जैन ने बताया कि अलवर में राखी के व्यवसाय से करीब 3 हजार से अधिक परिवार जुड़े हुए हैं, जिसके घर का भरण पोषण इसी से होता है. उन्होंने कहा कि इस राखी व्यवसाय को शुरू करने में हमें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, जिनमे रॉ मैटेरियल, कच्चा माल, पक्का माल सहित अन्य चीजों के लिए शुरुआती समय में कई मुश्किलें आई, लेकिन दृढ़ निश्चय के साथ इस 40 साल के सफर को खूबसूरती से व पूरी मेहनत से तय किया. अनिल राखी की अच्छी क्वालिटी के चलते देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी काफी मांग है. इसके चलते आज उनका कारोबार चल पड़ा है. मौजूदा आलम यह है कि हर तरफ से राखी की मांग आने लगी है.
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चंदन की राखी ने मचाई धूम : बच्चू सिंह जैन ने बताया कि सबसे पहले उन्होंने बाजार में चंदन की राखी लाई. इससे अनिल राखी पूरे देश-विदेश में प्रसिद्ध हो गया. चंदन की राखी की क्वालिटी के चलते आज 24 देशों में अनिल राखी एक्सपोर्ट होती है. साथ ही देश के कई राज्यों में अनिल राखी की डिमांड रहती है. उन्होंने कहा कि अलवर में जो राखियां बनती हैं, वो क्वालिटी के मामले में पूरे देश में अव्वल है.
हर साल बनाते हैं नए डिजाइन :बच्चू सिंह जैन ने बताया कि हमारी कोशिश रहती है कि हम लोगों को हर साल नई-नई चीजें उपलब्ध कराएं. इसी के चलते हमारी ओर से हर साल राखियों की वैरायटी में नए डिजाइन जोड़े जाते हैं, जो लोगों को काफी पसंद आते हैं. इन राखियों में लेडीज, लड़के, बच्चे सभी के लिए कुछ न कुछ हर साल नया लेकर आते हैं. उन्होंने बताया कि उनकी टीम पूरे साल खोज करती है कि क्या ट्रेंड नया लेकर आए, जिसके चलते वह लोगों को बीच में प्रसिद्ध हो. बच्चू सिंह जैन का कहना है कि वो आज भी चाहते हैं कि उनका व्यवसाय आगे बढ़े, इसके लिए आज भी पूरी लग्न व मेहनत के साथ काम करते हैं.
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5 हजार से की धंधे की शुरुआत :बच्चू सिंह जैन ने बताया कि उन्होंने 5 हजार की छोटी सी पूंजी को लेकर इस व्यवसाय को शुरू किया था. धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग आई. आज इस कारोबार की कीमत करोड़ों में चल रही है. उन्होंने कहा कि हमारा इस व्यवसाय को ऊंचाइयों तक पहुंचाने का श्रेय हम राखी बनाने वाले कारीगरों को देना चाहते हैं, जिन्होंने पूरी मेहनत से इस कारोबार में हमारा साथ दिया.
इन देशों में है काफी मांग :बच्चू सिंह जैन ने बताया कि देश के साथ ही विदेशों में भी अनिल राखी की डिमांड है. इनमें ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, अमेरिका, वाशिंगटन, इंग्लैंड, नेपाल, गल्फ देशों सहित अन्य देश तक पहुंचती है.