पटना: प्रतिभा किसी पहचान की मोहताज नहीं होती. मजबूत संकल्प और इच्छाशक्ति हो तो मनुष्य किसी भी सफलता को प्राप्त कर सकता है. यह साबित किया है औरंगाबाद के गमती गांव के स्वर्गीय संतोष कुमार सिंह की बेटी खुशी कुमारी ने. खुशी का चयन एशिन गेम्स के लिए आयोजित भारतीय वीमेंस वॉलीबॉल कैंप में हुआ है. यह बिहार के लिए गर्व की बात है. बीते 50 साल में पहली बार किसी बिहारी महिला खिलाड़ी का चयन महिला वॉलीबॉल में हुआ है. इस उपलब्धि में उसके संघर्ष को दरकिनार नहीं किया जा सकता.
पिछले साल ही वॉलीबाल से जुड़ी: खुशी जिला और राज्यस्तर पर एथलेटिक्स में पदक की झड़ी लगा चुकी है. वह पिछले साल ही वॉलीबाल से जुड़ी है. खुशी के अंदर वॉलीबॉल खेलने का शौक उसके गांव से जागा. जहां वे अपने गांव के लड़कों को खेलता देखती थी. एक दिन मैदान में वॉलीबाल खेलने उतर पड़ी. वह अपने गांव के लड़कों के साथ अकेले खेलने वाली एकमात्र लड़की थी. वहां पर ना ही उनकी कोई टीम थी और ना ही उन्हें ट्रेनिंग देने वाला कोई कोच था.
सुबह 4 बजे प्रैक्टिस करने जाती:कहती है कि वे खुद ही सेल्फ प्रैक्टिस करती थी. वह रोज सुबह 4 बजे प्रैक्टिस के लिए औरंगाबाद जाती थी और रात 8 बजे अकेले लौटती थी. इसे लेकर आस-पड़ोस के लोग उनकी मां रीना देवी को ताना मारते थे. सब कहते थे की लड़की हाथ से निकल गई है. इतनी देर तक लड़कों के बीच रहती है. खुशी के पिता का देहांत 2016 में ही हो गया था, इस कारण खुशी को लेकर लोग कई बातें कहा करते थे.
200 लड़कियों में हुआ चयन:कहा जाता है कि किसी में कुछ न कुछ गुण छुपा हुआ होता है. खुशी को हाइट का बहुत फायदा हुआ. उनकी हाइट ने भारतीय टीम में उनकी जगह को थोड़ा आसान बना दिया. खुशी की हाइट 136 सेंटीमीटर है. खुशी बताती है कि उसका चयन वीमेंस कैंप के लिए 200 लड़कियों में से हुआ है.