लातेहार: एक तरफ सरकार हर घर तक पीने का पानी पहुंचाने तथा गांव-गांव तक बिजली पहुंचाने का दावा कर रही है. वहीं दूसरी ओर जिले के सरयू प्रखंड के बिछमरवा गांव में रहने वाले लोग बिजली और पानी के लिए परेशान हैं. कहने के लिए तो बिजली और पानी दोनों की व्यवस्था पहुंचा दी गई है, लेकिन सच्चाई यह है कि इस गांव में रहने वाले लोग पानी और बिजली के लिए तरस रहे हैं.
सरयू प्रखंड अंतर्गत बिछमरवा गांव में लगभग 45 दलित परिवार रहते हैं. गांव की कुल जनसंख्या लगभग 300 के है. इस गांव में रहने वाले लोग आज भी पीने के पानी के लिए गंदे नाले के चुआड़ी पर निर्भर हैं. गांव में कहने के लिए तो नल जल योजना के तहत जल मीनार स्थापित कर घर-घर तक नलकूप लगाई गई है. लेकिन यह जल मीनार सिर्फ दिखाने के लिए ही लगा है. अपने निर्माण के कुछ ही दिनों के बाद जलमीनार खराब हो गया था. जिसके कारण यहां के ग्रामीणों को इसका लाभ भी मिलना बंद हो गया है.
कई बार लगाई अधिकारियों से गुहार
ग्रामीणों का कहना है कि कई बार इसके लिए विभागीय अधिकारियों से गुहार लगाई गई, लेकिन वहां से सिर्फ आश्वासन ही मिला. धरातल पर आकर जलमीनार को दुरुस्त करने के प्रति विभागीय अधिकारियों ने कभी भी गंभीरता नहीं दिखाई. आज स्थिति यह है कि यहां के ग्रामीण लगभग आधा किलोमीटर की दूरी पर स्थित बहने वाले गंदे नाले के पानी से अपनी प्यास बुझाने को विवश हैं.
3 वर्ष से गांव में बिजली नहीं
ग्रामीणों ने बताया कि पानी की समस्या का साथ-साथ इस गांव में बिजली की समस्या भी पिछले तीन वर्षों से विराजमान है. ग्रामीणों ने बताया कि बिजली विभाग को कई बार इसकी सूचना दी गई है, लेकिन वहां से सिर्फ टालमटोल किया जाता है. ग्रामीणों ने कहा कि पिछले साल तो सभी ग्रामीण नाराज होकर अपने-अपने घर के बिजली के मीटर को भी विभाग के पास जमा करने पहुंच गए थे. इसके बाद भी बिजली विभाग के अधिकारी उनकी समस्याओं के समाधान के प्रति कोई गंभीरता नहीं दिखाई. अब तो ग्रामीणों को लगने लगा है कि सिर्फ कागज में दिखाने के लिए ही उनके गांव में बिजली और पानी की व्यवस्था की गई थी.
पूर्वज जैसे जीते थे, आज भी वैसे ही स्थिति हो गई
इधर, गांव में बिजली और पानी की घोर कमी से ग्रामीणों में भारी आक्रोश है. स्थानीय ग्रामीण प्रदीप घांसी ने बताया कि गांव में ना तो पानी की सुविधा है और नहीं बिजली की सुविधा है. बिजली के बिना तो किसी प्रकार काम चल जा रहा है, लेकिन पानी के लिए ग्रामीणों को तरसना पड़ रहा है. गांव के लोग गंदे नाले के पानी से अपनी प्यास बुझा रहे हैं. उन्होंने कहा कि 50 वर्ष पहले जिस प्रकार उनके पूर्वज नदी नालों पर निर्भर थे, ठीक उसी प्रकार आज भी वे लोग नदी नालों पर ही निर्भर हो गए हैं.