रामपुर बुशहर:पहाड़ देखने में जितने खूबसूरत हैं यहां जीवन का संघर्ष उससे कहीं अधिक है. बरसात, बर्फबारी, प्राकृतिक आपदाएं यहां हर साल बर्बादी के निशान छोड़ जाती हैं. इसके बाद शुरू होता है बर्बादी के इन निशानों पर जीवन की गाड़ी को पटरी पर लाने का संघर्ष. इस साल भी मानसून सीजन में कई सड़कों को भारी नुकसान पहुंचा है. कई सड़कों पर यातयात ठप हो गया है. सड़कों को नुकसान पहुंचने के कारण कई गांवों में गाड़ी के हॉर्न की आवाज सुनाई देना बंद हो गई है. इन गांवों में यातायात का संपर्क कट गया है.
रामपुर उपमंडल के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र 12/20 के लोग आए दिन सड़क सुविधा के बाधित होने के कारण काफी परेशान थे. चार पंचायतों के लोगों को जहां रोजमर्रा का सामान अपनी पीठ पर उठाकर कई किलोमीटर दूर ले जाना पड़ रहा था. वहीं, सीजन के दौरान पीठ पर सेब ढोने के लिए मजबूर होना पड़ रहा था. 12/20 क्षेत्र का संपर्क मार्ग सेरी पुल के पास लगभग 14 दिन पहले कट चुका था. ऐसे में तकलेच से होकर जाने वाले वाहन सेरी पुल के पास सड़क बाधित होने के कारण वापस लौट रहे थे. यहां से ग्रामीण देवठी, कुहल, काशापाट, मुनिश पंचायतों के लिए पैदल सफर करने को मजबूर थे. इन क्षेत्रों में बागवानों को भी परेशानी आ रही थी. बागवान सेब मंडी तक पहुंचने के लिए सेरी पुल पर गाड़ी की अनलोडिंग करने को मजबूर थे. इसके बाद सेरी पुल के दूसरी तरफ गाड़ी में फिर से लोडिंग करनी पड़ रही थी. इसके लिए बागवान मजदूरों को अतिरिक्त भुगतान करना पड़ा.
पीठ पर ढोना पड़ रहा सामान
पहाड़ों पर मुश्किलों का इम्तिहान होता है. यहां राशन,दूध, सिलेंडर और अन्य सामानों की होम डिलीवरी नहीं मिलती है. बरसात में सड़कों के बह जाने पर पीठ पर पैदल सामान उठाकर घर तक पहुंचाना पड़ता है. काशापाट, मुनिश, बहाली के ग्रामीण पीठ पर ही लाद कर सामान घर तक पहुंचाया. जिंदगी की ये जद्दोजहद किसी जंग से कम नहीं है.
बागवानों को हो रहा आर्थिक नुकसान
कुहल, काशापाट, मुनिश, बहाली पंचायतों के ग्रामीण महेंद्र सिंह,भजन लाल, साहिल, अमर सिंह, जयसिंह ने बताया कि 'सेब का सीजन जोरों पर चल रहा है. ऐसे में सेरी पुल के पास तक बगीचों से सेब गाड़ी के माध्यम से सेरी पुल तक पहुंचाया जा रहा था. यहां पर फिर सेब को उतार कर दूसरी तरफ खड़ी गाड़ी में लोड किया जा रहा था. इससे बागवानों पर आर्थिक बोझ पड़ा. उन्हें इसके लिए एक पेटी पर 20 रुपये चुकाने पड़े. वहीं, लोगों ने बताया कि सड़क के धंसने के बाद सेरी पुल से गांव तक जाने के लिए बस सुविधा भी नहीं मिल रही थी. यहां से लोगों को घर तक पहुंचने के लिए दोगुना पैसे देने पड़े.
सवारियों को देना पड़ रहा दोगुना किराया
कुहल पंचायत के उप प्रधान महेंद्र सिंह ने बताया कि 'जो लोग रामपुर से बसों के माध्यम से आ रहे थे. उनके लिए बसों की कोई भी व्यवस्था नहीं थी. सेरी पुल के आगे लोगों को लगभग 10 से 15 किलोमीटर पैदल चलकर अपने घर तक पहुंचना पड़ रहा था. कई निजी वाहन ग्रामीण से भारी भरकम किराया वसूल रहे थे. सरकार और प्रशासन लालसा-बहालीधार होकर या तो बस सुविधा देनी चाहिए थी या सेरी पुल से बस बदलने का प्रावधान होना चाहिए था, ताकि लालसा, बहाली, मशनु, दानघाटी के लोगों को पैदल सफर न करना पड़ता. वहीं, सेरी पुल के पास बागवानों के लिए स्पेन का प्रावधान करना चाहिए, ताकि स्पेन के माध्यम से सेब गाड़ियों तक पहुंच सके. सेब बागवानों की पूरी साल भर की मेहनत होती है. बागवान मजदूरी देकर सारा काम करवाना पड़े तो बागवानों को भारी नुकसान होगा.'
वहीं, एसडीओ तकलेच शोभाराम ने बताया कि,'आज सभी तरह के वाहनों के लिए लोक निर्माण विभाग ने सेरी पुल के पास सड़क बहाल कर दी गई है. लगभग 14 दिन से यह सड़क बाधित पड़ी हुई थी, जिसे आज बहाल कर दिया गया है. भारी बारिश होने से सड़क मार्ग बाधित हो रहा था. ऐसे में सेरी पुल के पास जमीन धंस रही है, जिस कारण सड़क को बहाल करने में परेशानी आ रही थी. मौसम साफ होते ही अब इसे बहाल कर दिया गया है.'
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