भोपाल: मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का तमगा दिलाने वाले प्रदेश के बाघ अब दूसरे राज्यों में भी बाघों का कुनबा बढ़ाएंगे. इसके लिए मध्य प्रदेश से जल्द ही बाघ और बाघिन के जोड़ों को प्रदेश से सटे राज्यों राजस्थान, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ भेजा जाएगा. इसके अलावा ओडिशा ने भी मध्य प्रदेश से बाघों का जोड़ा मांगा है. बाघों के ट्रांसलोकेशन को लेकर नेशनल कंजर्वेशन अथॉरिटी ने अपनी मंजूरी दे दी है. अब प्रदेश सरकार की तरफ से मंजूरी दिया जाना बाकी है. पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ अतुल श्रीवास्तवने इस बात की पुष्टि की है.
माना जा रहा है कि राज्य सरकार जल्द ही अपनी मंजूरी दे देगा. प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव पिछले दिनों एक कार्यक्रम में कह चुके हैं कि 'प्रदेश सरकार दूसरे राज्यों को बाघ देने जा रही है, हालांकि वन विभाग ओडिशा राज्य को बाघ देने के पक्ष में नहीं है.
पड़ोसी राज्यों ने इसलिए मांगे बाघ
राजस्थान अब बाघों के लिए सुरक्षित स्थान बनता जा रहा है. राजस्थान में बाघों की संख्या बढ़कर 134 पहुंच गई हैं. राजस्थान के सरिस्का सहित तीन टाइगर रिजर्व में पिछले सालों में बाघों की संख्या बढ़ी है. इस संख्या को और बढ़ाने के लिए राजस्थान सरकार ने मध्य प्रदेश सरकार ने बाघों के जोड़े भेजने का आग्रह किया है, ताकि राजस्थान में बाघों की संख्या में और बढ़ोत्तरी हो सके.
मध्य प्रदेश से सटे छत्तीसगढ़ में पिछले सालों में बाघों की संख्या घट गई है. छत्तीसगढ़ में 2014 में 46 बाघ थे, लेकिन जुलाई 2023 में जारी राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या 17 रह गई. उधर बाघों की घटती संख्या को देखते हुए छत्तीसगढ़ में एक नए गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व को मंजूरी दे दी गई है. यह छत्तीसगढ़ का चौथा और देश का तीसरा सबसे बड़ा रिजर्व होगा. इस टाइगर रिजर्व में बाघों का कुनबा बढ़ाने के लिए मध्य प्रदेश से बाघ-बाघिन मांगे गए हैं.
महाराष्ट्र ने भी मध्य प्रदेश से बाघों की मांग की है. महाराष्ट्र में बाघों की संख्या 444 है. इनमें सबसे ज्यादा बाघ महाराष्ट के चांदपुरा क्षेत्र में हैं. महाराष्ट्र सरकार ने बाघों की नस्ल सुधार के लिए मध्य प्रदेश से बाघों की मांग की है.