कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू के उपमंडल बंजार में स्थित ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क में साल दर साल जीव- जंतुओं और वन्य प्राणियों की मौजूदगी में वृद्धि हो रही है. ग्रेट हिमायलन नेशनल पार्क यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल है. ये पार्क जीव जंतुओं के संरक्षण व जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है.
कुछ दिन पहले हुए सर्वे में इस पार्क में कस्तूरी मृग के साथ नीली भेड़ों की अच्छी खासी मौजूदगी देखने को मिली हैं. इसके अलावा पार्क के क्षेत्र में भूरे भालू की भी मौजूदगी दर्ज हुई है. इसके जगह-जगह मौजूद होने के निशान मिले हैं. ये जानकारी पार्क प्रबंधन की ओर से पांच से नौ नवंबर तक की गई गणना से मिली है. पांच दिनों तक चली गणना में पार्क प्रबंधन ने 11 जगहों के लिए 11 टीमों को गठन किया था.
कस्तूरी मृग की बढ़ी संख्या
साल 2023 के मुकाबले टीमों को कस्तूरी मृग की उपस्थिति अधिक देखने को मिली. साल 2023 की गणना में पार्क क्षेत्र में पांच जगहों पर छह कस्तूरी मृग दिखे थे, तो इस बार सात जगहों पर एक-एक कस्तूरी मृग देखे गए हैं. इसमें घुमतराओ-रखंडी में एक, नड्डा-मझौनी में एक, डेल थाच में एक, दरशाड़ जंगल में एक, खनेरसू थाच में एक, कसाल धार में एक और रधौनी में एक कस्तूरी मृग देखा गया है. जंगली इलाको में कस्तूरी मृग की मौजूदगी करीब 3,000 मीटर की ऊंचाई वाले इलाकों में रहती है.
कस्तूरी मृग की बढ़ी संख्या (ETV BHARAT) भूरे भालू की मौजूदगी के भी मिले निशान
वही, नीली भेड़ की बात करें तो इस बार इसकी संख्या भी 2023 से अधिक पाई गई. साल 2023 को तीर्थन में 60 नीली भेडें थीं तो इस बार यहां इसकी मौजूदगी देखने को नहीं मिली है. इसके अलावा पार्क के रक्तिसर इलाके में 2023 में नीली भेड़ें देखने को नहीं मिली थीं, तो इस बार यहां 67 नीली भेड़ें देखी गईं. नीली भेडों का ठिकाना समुद्रतल से करीब 3,500 मीटर ऊंचाई पर होता है और पार्क में इनका आवास करीब 60 से 70 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में है. वहीं, पार्क में अबकी बार भूरे भालू की गणना भी हुई. मगर टीमों को भूरा भालू गणना के दौरान नहीं मिला, लेकिन कई जगहों पर इसके पंजों के निशान और मल देखने को मिला है, जिससे पार्क के भीतर भूरे भालुओं की अच्छी खासी मौजूदगी होने की संभावना है.
ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क भूरे भालू की उपस्थिति के मिले सबूत (ETV BHARAT) इस तरह हुई गणना
टीम ने इस बार ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क में कस्तूरी मृग, ब्लू शीप (नीली भेड़) और भूरा भालू की गणना आवाज, दूरबीन और स्कैनिंग से की है. कस्तूरी मृग की गणना आवाज के जरिए की गई, जबकि भूरा भालू और नीली भेड़ की गणना दूरबीन या दूसरे उपकरणों से स्कैनिंग के जरिए की गई.
पार्क में तितलियों की 51 प्रजातियां
ग्रेट नेशनल पार्क का 754.4 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र कोर जोन, 265.6 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र इको जोन में आता है. 61 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र तीर्थन वन्यजीव अभयारण्य और 90 किलोमीटर वर्ग का क्षेत्र सैंज वन्यजीव अभयारण्य भी इसी नेशनल पार्क में आता है. ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क 1,171 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है. हिमालयन नेशनल पार्क की अगर बात करें तो यहां पाए जाने वाली तितलियां में कॉमन विंडमिल, ग्लासी ब्लू बोटल, यलो स्वैलो वटेल, रीगल अपोलो, कॉमन ब्लू अपोलो, कॉमन पीकॉक, ब्लू पीकॉक, लाइम बटरफ्लाई, पायरट मोरमोर्न ब्रिम्स्टोन, हिमालयन ब्लैक वेन सहित 51 प्रजाति की तितलियां पाई जाती है. ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क भारतवर्ष में मात्र एक ऐसा पार्क है, जहां पर 51 प्रजाति की तितलियां एक साथ पाई जाती हैं. इसके अलावा हिमाचल के राज्य पक्षी जाजूराना का भी यहां संरक्षण हो रहा है.
जैव विविधता से स्मृद्ध है ये पार्क (ETV BHARAT) पार्क में अवैध शिकार पर लगी लगाम
ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के वन मंडलाधिकारी सचिन शर्मा ने कहा कि, 'ग्रेट हिमायलन नेशनल पार्क में कस्तूरी मृग और नीली भेड़ की संख्या बढ़ने का कारण पार्क में अवैध शिकार पर लगी रोक है. वहीं, पार्क क्षेत्र में जगह-जगह लगाए ट्रैप कैमरों के अलावा हमारी टीमें गश्त भी करती हैं. ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क में अन्य जीव जंतुओं की संख्या में भी वृद्धि हो रही है.'
देश विदेश से आते हैं सैलानी
ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क में जहां दुर्लभ प्रजातियां आज संरक्षित हो रही हैं. वहीं, इसकी प्राकृतिक सुंदरता को निहारने के लिए भी देश-विदेश से सैलानी यहां पहुंचते हैं. कुल्लू जिले में स्थित ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क भारत के बहुत ही खूबसूरत नेशनल पार्क में से एक है. ये पार्क हरे भरे शंकुधारी वनों, घास के मैदानों, ग्लेशियर, पर्वत चोटियों और जेव विविधता का अद्भुत नजारा पेश करता है और सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करता है.
ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क (ETV BHARAT) यूनेस्को ने दिया विश्व धरोहर का दर्जा
जिला कुल्लू के पर्यावरणविद् गुमान सिंह का कहना है कि,'ग्रेट हिमालय नेशनल पार्क को विश्व धरोहर का दर्जा मिलने के बाद यहां पर्यावरण संरक्षण भी हो रहा है और कुल्लू जिला का नाम भी पूरी दुनिया मैं रोशन हुआ है. ग्रेट हिमालय नेशनल पार्क एक ऐसा पार्क है जहां पर कई दुर्लभ जीव जंतु आज भी खुले में विचरण कर रहे हैं और कई जड़ी बूटियां भी विश्व धरोहर का दर्जा मिलने के बाद यहां पर सुरक्षित हो रही हैं. हालांकि पार्क क्षेत्र में कई गांव भी है और यहां पर सड़क सहित अन्य का निर्माण कार्यों पर भी प्रतिबंध लगा हुआ है, लेकिन ग्रामीण इससे खुश हैं और यहां के पर्यावरण को बचाने की दिशा में वन विभाग के साथ-साथ ग्रामीण भी अपना सहयोग दे रहे हैं.'
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